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# गेहूं के इस बीज़ से मिली बम्पर पैदावार | उत्पादन देख पड़ौसियों ने दबाई दांतों तले उंगली

गेहूं के इस बीज़ से मिली बम्पर पैदावार | उत्पादन देख पड़ौसियों ने दबाई दांतों तले उंगली
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किसान साथियों मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के पाटन विकासखंड स्थित कुकरभुका गांव के प्रगतिशील किसान अर्जुन पटेल ने गेहूं की खेती में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने एक हेक्टेयर भूमि में 73 क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर दिखाया, जो कि सामान्य उत्पादन से काफी अधिक है। आमतौर पर जबलपुर जिले में प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल गेहूं निकलता है, लेकिन अर्जुन पटेल ने नवीन तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग कर इस औसत को काफी पीछे छोड़ दिया। उनके इस उपलब्धि की पुष्टि कृषि विभाग द्वारा किए गए निरीक्षण में भी हुई। अर्जुन पटेल का कहना है कि इस बार उन्होंने पारंपरिक खेती के तरीकों से हटकर कुछ नई तकनीकों को अपनाया, जिससे उन्हें यह अभूतपूर्व सफलता मिली। खेती में नई तकनीकों और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के चयन ने उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस रिकॉर्ड उत्पादन के बाद कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय किसानों में अर्जुन पटेल की इस उपलब्धि को लेकर चर्चा हो रही है, क्योंकि यह एक नई दिशा में खेती के लिए प्रेरणा देने वाला उदाहरण बन गया है।

करनाल के विशेष बीज से बेहतर उत्पादन

अर्जुन पटेल के इस रिकॉर्ड उत्पादन के पीछे सबसे बड़ी भूमिका उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए उन्नत बीजों की रही। उन्होंने गेहूं की डीबी डब्ल्यू 377 वैरायटी का उपयोग किया, जिसे उन्होंने पंजाब के करनाल स्थित कृषि अनुसंधान परिषद से मंगाया था। यह एक ब्रीडर सीट वैरायटी है, जिसे उच्च उत्पादन क्षमता के लिए विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बीज का चयन करने से पहले उन्होंने इसकी विशेषताओं को विस्तार से जाना और पारंपरिक बीजों की तुलना में इसे अधिक उत्पादक पाया। परंपरागत रूप से उपयोग किए जाने वाले बीजों से इतनी अधिक उपज नहीं मिलती थी, इसलिए उन्होंने अपनी खेती पद्धति में सुधार करने के लिए बीज बदलने का निर्णय लिया। इस फैसले के परिणामस्वरूप, कम बीज का उपयोग करने के बावजूद उन्होंने अत्यधिक उत्पादन हासिल किया। आमतौर पर किसान एक हेक्टेयर खेत में अधिक मात्रा में बीज डालते हैं, लेकिन अर्जुन पटेल ने सिर्फ 30 किलो बीज का उपयोग किया और फिर भी रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त किया। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सिर्फ अधिक बीज डालने से ही नहीं, बल्कि सही बीज के चयन और उन्नत तकनीक के प्रयोग से ही बेहतर उत्पादन संभव है।

रेज्ड बेड पद्धति से खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन

गेहूं उत्पादन में इस ऐतिहासिक बढ़ोतरी का एक और महत्वपूर्ण कारण अर्जुन पटेल द्वारा अपनाई गई रेज्ड बेड पद्धति भी रही। इस तकनीक के तहत उन्होंने खेत में उभरी हुई क्यारियों पर बीज बोया और फसल के बेहतर विकास के लिए कतारों के बीच कुछ स्थान खाली छोड़ा। इससे पौधों को आवश्यक मात्रा में हवा, धूप और पोषक तत्व मिल सके। पारंपरिक खेती में अक्सर देखा जाता है कि अत्यधिक घनी बुआई के कारण पौधों को पर्याप्त स्थान नहीं मिलता, जिससे उनकी वृद्धि प्रभावित होती है। अर्जुन पटेल ने इस समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए और प्रत्येक पौधे को बेहतर पोषण मिलने की व्यवस्था की। इस तकनीक से न केवल पैदावार बढ़ी, बल्कि जल प्रबंधन भी अधिक प्रभावी हो गया। खेतों में जलभराव से बचने के लिए उन्होंने उचित ड्रेनेज सिस्टम का उपयोग किया, जिससे फसल को पर्याप्त नमी मिलती रही, लेकिन अतिरिक्त पानी जमा नहीं हुआ। इस प्रकार की वैज्ञानिक पद्धति के कारण उत्पादन दर दोगुनी हो गई और गुणवत्ता भी पारंपरिक गेहूं की तुलना में काफी बेहतर रही।

कृषि विभाग की पुष्टि और विशेषज्ञों की राय

अर्जुन पटेल के इस असाधारण उत्पादन की पुष्टि जबलपुर के कृषि विभाग ने भी की। कृषि अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी के नेतृत्व में एक टीम ने उनके खेत का निरीक्षण किया और वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया। उन्होंने 5 वर्ग मीटर क्षेत्र की कटाई करवाई, जिसमें 18 किलो 424 ग्राम गेहूं प्राप्त हुआ। इस गणना के अनुसार, पूरे एक हेक्टेयर का उत्पादन लगभग 73 क्विंटल बैठता है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि अर्जुन पटेल द्वारा किया गया दावा सही था। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के प्रयोग किसानों के लिए नए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। जबलपुर के जिला कृषि अधिकारी एस.के. निगम ने कहा कि अर्जुन पटेल की इस पद्धति को अन्य किसानों को भी अपनाना चाहिए, जिससे वे कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकें। वर्तमान में, सामान्य किसान प्रति हेक्टेयर 40 से 50 क्विंटल गेहूं ही निकाल पा रहे हैं, जबकि अर्जुन पटेल ने 73 क्विंटल गेहूं पैदा कर एक मिसाल कायम की है। इस रिकॉर्ड उत्पादन से प्रेरित होकर अब अन्य किसान भी इस तकनीक को अपनाने के लिए उत्सुक हैं और कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श ले रहे हैं।

  नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।