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इस तरीके से डालें गेहूं में पोटाश | उत्पादन के टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड

गेहूं में पोटाश डालने से पहले ये रिपोर्ट जरूर देख लेना
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गेहूं में पोटाश डालने का सही समय और सही तरीका क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में।

राम राम किसान भाइयों! आज हम बात करेंगे गेहूं की फसल में पोटाश के उपयोग के बारे में, जो कि किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। दोस्तों जैसे-जैसे गेहूं की फसल का विकास होता है, सही खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल उसकी गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है। अन्य पोषक तत्वों की तरह पोटाश भी गेहूं की फसल के लिए एक बहुत ही आवश्यक पोषक तत्व है, जिसका सही समय पर सही मात्रा में इस्तेमाल करने से पैदावार में शानदार वृद्धि होती है। हम जानते हैं कि इस समय गेहूं की फसल के लगभग 30 से 40 दिन की हो चुकी हैं और कुछ क्षेत्रों में तो गेहूं की बालियां निकलने शुरू हो गई हैं। इसलिए गेहूं की फसल में यह समय पोटाश देने का सही समय है, ताकि बालियां अच्छी तरह से विकसित हो और दाना मोटा और वजनदार बने। पोटाश की कमी से गेहूं की बालियां छोटी और दाना पतला होता है, जिससे फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। आइए, अब हम विस्तार से जानेंगे कि पोटाश कब, कितनी मात्रा में और किस तरीके से डालनी चाहिए। तो चलिए इसको सही तरीके से जानने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

पोटाश का महत्व

किसान साथियों, पोटाश गेहूं की फसल के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह पौधों में जल, पोषक तत्वों की अवशोषण क्षमता को बढ़ाता है और पौधे की कोशिकाओं को मजबूत करता है। पोटाश से गेहूं के दाने में चमक आती है और उनका आकार भी बढ़ता है। इसके अलावा, पोटाश से पौधों में रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है। यदि पोटाश की कमी होती है, तो गेहूं की बालियां छोटी और पतली होती हैं और दाना भी कमजोर होता है। यही कारण है कि किसान भाइयों को गेहूं की फसल में पोटाश का सही तरीके से उपयोग करना आवश्यक है।

पोटाश डालने का सही समय

किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पोटाश डालने का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर, पोटाश को दो बार डालने की सलाह दी जाती है। पहली बार बुवाई के समय – जब आप गेहूं की बुवाई करते हैं, तो उस समय पोटाश का उपयोग करना फायदेमंद होता है। बुवाई के समय पोटाश डालने से पौधों की जड़ों को मजबूत बनने में मदद मिलती है, जिससे पौधों की वृद्धि बेहतर होती है। इसके अलावा, गेहूं की फसल में पोटाश दूसरी बार गबोना (बाली निकलने से पहले) – जब गेहूं की फसल गबोना अवस्था में पहुंचने वाली होती है, यानी बालियां निकलने से लगभग 4-5 दिन पहले, उस समय पोटाश डालना बेहद जरूरी होता है। इस समय पोटाश का उपयोग करने से बालियां लंबी और मोटी होती हैं, और दाना भी भारी और मजबूत बनता है। अगर इन समय पर आप गेहूं की फसल में पोटाश की सही मात्रा में डालते हैं तो निश्चित ही आपकी फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है और फसल की गुणवत्ता भी शानदार बनती है।

पोटाश की मात्रा

किसान साथियों, अब बात करते हैं कि गेहूं की फसल में पोटाश कितनी मात्रा में डालनी चाहिए। असल में पोटाश डालने की मात्रा मिट्टी की स्थिति और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। पोटाश बाजार में दो तरह की मिलती है। लेकिन साधारण तौर पर सबसे आम और प्रभावी तरीका म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का होता है, जिसकी मात्रा और विधि इस प्रकार है:

म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)
दोस्तों, म्यूरेट ऑफ पोटाश एक दानेदार खाद होती है जो पोटाश का सबसे अच्छा स्रोत मानी जाती है। इसका उपयोग करने के लिए आपको 25 किग्रा प्रति एकड़ की मात्रा में इसे डालना चाहिए। इसकी 5 किलो की मात्रा को आप बिजाई के समय खेत में डालें और बची हुई मात्रा को बाद में बालियां निकलने से पहले खेत के अंदर डालें। यह खाद आपके खेत की फसल में पोटाश की कमी को पूरा करती है और बालियों को लंबा और मोटा बनाने में मदद करती है। ध्यान रखें कि इस खाद को यूरिया या अन्य खादों के साथ मिलाकर न डालें, क्योंकि इस समय पर गेहूं की फसल को पोटाश की ही सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। और इसे अन्य खादों के साथ मिलाकर डालने से इसके फसल पर कुछ हानिकारक प्रभाव भी दिखाई दे सकते हैं।

स्प्रे का तरीका (Liquid Spray)
किसान साथियों, यदि आप दानेदार पोटाश का उपयोग नहीं करना चाहते या उसे खेत में फैलाना कठिन हो, तो आप सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP) का लिक्विड स्प्रे भी कर सकते हैं। इसके लिए 1 किलोग्राम प्रति एकड़ SOP की आवश्यकता होती है। इस स्प्रे को 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। यह छिड़काव आपकी गेहूं की फसल में पोटाश की कमी को पूरा करने में अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। साथ ही, आप इस स्प्रे में 100 ग्राम बोरॉन भी मिला सकते हैं, जो पौधों की वृद्धि और दाने के विकास को और भी बेहतर बनाता है।

पोटाश के स्प्रे का तरीका

किसान भाइयों, अगर आप पोटाश का स्प्रे करना चाहते हैं तो इसके लिए सही समय और विधि का पालन करना जरूरी है। जब आपके खेत में गेहूं की बालियां 50% से 60% तक निकल चुकी हों, तब आपको इस स्प्रे का उपयोग करना चाहिए। इसके बाद अगर आप स्प्रे करेंगे तो उतने अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं, जितने पहले मिलते हैं। क्योंकि पोटाश का स्प्रे करने से गेहूं के पौधों के तनों को मजबूती मिलती है, जिससे हल्की बारिश या हवा से पौधा गिरता नहीं है। साथ ही, दाने में अच्छे से फुलाव होता है और वो वजनदार बनते हैं। यदि आप बालियां निकालने के बाद इसका स्प्रे करते हैं तो आपको फसल में कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए यदि आपको अपनी फसल में बालियां बड़ी और संख्या में बढ़ानी हैं तो समय पर इसका छिड़काव करें।

पोटाश के लाभ

किसान भाइयों, अन्य पोषक तत्वों की तरह ही गेहूं की फसल के लिए पोटाश भी एक आवश्यक पोषक तत्व है। इसके उपयोग से गेहूं की फसल में अत्यधिक लाभ मिलता है। पोटाश के उपयोग से गेहूं के दानों की चमक बढ़ती है, और बालियां लंबी और स्वस्थ बनती हैं, जिससे गेहूं की फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा पोटाश की मात्रा गेहूं के दानों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाती है, जिसके कारण गेहूं की रोटियां खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट बनती हैं। पोटाश पौधों के तनों की वृद्धि को भी तेज करता है, क्योंकि पोटाश के कारण पौधों की जड़ों का विकास होता है। पोटाश गेहूं की फसल को सूखे से बचाता है। पोटाश के कारण पौधों को प्रकाश संश्लेषण और भोजन निर्माण में मदद मिलती है। पोटाश में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जो फसल को रोगों से बचाने में सहायता करती है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।