प्रॉपर्टी में हिस्से को लेकर क्या है कानून | जाने इस रिपोर्ट में
प्रॉपर्टी में हिस्से को लेकर क्या है कानून | जाने इस रिपोर्ट में
दोस्तों, हमारे समाज में पैतृक संपत्ति को लेकर अक्सर विवाद होते रहते हैं, खासकर तब जब परिवार में संपत्ति का बंटवारा होता है। विशेष रूप से संयुक्त परिवारों में यह मुद्दा और भी जटिल हो सकता है, क्योंकि यहां कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। जैसा कि हम जानते हैं, दादा-परदादा की संपत्ति में आजकल हर किसी को हिस्सा मिलने की संभावना होती है, लेकिन यह हमेशा समान नहीं होता। कई बार, किसी को ज्यादा हिस्सा मिलता है तो किसी को कम। ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे का कानून क्या है, आइए जानते हैं। हमारे देश में प्रॉपर्टी के बंटवारे के दौरान अक्सर यह सवाल सामने आता है कि किसी को ज्यादा और किसी को कम हिस्सा क्यों मिलता है। यह सवाल खासतौर पर तब उठता है जब परिवार के भीतर कई पीढ़ियां शामिल होती हैं। सबसे अहम बात यह है कि पैतृक संपत्ति का बंटवारा पारिवारिक संरचना, उत्तराधिकारियों की संख्या और अन्य कानूनी प्रावधानों पर निर्भर करता है। इसके अलावा, वसीयत (Will) के प्रावधान भी इस बंटवारे को प्रभावित करते हैं। पैतृक संपत्ति का बंटवारा एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जो परिवार के भीतर कई विवादों का कारण बन सकती है। चाहे परिवार संयुक्त हो या न्यूक्लियर, संपत्ति का बंटवारा हमेशा उस परिवार की संरचना, कानून और वसीयत के आधार पर तय होता है। इस प्रक्रिया में किसी को ज्यादा हिस्सा मिलता है, तो किसी को कम, और यह पूरी तरह से कानूनी नियमों और परिवार के पारंपरिक तरीके पर निर्भर करता है। अगर वसीयत बनायी जाए तो विवादों से बचा जा सकता है, और संपत्ति का बंटवारा सुस्पष्ट और न्यायपूर्ण तरीके से हो सकता है। आइए इस पैतृक संपत्ति के बंटवारे को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
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पैतृक संपत्ति का बंटवारा
दोस्तों, पैतृक संपत्ति का बंटवारा उस समय की पारिवारिक स्थिति और संरचना पर निर्भर करता है। आमतौर पर भारत में जो पारिवारिक व्यवस्था है, उसमें संयुक्त परिवार की परंपरा रही है। इस परंपरा में एक ही घर में कई पीढ़ियां रहती थीं, और संपत्ति का बंटवारा बहुत ही व्यवस्थित तरीके से किया जाता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है और न्यूक्लियर फैमिली (nuclear family) का चलन बढ़ रहा है, पैतृक संपत्ति के बंटवारे में विवाद भी बढ़ रहे हैं। पारंपरिक रूप से, दादा-परदादा से शुरू होकर संपत्ति बंटती है। मान लीजिए, परदादा के पास 100 एकड़ जमीन थी। यह संपत्ति उनके दो बेटों के बीच बंटी, यानी 50-50 प्रतिशत। फिर जब दादा की बारी आई, तो उनके दो बेटे थे, और अब यह संपत्ति तीन हिस्सों में बंटी। इस तरह से, संपत्ति का हिस्सा घटता जाता है क्योंकि हर पीढ़ी के बाद नए उत्तराधिकारी जुड़ते हैं।
कानूनी प्रावधान
साथियों, जब पैतृक संपत्ति का बंटवारा होता है, तो कई कानूनी प्रावधान इसे नियंत्रित करते हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के तहत, संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकारियों के बीच किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने वसीयत नहीं बनाई है, तो संपत्ति का बंटवारा स्वाभाविक रूप से उसके परिवार के सभी उत्तराधिकारियों के बीच होगा। यदि वसीयत बनाई गई है, तो संपत्ति उस वसीयत के अनुसार ही बंटेगी। वसीयत में व्यक्ति यह निर्धारित कर सकता है कि वह अपनी संपत्ति को किसे देना चाहता है। अगर किसी ने वसीयत बनाई है, तो उसके बाद कोई अन्य दावेदार इस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। हालांकि, अगर वसीयत नहीं बनती, तो भारतीय कानून के तहत उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। यह बंटवारा तब व्यक्तिगत संबंधों और कानूनी अधिकारों के आधार पर होता है।
क्यों मिलता है कम और ज्यादा हिस्सा
दोस्तों, आपने देखा होगा कि कई बार किसी परिवार में एक ही पीढ़ी के लोग होते हुए भी उनके हिस्से अलग-अलग होते हैं। इसका कारण परिवार की संरचना और बंटवारे के तरीके पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पिता के पास 100 एकड़ जमीन थी और उन्होंने अपनी संपत्ति दो भाईयों में बांटी, तो हर भाई को 50 प्रतिशत मिलेगा। लेकिन अगर आपके पिता का एक भाई और एक बहन हैं, तो अब उनकी संपत्ति तीन हिस्सों में बांटी जाएगी। फिर, आप और आपके दो सगे भाई मिलकर अपना हिस्सा 25-25 प्रतिशत करेंगे। इस प्रकार, संपत्ति का बंटवारा पीढ़ी दर पीढ़ी घटता जाता है। इसके अलावा, बंटवारे में वसीयत भी एक बड़ा प्रभाव डालती है। अगर किसी व्यक्ति ने अपनी संपत्ति को एक विशेष व्यक्ति को देने की इच्छा जताई है, तो वह व्यक्ति पूरी संपत्ति का मालिक बन सकता है, भले ही अन्य परिवार के सदस्य इसके खिलाफ हों। इसी कारण से कई बार बंटवारा असमान नजर आता है।
वसीयत और संपत्ति का बंटवारा
दोस्तों, सबसे पहले तो आपको यह पता होना चाहिए कि वसीयत क्या है, इसलिए हम आपको बता दें कि वसीयत (Will) एक कानूनी दस्तावेज है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के बंटवारे के बारे में निर्देश देता है। वसीयत में यह साफ तौर पर लिखा होता है कि उसके मरने के बाद उसकी संपत्ति किसे मिलेगी और किसे नहीं। अगर वसीयत में किसी को पूरी संपत्ति दी गई है, तो वह कानूनी रूप से मान्य होता है, और कोई अन्य सदस्य इस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। इस प्रकार वसीयत लिखने से परिवार में विवादों को सुलझाया जा सकता है और संपत्ति का बंटवारा साफ-साफ निर्धारित हो जाता है।
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हिंदू और मुस्लिम उत्तराधिकार अधिनियम
दोस्तों, पैतृक संपत्ति को लेकर अलग-अलग धर्म के भी अलग-अलग कानून बनाए गए हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के तहत, संपत्ति का बंटवारा परिवार के पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से किया जाता है। हालांकि, मुस्लिम समाज में संपत्ति के बंटवारे का तरीका अलग होता है। मुस्लिम समुदाय में संपत्ति का बंटवारा शरिया कानून के तहत किया जाता है, जिसमें बेटों और बेटियों को निश्चित हिस्से में संपत्ति मिलती है। इस बंटवारे के नियम भी स्पष्ट होते हैं, जो किसी प्रकार के विवाद को कम करते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।