हरियाणा में बदला लड़का लड़की का लिंगानुपात | जानिए किस जिले की क्या है पोजिशन
दोस्तों अब हरियाणा में लिंगानुपात को लेकर लगातार सुधार देखने को मिल रहा है, और इसी कड़ी में जींद जिला इस साल अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में जींद का लिंगानुपात 955 था, जो फरवरी में बढ़कर 962 तक पहुंच गया। इस बढ़ोतरी को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि जिले में बेटियों के जन्म को लेकर जागरूकता बढ़ी है और भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों पर नियंत्रण पाने की दिशा में प्रगति हो रही है। प्रशासन के अनुसार, इस सुधार के पीछे कई योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, जन जागरूकता अभियानों और स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता के कारण जिले में लिंगानुपात में सुधार दर्ज किया गया है। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि प्रशासन का मुख्य लक्ष्य लोगों को यह समझाना है कि बेटा और बेटी के बीच कोई फर्क नहीं होना चाहिए। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों के चलते लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है, जिसका असर इन आंकड़ों में साफ झलक रहा है।
कौनसा जिला बना शीर्ष जिला
फरवरी 2025 के लिंगानुपात के आंकड़ों के अनुसार, यमुनानगर प्रदेश में सबसे शीर्ष स्थान पर रहा, जहां लिंगानुपात 995 दर्ज किया गया। यह आंकड़ा हरियाणा के औसत लिंगानुपात से कहीं बेहतर है और जिले में लैंगिक समानता की दिशा में हो रहे प्रयासों को दर्शाता है। दूसरे स्थान पर फतेहाबाद रहा, जहां लिंगानुपात 992 दर्ज किया गया। यह भी एक सराहनीय उपलब्धि है, जो दर्शाती है कि वहां बेटियों के जन्म को लेकर जागरूकता और सामाजिक स्वीकृति में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अन्य जिलों में भी संतोषजनक प्रदर्शन देखने को मिला। झज्जर जिला 976 के लिंगानुपात के साथ तीसरे स्थान पर रहा, जबकि भिवानी 967 के लिंगानुपात के साथ चौथे स्थान पर रहा। इसके बाद 966 के लिंगानुपात के साथ कुरुक्षेत्र पांचवें स्थान पर और जींद 962 के लिंगानुपात के साथ छठे स्थान पर रहा। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि हरियाणा के कई जिलों में बेटियों के जन्म को लेकर सकारात्मक माहौल बना है और लोग भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाओं को त्यागने की ओर अग्रसर हैं।
चरखी दादरी सबसे निचले स्थान पर
हरियाणा में जहां कुछ जिलों ने लिंगानुपात सुधारने में सफलता हासिल की है, वहीं कुछ जिलों की स्थिति अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। इस संदर्भ में, चरखी दादरी जिला सबसे निचले पायदान पर है, जहां लिंगानुपात मात्र 770 दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस जिले में अभी भी बेटियों के जन्म को लेकर आज भी समाज में असमानता की मानसिकता बनी हुई है। प्रशासन द्वारा इस स्थिति में सुधार लाने के लिए व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। यदि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह जिले के समग्र सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
गुरुग्राम से लेकर रोहतक तक की स्थिति
हरियाणा में ऐसे कई जिले हैं, जिनका लिंगानुपात 900 से कम है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन जिलों में अभी भी लिंगानुपात को सुधारने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। इन जिलों में गुरुग्राम, कैथल, करनाल, पलवल, रेवाड़ी और रोहतक शामिल हैं। गुरुग्राम जिले का लिंगानुपात 876 दर्ज किया गया, जो राज्य की आर्थिक राजधानी होते हुए भी चिंता का विषय है। वहीं, कैथल का लिंगानुपात 867, करनाल का 891, पलवल का 870, रेवाड़ी का 860 और रोहतक का 878 रहा। फरीदाबाद भी इस सूची में शामिल रहा, जहां लिंगानुपात 885 दर्ज किया गया। इन जिलों में लिंगानुपात कम होने के पीछे सामाजिक कारणों के अलावा आर्थिक और शहरीकरण के प्रभाव भी देखे जा सकते हैं। आधुनिकता के बावजूद, कुछ परिवार अब भी बेटों को प्राथमिकता देते हैं और लिंग परीक्षण जैसी अवैध प्रक्रियाओं का सहारा लेते हैं। सरकार द्वारा इन जिलों में बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजनाएं लागू करनी चाहिए, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।