मात्र 40 रुपये के खर्च में गेहूं को दें ताकत का डोज | उत्पादन के भर जाएंगे भंडार
किसान साथियों, इस समय गेहूं की फसल में लगभग बलिया पूरी तरह से निकल चुकी हैं, लेकिन अधिक गर्मी के कारण किसानों को इस बार गेहूं की फसल को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय हमारे किसान भाई अक्सर गेहूं की फसल के अंतिम चरण में दाने और बाली के आकार को बढ़ाने के लिए परेशान रहते हैं, क्योंकि इस समय पर फसल में बालियां निकल चुकी होती हैं और दाने का आकार भरना शुरू हो जाता है। लेकिन सवाल यह है कि इस अत्यधिक गर्मी में बलियों के आकार और दाने के वजन को कैसे बढ़ाया जाए? किस तरह से गेहूं की फसल का बेहतर उत्पादन लिया जाए और दाने का आकार बड़ा हो? यही सवाल किसानों के मन में हमेशा उठता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज की इस रिपोर्ट में हम गेहूं की फसल के इस महत्वपूर्ण चरण पर ध्यान केंद्रित करेंगे और जानेंगे कि आखिरकार क्या कारण है कि दाने का आकार छोटा रह जाता है, और उसे बढ़ाने के लिए क्या विशेष उपाय अपनाए जा सकते हैं। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि किस प्रकार गेहूं की फसल की सही देखभाल और सही पोषक तत्वों का उपयोग इस समय के दौरान फसल के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। तो चलिए, इसे विस्तार से समझने के लिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।
गेहूं की फसल का अंतिम चरण
साथियों, फसल के विकास के विभिन्न चरणों में सबसे महत्वपूर्ण चरण वह होता है जब गेहूं की बालियां निकलना शुरू होती हैं और दाने का आकार बनता है। इस समय पर अगर किसानों ने सही तरीके से फसल की देखभाल नहीं की, तो उनका उत्पादन कम हो सकता है और जो दाने तैयार होंगे, उनका आकार भी छोटा रह सकता है। लेकिन यहाँ पर कई किसान भाई यह सोचते हैं कि गेहूं की फसल के पहले के चरणों में सभी जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश आदि डाल दिए गए थे, इसलिए अब इस अंतिम चरण में कुछ नहीं करना है। लेकिन यह सोच गलत है, क्योंकि यह आखिरी चरण है जब फसल को फिजियोलॉजिकल रूप से एक मजबूत और स्वस्थ दाना बनाने के लिए विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
पोटाश का महत्व
साथियों, पोटाश (Potash) गेहूं की फसल के अंतिम चरण में दाने और बाली के आकार को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब गेहूं की बालियां निकलने के बाद दाने भरने की प्रक्रिया शुरू होती है, तो पोटाश से भरे खाद की जरूरत होती है। पोटाश का सही मात्रा में उपयोग करने से बाली का आकार बढ़ता है और दाने का आकार भी बड़ा होता है। पोटाश की कमी को पूरा करने के लिए किसान साथियों, आपको इस समय पर NPK 00-50 (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश) का छिड़काव करना चाहिए। यह उर्वरक दाने के आकार को बढ़ाने में मदद करता है। जबकि पहले के चरणों में हम NPK 05-25-35 का उपयोग करते हैं, लेकिन अंतिम चरण में पोटाश से भरपूर खाद सबसे प्रभावी होता है। इसलिए NPK 00-50 से गेहूं के दाने पूरे और स्वस्थ होते हैं, और उत्पादन बढ़ता है।
ल्यूसिन का उपयोग
साथियों, अब बात करते हैं ल्यूसिन (Leucine) की। कुछ गेहूं की किस्में ऐसी होती हैं, जो बिना जरूरत के ज्यादा बढ़ती हैं। इसका मतलब है कि फसल में ग्रोथ (Growth) तेजी से हो रही होती है, लेकिन इससे दाने का आकार छोटा रह सकता है। इस तरह की किस्मों में ल्यूसिन का छिड़काव करना आवश्यक है। ल्यूसिन, फसल की बढ़वार को नियंत्रित करता है और दाने का आकार बढ़ाने में मदद करता है। अगर गेहूं की फसल में जरूरत से ज्यादा ग्रोथ हो रही है तो ल्यूसिन का उपयोग आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। खासकर जब आपकी फसल में पानी का प्रबंधन सही तरीके से न किया जा रहा हो या हवा चलने की संभावना हो, तो फसल का गिरना एक समस्या बन सकता है। ऐसे में ल्यूसिन दाने के आकार को सही तरीके से बढ़ाता है और बाली का आकार भी बड़ा करता है। ल्यूसिन का उपयोग करने के लिए किसान भाई 250 मिलीलीटर की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
लहसुन का प्रयोग
साथियों, कई बार किसान भाई यह महसूस करते हैं कि गेहूं की फसल की वृद्धि काफी अधिक हो गई है, तो इसके लिए लहसुन (Garlic) का भी छिड़काव करना चाहिए। खासकर उन किस्मों में, जैसे डीवीडब्ल्यू और श्रीराम की कुछ किस्में जो ज्यादा लंबी और तेजी से बढ़ती हैं, वहाँ लहसुन का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि गेहूं की फसल में लहसुन का छिड़काव, अनावश्यक वृद्धि को रोकता है और बाली के अंदर दाने के आकार को बढ़ाता है। यदि आपके खेतों में हवा चलने पर फसल गिरने की संभावना हो, तो लहसुन का छिड़काव करने से फसल का झुकना और गिरना कम होता है, जिससे दाने का आकार बचता है और उत्पादन भी बढ़ता है।
फिजूल खर्च से बचें
साथियों, अक्सर किसान फसल के अंतिम चरण में माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के प्रयोग में भ्रमित हो जाते हैं और कई अनावश्यक रासायनिक पदार्थ डालने लगते हैं। लेकिन फसल में यह ना केवल अतिरिक्त खर्च का कारण बनता है, बल्कि फसल को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए, इस समय पर फिजूल का खर्च करने से बचें। गेहूं के अंतिम चरण में सिर्फ और सिर्फ पोटाश और ल्यूसिन का छिड़काव करना पर्याप्त है। अगर आपने पहले ही नाइट्रोजन और फास्फोरस सही समय पर डाले हैं, तो अब सिर्फ पोटाश और ल्यूसिन से ही फसल का सही परिणाम मिल सकता है। इसके अलावा किसी भी फसल को उसकी प्राकृतिक अवस्था में रहने के लिए सही समय पर पोषक तत्व देने की आवश्यकता होती है। गेहूं के अंतिम चरण में भी, एनपीके के साथ-साथ अन्य जरूरी तत्व जैसे मैग्नीशियम, सल्फर आदि की जरूरत होती है। इससे फसल की इष्टतम वृद्धि होती है और दाने का आकार बढ़ता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।