देसी चना बाजार में मंदी के बादल छंटने की उम्मीद।जानिए कितनी बढ़ेगी आगे कीमतें
किसान साथियों, भारतीय दलहन बाजार में पिछले कुछ समय से देसी चना समेत अन्य दालों की कीमतों में मंदी का दौर चल रहा था। इसकी सबसे बड़ी वजह रुपए की कमी और आयातित माल के दबाव को माना जा रहा था। लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं। क्योंकि उत्पादक मंडियों में देसी चने की आवक कम हो गई है, और ऑस्ट्रेलिया से आने वाला माल भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इससे बाजार में एक नई उम्मीद जगी है कि आने वाले दिनों में देसी चना महंगा हो सकता है। देसी चने का उत्पादन इस साल कई राज्यों में कम हुआ है। जहां सरकार का अनुमान 110 लाख मीट्रिक टन का था, वहीं असल उत्पादन 80 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही रहने की संभावना है। यह हमारी जरूरत से काफी कम है। ऐसे में, अगर मांग बढ़ती है, तो कीमतों में तेजी आ सकती है। लेकिन फिलहाल, रुपए की कमी और व्यापारियों की खरीदारी क्षमता घटने के कारण बाजार सुस्त चल रहा है। चने के बाजार को और सही ढंग से समझने के लिए चलिए चने के बाजार पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
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देसी चना में मंदी का कारण
पिछले कुछ महीनों से देसी चना के भाव लगातार नीचे बने हुए थे। इसकी कई वजहें थीं, जिसमें बाजार में कैश फ्लो की दिक्कत होने से व्यापारियों ने कम खरीदारी की। इसके अलावा इसराइल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण आयातित माल का दबाव भी स्पष्ट दिखाई दिया। साथ ही ऑस्ट्रेलिया से आए चने की वजह से घरेलू बाजार में सप्लाई ज्यादा हो गई थी। इसके अतिरिक्त फॉरवर्ड ट्रेडिंग में घाटा भी कीमतों में गिरावट का एक प्रमुख कारण रहा। कई व्यापारियों ने फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में माल बेच दिया था, लेकिन बाद में कीमतें गिरने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।
स्थिति में बदलाव की उम्मीद
दोस्तों, मौजूदा बाजार की स्थिति को देखते हुए अनुमान यही लगाया जा रहा है कि फिलहाल चने में मंदी की और गुंजाइश नहीं है क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई चना खत्म हो रहा है: मुंद्रा पोर्ट पर जमा ऑस्ट्रेलियाई चना अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इससे घरेलू बाजार पर दबाव कम होगा। इसके अलावा घरेलू बाजारों में देसी चने की आवक में भी कमी आई है। राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में चने की सप्लाई कम हुई है। इसका प्रमुख कारण उत्पादन में आई कमी को बताया जा रहा है। इस साल दाने छोटे होने की वजह से पैदावार घटी है, जिससे बाजार में सप्लाई कम रहने की संभावना है। जिसके कारण चने की कीमतों में तेजी की संभावना बन रही है। इसके अलावा त्योहारी सीजन में बेसन की खपत को देखते हुए आपूर्ति में कमी होने के कारण चने की कीमतों में तेजी की उम्मीद की जा रही है। वहीं ऑस्ट्रेलिया से आने वाले काले चने पर 10% कस्टम ड्यूटी लगने के बाद, उसकी कीमतें बढ़ गई हैं। पहले ऑस्ट्रेलियाई चना देसी चने से सस्ता बिकता था, लेकिन अब यह ऊंचे भाव पर मिल रहा है। इन सभी कारणों से लगता है कि अब देसी चना में मंदी का दौर खत्म होने वाला है और आगे कीमतों में सुधार हो सकता है।
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मंडी भाव
अगर आज के चने के भाव की बात करें तो दाहोद मंडी में चना भाव ₹5450 से ₹5475 रहा। जयपुर मंडी में चना भाव ₹5775 दर्ज हुआ। चरखी दादरी मंडी में चना भाव ₹5575 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जबकि दिल्ली में यही भाव ₹5775 रहा। जोधपुर मंडी में चना भाव ₹4700 से ₹5250 रहा और कुल आवक 125 बोरी रही। कोलकाता मंडी में ऑस्ट्रेलियन चना ₹5900 पर बिका। गंजबसौदा मंडी में चना भाव ₹5250 से ₹5450 रहा, जिसमें ₹50 की मंदी देखी गई और कुल आवक 2000 बोरी रही। अलीराजपुर मंडी में चना ₹5200 पर बिका। जोबट मंडी में ₹5400 और छतरपुर मंडी में भी चना ₹5200 रहा। अकोला बिल्टी में नया मिक्स सेल्टेड चना ₹5800 पर रहा (₹50 मंदी), जबकि मिक्स बेस्ट ₹5750 रहा (₹50 मंदी)। लातूर मंडी में अन्नागिरी चना ₹5500 से ₹5650 और विजया चना ₹5700 से ₹5800 रहा, जहाँ कुल आवक 2000 से 2500 बोरी रही। राजकोट मंडी में देसी चना ₹5000 से ₹5400, काटेवाला ₹5500 से ₹5600 और काबुली चना ₹7500 से ₹9500 रहा, यहाँ आवक 1200 बोरी (100 किग्रा) की रही।
काबुली चना
दोस्तों, फिलहाल काबुली चना के बाजार में भी गिरावट देखी गई है। इसकी मुख्य वजह है मटर के आयात का एक्सटेंशन। क्योंकि सरकार ने मटर के आयात पर लगी पाबंदी को बढ़ा दिया है, जिससे काबुली चना की मांग कम हुई है। जिसके कारण ग्राहकों की कमी होने से बाजार में खरीदारी का दबाव नहीं है, इसलिए कीमतें 62-66 रुपए प्रति किलो तक गिर गई हैं। हालांकि फिलहाल काबुली चने में तेजी की उम्मीद नहीं है, लेकिन मंदी का दौर खत्म हो चुका है। कुछ राज्यों से आवक कम होने और बाजार में बिकवाली का दबाव घटने से कीमतों में स्थिरता आ सकती है।
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घरेलू बाजार के हालात:
दोस्तों, अगर घरेलू बाजारों की बात करें तो इस समय एक्सचेंज में बहुत ही कम काम हो रहा है क्योंकि उत्पादक राज्यों में चने का उत्पादन बहुत कम हुआ है। अगर क्वालिटी से बात करें तो दाने छोटे होने से पैदावार प्रभावित हुई है। जिसके कारण घरेलू बाजारों में चने की मांग बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। जैसे ही दाल और बेसन मिलों की खरीदारी बढ़ेगी, बाजार में तेजी आ सकती है। फिलहाल, राजस्थानी चना 5750 रुपए प्रति क्विंटल और ऑस्ट्रेलियाई चना 5800 रुपए के भाव पर ट्रेड कर रहा है। मध्य प्रदेश की मिलें भी अब ज्यादा कीमत देकर खरीद रही हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है। कुल मिलाकर बाजार से यही संकेत मिल रहे हैं कि देसी चना और अन्य दालों में मंदी का दौर अब खत्म हो चुका है। आवक कम होने, ऑस्ट्रेलियाई माल के धीरे-धीरे खत्म होने और घरेलू उत्पादन में कमी के कारण आने वाले दिनों में कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, फिलहाल रुपए की कमी और व्यापारियों की खरीदारी क्षमता पर नजर रखनी होगी। अगर आप दलहन बाजार से जुड़े हैं या निवेश करना चाहते हैं, तो इन बदलते ट्रेंड्स पर करीब से नजर रखें। व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।