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गेहूं खऱीद को लेकर यूपी के किसानों के लिए नयी अपडेट | अब मिलेगा इतना रेट

गेहूं खऱीद को लेकर यूपी के किसानों के लिए नयी अपडेट | अब मिलेगा इतना रेट
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किसान साथियों और व्यापारी भाइयों उत्तर प्रदेश में इस वर्ष रबी विपणन सत्र 2025-26 के अंतर्गत गेहूं की सरकारी खरीद 17 मार्च से शुरू होने जा रही है। सरकार ने इस बार किसानों को अधिक लाभ देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है। 2024 में गेहूं की खरीद 2275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से हुई थी, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने इसमें 150 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यह खरीद प्रक्रिया 15 जून तक चलेगी और किसानों को उनके गेहूं का भुगतान अधिकतम 48 घंटों के भीतर उनके बैंक खातों में कर दिया जाएगा।
सरकार द्वारा इस बार कुल 6500 खरीद केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जहां पर किसान अपने गेहूं को बेच सकेंगे। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ बिचौलियों को हटाकर सीधा भुगतान सुनिश्चित करना भी है। किसानों की सुविधा के लिए इस बार पहली बार मोबाइल खरीद केंद्रों की भी शुरुआत की जा रही है, जिससे दूर-दराज के इलाकों के किसान भी आसानी से अपनी फसल बेच सकेंगे।

नवीनतम तकनीक से खरीद प्रक्रिया 

साथियों इस वर्ष गेहूं खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक प्वॉइंट ऑफ परचेज (ई-पॉप) मशीनों का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इस तकनीक के माध्यम से किसानों का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण किया जाएगा और उसके बाद ही उनकी फसल की खरीद सुनिश्चित होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि खरीद केवल वास्तविक किसानों से हो रही है और किसी भी प्रकार की धांधली न हो। ई-पॉप मशीनों के माध्यम से की गई खरीद को ही मान्यता दी जाएगी। इसके अलावा, मोबाइल क्रय केंद्रों पर होने वाली प्रत्येक खरीद का भौगोलिक स्थान (latitude-longitude) भी दर्ज किया जाएगा, जिससे यह ट्रैक किया जा सकेगा कि कौन सा किसान किस स्थान से अपनी उपज बेच रहा है। इस पूरी प्रक्रिया से किसानों को अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा मिलेगी, और बिचौलियों के हस्तक्षेप की संभावना भी समाप्त हो जाएगी।

बटाईदार किसानों और ट्रस्टों को भी मिलेगा लाभ

दोस्तों पहली बार बटाईदार किसानों और पंजीकृत ट्रस्टों को भी गेहूं बेचने की अनुमति दी गई है। बटाईदार किसानों को अपनी भूमि के स्वामी (भूस्वामी) के साथ एक लिखित सहमति पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके आधार पर भू-अभिलेखों का सत्यापन किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित किसानों के आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा, जिसे दर्ज करने के बाद ही वे पंजीकरण करा सकेंगे।इसी तरह, पंजीकृत ट्रस्टों को भी गेहूं बेचने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए सत्यापित खतौनी, भू-अभिलेख, ट्रस्ट संचालक या अधिकृत प्रतिनिधि के आधार कार्ड की जानकारी अनिवार्य होगी। इन सभी दस्तावेजों का सत्यापन होने के बाद ही ट्रस्ट को गेहूं बेचने की अनुमति मिलेगी और भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में किया जाएगा।

गेहूं खरीद के लिए बनाई गई आठ प्रमुख एजेंसियां

राज्य सरकार ने इस वर्ष गेहूं खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आठ अलग-अलग सरकारी और सहकारी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है। खाद्य विभाग की विपणन शाखा इस योजना में सबसे अधिक 1250 खरीद केंद्र स्थापित करेगी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (PACSFED) 3300 खरीद केंद्रों का संचालन करेगा, जिससे राज्यभर में किसानों को उनकी उपज बेचने की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, अन्य एजेंसियों की बात करें तो उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव यूनियन 700, भारतीय खाद्य निगम (FCI) 400, उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ 350 और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) 300 केंद्रों पर गेहूं की खरीद करेगा। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित और उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा 100-100 खरीद केंद्रों का संचालन किया जाएगा। इन सभी केंद्रों पर किसानों को पारदर्शी तरीके से उनकी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी और भुगतान तेजी से उनके खातों में किया जाएगा।

किसान कैसे करा सकते हैं पंजीकरण ?

गेहूं खरीद प्रक्रिया में भाग लेने के लिए किसानों को अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। सरकार ने इसके लिए विभिन्न ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम उपलब्ध कराए हैं। किसान जन सुविधा केंद्रों, साइबर कैफे, या अपने मोबाइल से खाद्य एवं रसद विभाग के आधिकारिक पोर्टल (fcs.up.gov.in) पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने "यूपी किसान मित्र" मोबाइल एप भी लॉन्च किया है, जहां से किसान अपना पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान किसानों को अपनी भूमि से जुड़े दस्तावेज, बैंक खाता विवरण और आधार कार्ड की जानकारी देनी होगी। एक बार पंजीकरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, किसान अपनी उपज निर्धारित खरीद केंद्रों पर ले जाकर उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।