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गेहूं, सरसों , चना, जौ आदि की बुवाई का डाटा आ गया है | जाने किसका एरिया बढ़ा किसका घटा | भाव पर इसका असर

गेहूं, सरसों , चना, जौ आदि की बुवाई का डाटा आ गया है | जाने किसका एरिया बढ़ा किसका घटा | भाव पर इसका असर
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गेहूं, सरसों , चना, जौ आदि की बुवाई का डाटा आ गया है | जाने किसका एरिया बढ़ा किसका घटा | भाव पर इसका असर 

किसान भाइयों, देश के सभी राज्यों में रबी फसलों की बुवाई लगभग अपने आखिरी चरण में चल रही है। राज्य स्तर पर कृषि का आंकड़ा किसानों की स्थिति और उनके द्वारा उत्पादित फसलों पर निर्भर करता है। राजस्थान, जो भारत के प्रमुख कृषि राज्यों में से एक है, रबी फसलों की बुवाई के लिए प्रसिद्ध है। रबी फसलें वे फसलें होती हैं जो सर्दी के मौसम में बोई जाती हैं और वसंत के मौसम में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इन फसलों में गेहूं, चना, जौ, सरसों और अन्य प्रमुख फसलें शामिल हैं, जो भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। रबी फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार इस साल, राजस्थान में रबी फसलों की बुवाई ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। राजस्थान में रबी फसलों की बुवाई का 25 नवंबर तक लगभग 72% कार्य पूर्ण हो चुका है, एक और अन्य रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान का यह बिजाई का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में काफी बेहतर है। पिछले साल के आंकड़े को देखकर, हम यह कह सकते हैं कि रबी फसलों की बुवाई की गति इस बार बेहतर रही है। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कृषि के क्षेत्र में राजस्थान निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। राजस्थान के कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से गेहूं, चना और जौ की बुवाई में वृद्धि देखी गई है, जो कि किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, सरसों की बुवाई में कुछ गिरावट आई है, जो किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। इस रिपोर्ट पोस्ट में हम राजस्थान में रबी फसलों की बुवाई की प्रगति, प्रमुख फसलों की बुवाई, और आने वाले समय में किस प्रकार की कृषि नीतियां फायदेमंद हो सकती हैं, इन पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इन बातों पर विस्तार से जानने के लिए चलिए शुरू करते हैं रिपोर्ट।

बुवाई का कुल आंकड़ा
किसान साथियों, प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान में 25 नवंबर तक रबी फसलों की बुवाई का कुल आंकड़ा 86.52 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यह आंकड़ा पिछले साल के 79.72 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 8.52% अधिक है। इसका मतलब है कि इस बार किसानों ने ज्यादा भूमि पर रबी फसलों की बुवाई की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रबी फसलें अधिक लाभकारी होती जा रही हैं। और राजस्थान कृषि के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है ‌‌।राजस्थान में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रबी फसलों की बुवाई में खासतौर पर गेहूं, चना, और जौ की बुवाई में वृद्धि देखी गई है। इन फसलों के साथ-साथ सरसों, तिल और अलसी जैसी फसलें भी बोई जा रही हैं, मौजूदा भावो जो देखते हुए किसानों को इन फसलों से अच्छे लाभ की उम्मीद है। 

गेहूं की बुवाई में वृद्धि
किसान साथियों, अगर हमें गेहूं की बुवाई की बात करें तो राजस्थान में गेहूं की बुवाई में इस साल महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई बढ़कर 18.53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 14.40 लाख हेक्टेयर के मुकाबले काफी अधिक है। इस वृद्धि का मुख्य कारण MSP का बढ़ाना और गेहूं के अच्छे भाव मिलना है । आज की डेट में किसानों का गेहूं को लेकर सकारात्मक रुझान है गेहूं की मांग हर साल बढ़ती जा रही है।


चना की बुवाई में बढ़ोतरी
किसान भाइयों, चना, जो रबी फसलों में एक प्रमुख स्थान रखता है, इस बार राजस्थान में चना की बुवाई में भी वृद्धि हुई है। 25 नवंबर तक चना की बुवाई बढ़कर 18.53 लाख हेक्टेयर हो गई है, जो पिछले साल के 16.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। चने की बुवाई का लक्ष्य 22.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है, और मौजूदा आंकड़ों की मान्यता तो यह लक्ष्य इस बार आसानी से पूरे होने की उम्मीद है।साल 2023 में किसानों को बढ़िया भाव नहीं मिले थे । इसलिए किसान चने की खेती से विमुख हो रहे थे । लेकिन 2024 में मिल रहे बढ़िया भाव के कारण किसान इसके प्रति अधिक आकर्षित हो रहे हैं। चने की फसल की मांग भी स्थिर रहती है, और उम्मीद है कि इस साल भी यह रबी सीजन में किसानों को अच्छे लाभ दे सकती है। 

जौ की बुवाई में भी बढ़ोतरी 
किसान भाइयों, जौ भी एक महत्वपूर्ण रबी फसल है, और इस साल राजस्थान में जौ की बुवाई में वृद्धि देखी गई है। 25 नवंबर तक जौ की बुवाई 2.89 लाख हेक्टेयर तक पहुंची, जो पिछले साल के इस समय 2.26 लाख हेक्टेयर से अधिक है। जौ की बुवाई में वृद्धि से यह स्पष्ट है कि किसान इसके लाभकारी पहलुओं को समझ रहे हैं और भाव के हिसाब से फसल की बुवाई को प्राथमिकता दे रहे हैं। जौ एक मजबूत फसल है और यह कम पानी में उग सकती है, जिससे सूखे क्षेत्रों में किसानों के लिए यह फसल एक अच्छा विकल्प बनती है। जौ की बुवाई में वृद्धि से प्रदेश की कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। 

सरसों की बुवाई में गिरावट
किसान भाइयों, राजस्थान में सरसों की बुवाई में इस साल कुछ गिरावट देखने को मिली है। अगर इस सीजन में सरसों की बुवाई की बात करें तो 25 नवंबर तक 31.64 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है, जो पिछले साल के 39.7 लाख हेक्टेयर से काफी कम है। बुवाई कम रहने का मुख्य कारण तापमान का ऊंचा रहना बताया जा रहा है । किसानो के द्वारा दो दो बार बुवाई करने पर भी सरसों ठीक से नहीं उगी है । आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, इस साल सरसों की बुवाई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है, और उम्मीद की जा रही है कि आगामी समय में बुवाई रकबे में सुधार हो सकता है।साथियो सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है, और इसकी बुवाई में गिरावट चिंता का विषय बन सकती है। बुवाई कम रहने के आँय कारणो में पर्यावरणीय कारक हो सकते हैं, जैसे पानी की कमी या मौसम की स्थिति। हालांकि, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में सरसों की बुवाई को लेकर स्थिति में सुधार होगा और किसान इस फसल की बुवाई में और वृद्धि करेंगे।

अन्य फसलों की बुवाई
किसान साथियों, राजस्थान में गेहूं, चना, जौ, और सरसों के अलावा तिल और अलसी जैसी अन्य रबी फसलों की बुवाई भी इस बार हो रही है। तिल की बुवाई 74,000 हेक्टेयर और अलसी की 10,000 हेक्टेयर में की गई है। इन फसलों की बुवाई में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि किसान इन फसलों को भी कृषि विविधता के रूप में देख रहे हैं। यह छोटे पैमाने पर किसानों को लाभ देने वाली फसलें हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।