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सरसों किसानों के लिए खुशखबरी, अब बर्फीला पाला भी सरसों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा | जाने कोन सी है ये वैरायटी

सरसों किसानों के लिए खुशखबरी, अब बर्फीला पाला भी सरसों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा | जाने कोन सी है ये वैरायटी

किसान साथियो उत्तरी भारत के सरसों उत्पादक राज्यों खास तौर पर राजस्थान और हरियाणा में सरसों की फ़सल को जुए की तरह माना जाता है। इसका कारण है सर्दियो में पड़ने वाला पाला। पाला सरसों में 50 से लेकर 100% तक नुकसान कर सकता है। लेकिन अब सरसों की एक ऐसी वैरायटी इजात कर ली गयी है जिस पर पाले का कोई असर नहीं पड़ता है। आज की रिपोर्ट में हम इसी के बारे में जानने वाले हैं। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल (ICAR) ने एक ऐसी ही किस्म को विकसित किया है। सरसों की इस किस्म का नाम सीएस 60 है। संस्थान द्वारा शेखावाटी सहित राजस्थान के अनेक जिलों में इस वैरायटी पर पाले के प्रभाव प्रयोग सफल रहा है। आज 100 रुपए तक तेज हो सकती है | सरसों जानिए क्या है वजह | रोके या बेचे

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान सरकार के कृषि ग्राह्य केन्द्र आबूसर (एटीसी) में इस सीजन में सीएस 60 सरसों की बुवाई की गई। इसे आधुनिक क्रॉप कैफेटरिया में उगाया गया। इसी के निकट सरसों की अन्य किस्में भी उगाई गई। प्रयोग के दौरान देखा गया कि पाले के कारण अन्य किस्मों में 50 से 90 फीसदी तक नुकसान हुआ। लेकिन CS60 किस्म में पाले का एक प्रतिशत नुकसान भी नहीं देखने को मिला।

जानें क्या है करती है एटीसी
राजस्थान राज्य के काफी बड़ा होने के कारण कृषि की दृष्टि से अनेक कृषि जलवायु खंड हैं। आबूसर के एडप्टिव ट्रायल सेंटर (एटीसी) के अधीन चूरू, सीकर, झुंझुनूं व नागौर जिले आते हैं। किसी भी नयी किस्म की बुवाई के लिए अप्रूवल करने से पहले उसे सरकार एटीसी में प्रायोगिक तौर पर उगाकर देखती है। वहां पर प्रयोग सफल होने पर ही किसानों को संबंधित बीज उगाने की सलाह देती है। सरसो और सरसो तेल में आई तेजी की बहार | देखे सरसो की तेजी मंदी रिपोर्ट `

उत्पादन 20 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
कृषि अनुसंधान अधिकारी शीशराम ढीकवाल के अनुसार कि इस सरसों का उत्पादन बीस से पच्चीस मन प्रति एकड़ हो जाता है। यह पाला रोधी किस्म है। इसके अलावा इसकी एक खूबी यह भी है कि यह खारे पानी में भी उगाई जा सकती है। यह वैरायटी 7680 TDS तक के पानी में भी उगाई जा सकती है। इस सरसों के पौधों की लम्बाई अच्छी होती है। फलियों की संख्या भी अन्य किस्मों से ज्यादा होती है। हर फली में बीजों की संख्या अधिक होती है। इसके गुणों के देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जिस पडऩे की आशंका रहती है और पानी खारा है वहां के लिए यह किस्म सर्वश्रेष्ठ है। बासमती किसानों के लिए जरूरी रिपोर्ट | अगर बासमती धान रखा हुआ है तो यह रिपोर्ट जरूर देख लें