मार्च महीने में मात्र 10 किलो बीज़ से कर ले इस चीज की खेती | गर्मियों में बरसेंगे नोट
किसान साथियों, मार्च-अप्रैल के महीनों में, जब रबी फसलों की कटाई समाप्त हो जाती है, तो अधिकांश किसान अपने खेत खाली छोड़ देते हैं। इस समय के दौरान, खेत में कोई नई फसल लगाने का चलन नहीं होता क्योंकि मई-जून में बढ़ती गर्मी के कारण कृषि गतिविधियाँ धीमी हो जाती हैं। लेकिन कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह वह अवधि है जब कुछ विशेष फसलों की बुवाई कर किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। हरा धनिया ऐसी ही एक फसल है, जिसे इस समय बोकर केवल 40-45 दिनों में अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है। गर्मी के मौसम में हरा धनिया की बाजार में मांग तेजी से बढ़ जाती है। इसकी आवक में कमी के चलते, कीमतों में भी तेजी से उछाल देखने को मिलता है। कई बार किसान इस फसल की खेती करके 80 से 150 रुपये प्रति किलो तक के अच्छे भाव पर बिक्री कर लेते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के विशेषज्ञ का मानना है कि मार्च के महीने में कुछ विशेष सब्जियों की खेती करके किसान बड़े पैमाने पर लाभ कमा सकते हैं। हरा धनिया इस संदर्भ में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जल्दी तैयार हो जाती है और इसकी देखभाल में ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती, और ये फायदेमंद साबित होती है।
कैसे करे धनिया के खेती
दोस्तों, हरा धनिया की सफल बुवाई के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तैयारी करना अनिवार्य है। फसल कटाई से कुछ हफ्ते पहले खेत की गहरी जुताई करके या 2-3 बार देशी हल या रोटावेटर चलाकर मिट्टी को नरम और भुरभुरी बनाया जाता है। इससे पुराने फसल अवशेष और खरपतवार हट जाते हैं, जो बीजों के अंकुरण में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके बाद खेत को समतल करें ताकि सिंचाई के समय पानी समान रूप से वितरित हो सके। खेत की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और फसल स्वस्थ तथा हरी-भरी उगती है।
बीज की बुवाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। लगभग 10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बोए जाते हैं ताकि पौधे उचित दूरी बनाए रख सकें और एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा न करें। फरवरी से मार्च के महीने में बुवाई करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है क्योंकि इस अवधि में तापमान और नमी की स्थितियाँ बीजों के लिए अनुकूल होती हैं। बीजों को लगभग 1-2 सेमी गहराई पर लाइनों में बोने से पौधों को आवश्यक स्थान मिलता है, जिससे उनकी वृद्धि सुचारू रूप से हो पाती है।
बीज बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे बीज जल्दी अंकुरित हो जाते हैं। फसल की वृद्धि के दौरान नियमित अंतराल पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और फसल का निरीक्षण करना भी जरूरी होता है। खरपतवार मिट्टी के पोषक तत्वों और पानी को अपने पास ले लेता है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना फसल के लिए लाभकारी होता है। साथ ही, समय-समय पर रोग और कीटों के प्रकोप से बचाव के लिए जैविक या रासायनिक नियंत्रण विधियों का भी सहारा लिया जाता है।
कैसे करे अन्य प्रबंधन
दोस्तों, धनिया की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी और संतुलित खाद प्रबंधन बेहद जरूरी है। हरा धनिया की फसल से एक ही सीजन में कई बार कटाई की जा सकती है, क्योंकि पहली कटाई के बाद पौधे फिर से जल्दी उग आते हैं। कटाई के तुरंत बाद फसल की ताजगी बनाए रखने और उसे बाज़ार या घरेलू उपयोग के लिए तैयार करने के उपाय भी किए जाते हैं। जैविक खाद के रूप में 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट प्रति एकड़ खेत में मिलाएं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े और फसल की वृद्धि अच्छी हो। फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले खेत में डालें, जबकि नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष आधी मात्रा 25-30 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। मिट्टी की जांच के अनुसार यदि जरूरी हो तो जिंक सल्फेट और सल्फर का भी प्रयोग करें। फसल के विकास के दौरान सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे बोरॉन और फेरस सल्फेट का छिड़काव करें, जिससे पौधों की वृद्धि स्वस्थ बनी रहे। सिंचाई प्रबंधन पर भी ध्यान दें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, ताकि अधिक नमी से जड़ गलन जैसी समस्याएं न हों।
कीट और रोगों से बचाने के लिए सही प्रबंधन
हरे धनिया की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए सही प्रबंधन आवश्यक है। कुछ प्रमुख कीटों में माहू, फली छेदक और सफेद मक्खी शामिल हैं। माहू छोटे हरे या काले रंग के कीट होते हैं जो पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। इसका प्रबंधन करने के लिए नीम तेल का छिड़काव करें या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL का प्रयोग करें। फली छेदक कैटरपिलर के रूप में पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचाता है, जिसे बैसिलस थुरिंजिएन्सिस (Bt) या स्पिनोसैड 45% SC के छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है। सफेद मक्खी भी एक प्रमुख कीट है जो वायरस फैलाती है, इसे रोकने के लिए खेत में खरपतवार न रखें और थायोमेथोक्साम 25% WG का छिड़काव करें।
रोगों की बात करें तो झुलसा रोग, चूर्णी फफूंदी और जड़ गलन धनिया की फसल के लिए नुकसानदायक होते हैं। झुलसा रोग में पत्तियों और तनों पर काले धब्बे दिखते हैं, जिसे रोकने के लिए बीजोपचार करें और मैन्कोज़ेब 75% WP का छिड़काव करें। चूर्णी फफूंदी में पत्तियों पर सफेद पाउडर बनता है, जिसके नियंत्रण के लिए सल्फर 80% WP या ट्राइकोडर्मा विरिडी का छिड़काव करें। जड़ गलन के कारण पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधा सूख जाता है, इससे बचने के लिए मिट्टी में अधिक नमी न होने दें और कार्बेन्डाजिम 50% WP का छिड़काव करें।
कुल मिलाकर, हरा धनिया की खेती किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली एक आकर्षक फसल है। इसके संक्षिप्त विकास काल के कारण, किसान गेहूं की कटाई के बाद आसानी से इसे बो सकते हैं और फसल तैयार होते ही कई बार कटाई करके अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।