Nano Urea : नैनो यूरिया बढ़ाएगा किसानों की आय | कितना सच कितना झूठ | जानिए
Nano Urea : नैनो यूरिया बढ़ाएगा किसानों की आय कितना सच कितना झूठ जानिए
किसान साथियो जरूरत के समय यूरिया खाद का नाम मिलना भारत में आम बात है कितनी बार ऐसा होता है किसान को खाद की दुकान से खाली हाथ लौटना पड़ता है डंडे खाने की नौबत तक आ जाती है। आज के समय में आए दिन नयी नयी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। खेत किसानी के लिए भी नयी तकनीक को इज़ाद करने के लिए बड़े बड़े वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि हाल ही में खोजा गया नैनो यूरिया (nano urea) काफी चर्चा का विषय बना हुआ है
विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको (IFFCO) का कहना है कि नैनो यूरिया तरल कम लागत में उच्च उत्पादकता प्रदान करने वाला एक मात्र उर्वरक है। एक बोरी साधारण यूरिया की तुलना में नैनो यूरिया की एक बोतल का उपयोग पर्यावरण, पानी और मिट्टी को प्रदूषण से बचाने में भी सहायक है ।
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इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स को-ऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) का कहना है कि नया उत्पाद ‘नैनो यूरिया तरल’ अधिक पोषक तत्वों से भरपूर है और ज्यादा असरदार भी है, जिससे फसल के उत्पादन के साथ साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी । इफको ने कहा कि नैनो यूरिया उच्च-पोषण वाला प्रभावी उत्पाद है और यह मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण को कम करता है। इसके उपयोग से किसानों की आय बढ़ेगी तथा ढुलाई तथा गोदाम पर आने वाला खर्च भी बचेगा ।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू एस अवस्थी का कहना कि नैनो यूरिया बनाने की प्रेरणा प्रधानमंत्री मोदी जी के विचारों से मिली । उन्होंने कहा कि बेहतर परिणामों के लिए इस तरल उर्वरक का ड्रोन कि सहायता से पौधों पर छिड़काव करे। डॉ अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया तरल की 3.60 करोड़ बोतलें इफको ने अभी तक तैयार की थी, जिनमें से करीब 2.50 करोड़ बोतलें अब से पहले ही बिक चुकी हैं ।
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उर्वर शक्ति को बढ़ाने में भी है मददगार
इफको से मिली जानकारी में बताया गया है कि नैनो यूरिया तरल इफको द्वारा विकसित किया गया पूर्णतः स्वदेशी उत्पाद है । यह कम लागत के साथ अधिक उत्पादन की मात्रा सुनिश्चित करता है । सस्ता और आसान परिवहन वाला यह उत्पाद किसानों की उन्नति में बहुत सहायक है । यह किसानों की समृद्धि का आधार साबित हो सकता है । नैनो यूरिया के उपयोग से लागत में कमी, अधिक उपज के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर फसल उत्पादन हो रही है । यह पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद है, जो मिट्टी की उर्वरा क्षमता को भी बहुत बढ़ाता है ।
ऐसे करें उपयोग
तरल के उपयोग से पहले बोतल को अच्छी तरह हिलाएं। इस तरल का उपयोग दो बार किया जा सकता है। पहला छिडक़ाव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद और दूसरा छिडक़ाव पहली स्पे्र के 20 से 25 दिन बाद। यह यूरिया लिक्विड तरल को ठंडी और सूखे जगह पर रखना होगा। इफको अधिकारियों का कहना है कि 500 एमएल नैनो यूरिया लिक्विड 100 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करें।
भारत होगा आत्मनिर्भर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी ने गांधीनगर में इफको नैनो यूरिया (तरल) (IFFCO Nano Urea) प्लांट का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का बेहतरीन उदाहरण है। दोस्तो गौरतलब है कि भारत विदेशों से जो यूरिया मंगाता है उसमें यूरिया का 50 किलो का एक बैग 3,500 रुपये का पड़ता है लेकिन देश के किसान को वही यूरिया का बैग सिर्फ 300 रुपये बैग मिलता है। हर बैग पर सरकार 3,200 रुपये का भार वहन करती है। इसलिए नैनो यूरिया भारत सरकार के लिए भी वरदान की तरह है।
कैसे काम करता है नैनो यूरिया (Nano Urea) और क्या हैं फायदे
नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है, जो पौधों में कार्बोहाइडे्रड, प्रोटीन के निर्माण एवं पौधे की संरचना व वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयोगी है। सामान्यतया, एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है। छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है। जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर स्प्रे होगा। इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है, जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में अधिक है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च सेंटरों में 94 फसलों पर ट्रायल किए गए। इससे फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है।
क्या है आगे का प्लान (Nano Urea)
पिछले साल मई के महीने में नैनो यूरिया लिक्विड बनाने का ऐलान किया था और जून में इसका उत्पादन शुरू हो भी गया था । इफको की तैयारी प्रति वर्ष नैनो यूरिया की 14 करोड़ बोतल बनाने की है । धीरे-धीरे उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी की जाएगी और आने वाले समय में 14 करोड़ से फिर 18 करोड़ और फिर 32 करोड़ बोतल तक का उत्पादन करने की योजना है । दरअसल, पिछले साल नैनो यूरिया के लॉन्च के साथ ही इसकी मांग में देखने को मिल रही है । इसी बढ़ोतरी को देखते हुए अलग-अलग प्लांट में प्रोडक्शन पर बहुत जोर दिया जा रहा है ताकि डिमांड को पूरा किया जा सके और किसानों को आसानी से यह उत्पाद समय पर मिल सके ।
इफको का अनुरोध है कि किसान भाई नैनो यूरिया इस्तेमाल करने में न करें यह पहले वाले यूरिया से सस्ता और अच्छा उत्पाद है। माना जा रहा है कि यह देश में एग्रीकल्चर सेक्टर का कायापलट कर सकता है। नैनो यूरिया की एकमात्र समस्या यह है की साधारण यूरिया के मुकाबले इसका छिड़काव करना थोड़ा सा मुश्किल हैं। हालाँकि इसमें भी कोई विशेष खर्च नहीं है।
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