बढ़ते तापमान में ऐसे करें गेहूं की देखरेख | नहीं होगा गर्मी से कोई नुकसान
किसान साथियो भारतीय किसानों ने चालू रबी सीजन में गेहूं की खेती में उत्साह दिखाया है। गेहूं का बुवाई क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में बढ़कर 320 लाख हेक्टेयर हो गया है। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मौसम की स्थिति फिलहाल फसल के लिए अनुकूल है। यदि फरवरी-मार्च महीनों में भी मौसम अनुकूल रहा तो देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 1150 लाख टन रखने का लक्ष्य रखा है। कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस वर्ष गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष के 10-10.50 करोड़ टन से बढ़कर 11 करोड़ टन के आसपास पहुंच सकता है। हालांकि, बढ़ते तापमान के कारण फसल को कुछ हद तक नुकसान होने की संभावना है। इसलिए, कृषि वैज्ञानिक किसानों को कुछ विशेष उपायों को अपनाने की सलाह दे रहे हैं ताकि वे अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें।
बढ़ते तापमान में गेहूं की फसल की देखभाल कैसे करे
फरवरी महीने में तापमान में बढ़ोतरी के साथ गेहूं की फसल को बचाने के लिए किसानों को कुछ विशेष उपाय करने होंगे। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। सबसे पहले, दिन का तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना गेहूं की फसल के लिए आदर्श माना जाता है। हालांकि, यदि तापमान थोड़ा बढ़ भी जाता है तो फसल कुछ हद तक सहन कर सकती है। लेकिन, जब दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है तो गेहूं के दानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दूसरे, बढ़ते तापमान से बचाव के लिए किसानों को आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। विशेषकर जब तेज हवा चल रही हो, तो सिंचाई से बचना चाहिए, क्योंकि इससे फसल गिर सकती है। जिन किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा है, वे दोपहर के समय जब तापमान सबसे अधिक होता है, आधा घंटे के लिए फव्वारे से सिंचाई कर सकते हैं। तीसरे, गेहूं में बालियां निकलने के समय या अगेती गेहूं की बालियां निकल चुकी हों तो 0.2 प्रतिशत पोटाशियम क्लोराइड का छिड़काव करना फायदेमंद होता है। यह तापमान वृद्धि के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है। पछेती बिजी हुई गेहूं में इस छिड़काव को 15 दिनों के अंतराल पर दो बार किया जा सकता है। इन उपायों को अपनाकर किसान बढ़ते तापमान के बावजूद अपनी गेहूं की फसल को बचा सकते हैं और अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
गेहूं में फंगीसाइड का स्प्रे कब करना चाहिए
गेहूं की फसल को फंगस से बचाने के लिए फंगीसाइड का छिड़काव करना बहुत जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, फसल के 60 से 80 दिन के बीच, जब झंडा पत्ता निकलने लगता है, तब फंगीसाइड का छिड़काव सबसे प्रभावी होता है। झंडा पत्ता पौधे के लिए भोजन का मुख्य स्रोत होता है, इसलिए इसकी सुरक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। किसान सिजेंटा कंपनी का इंपैक्ट एक्स्ट्रा, कोरटेवा कंपनी का गैलीलियो वे या BASF कंपनी का प्रायक्सर जैसे फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं। यदि फसल में दिल्ली (एक प्रकार का कीट) का प्रकोप दिखाई दे तो एमाबेक्टिन बेंजोएट का छिड़काव करना चाहिए। इस तरह से किसान अपनी गेहूं की फसल को फंगस और कीटों से बचाकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
नोट:रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।