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सरकारी प्रयासों के बावजूद तिलहन बाजार में गिरावट और स्वावलंबन के लक्ष्य पर प्रभाव

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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, इस समय सरकार द्वारा तिलहनों की खरीद की कई योजनाओं के बावजूद, तिलहन के भाव में लगातार गिरावट जारी है। 2024-25 के खरीफ और रबी सीजन के लिए सरकार ने 60 लाख टन से अधिक तिलहनों की खरीद के लिए स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें प्रमुख तिलहन फसलें सोयाबीन, मूंगफली और सरसों शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 50 लाख टन दलहनों की खरीद के लिए भी अनुमति दी गई है।

कृषि मंत्रालय द्वारा पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) के तहत तिलहन और दलहनों की खरीद की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद तिलहन बाजार में कोई विशेष तेजी नहीं दिख रही है। खरीफ सीजन के दौरान लगभग 35 लाख टन तिलहन (मुख्य रूप से सोयाबीन और मूंगफली) की सरकारी खरीद की गई, जो एक रिकॉर्ड है।

चालू रबी सीजन में सरकार ने कुल 28.60 लाख टन सरसों की खरीद की अनुमति दी है, जिसमें से लगभग 3.40 लाख टन की खरीद पूरी हो चुकी है। हालांकि, सरकार द्वारा की जा रही रिकॉर्ड खरीद के बावजूद, सोयाबीन और अन्य तिलहनों के थोक भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे चल रहे हैं। नैफेड अपनी स्टॉक से सोयाबीन बेचने की तैयारी कर रहा है और मूंगफली की बिक्री भी शुरू हो चुकी है। इसके अलावा, सरसों की बिक्री भी नियमित रूप से हो रही है, लेकिन बाजार में कोई बड़ी सुधार की उम्मीद नहीं है।

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सरकारी प्रयासों का प्रभाव
सरकार का उद्देश्य भारत को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए सरकार तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए MSP को बढ़ाने की नीति अपना रही है ताकि किसानों को इन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके।

जब तिलहन के भाव MSP से नीचे गिरते हैं, तो यह किसानों को तिलहनों की खेती से हतोत्साहित कर सकता है, क्योंकि उन्हें लाभ नहीं दिखता। नतीजतन, वे अधिक लाभकारी फसलों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे तिलहनों का उत्पादन घट सकता है और आयात पर निर्भरता बढ़ सकती है। यह सरकारी योजनाओं के लिए एक बड़ा खतरा है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रही हैं।

उदाहरण के तौर पर, सोयाबीन और सरसों जैसे तिलहनों के बाजार में पिछले कुछ समय से मूल्य MSP से नीचे चल रहे हैं, जिससे किसानों के बीच तिलहन उत्पादन को लेकर निराशा फैल रही है। सरसों के भाव हाल ही में गिरकर MSP से नीचे पहुंच गए हैं, जिससे किसान सरसों की खेती में संकोच कर रहे हैं।

सरसों का बाजार
इस समय विदेशों से भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात हो रहा है, जिससे घरेलू आपूर्ति और उपलब्धता की स्थिति सुगम हो गई है। सरसों का उत्पादन इस साल घटने की संभावना है, लेकिन दानों की क्वालिटी काफी अच्छी है। इसके बावजूद, किसान इसे नीचे दाम पर बेचना नहीं चाहते और मिलर्स-प्रोसेसर्स को भी ऊंचे मूल्य पर खरीद का प्रोत्साहन नहीं मिल रहा, क्योंकि तेल और खल के भाव नीचे बने हुए हैं।

सरसों तेल का भाव भी लगातार बढ़ रहा है, दिल्ली में ₹1290 प्रति 10 किलो तक पहुंच गया है। हालांकि, विदेशी तेलों में तेजी से सरसों तेल में सुधार हुआ है, लेकिन बड़ी तेजी की संभावना कम है, क्योंकि इस समय क्रशिंग खल के लिए बढ़ रही है, तेल के लिए नहीं।

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NMEO-Oilseeds और सरकार की भूमिका
नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल – ऑइलसीड्स (NMEO-Oilseeds) सरकार का एक महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसका उद्देश्य देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाकर आयात पर निर्भरता घटाना है। हालांकि, NMEO-Oilseeds के लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि किसानों को लाभकारी दाम मिलें, और वर्तमान स्थिति में यह चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

पाम तेल और सोयाबीन बाजार की स्थिति
पाम तेल की विदेशी खरीद महंगी हो गई है, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रिंगित मजबूत हुआ है। पाम अब सोया तेल से नीचे कारोबार कर रहा है, जिससे मांग में थोड़ी वृद्धि हो सकती है। हालांकि, पाम तेल में गिरावट की भावना कम है, लेकिन तेजी की संभावना अभी सीमित है। घरेलू बंदरगाहों पर पाम तेल ₹1211 पर बंद हुआ है।

सोयाबीन की सरकारी बिक्री से दबाव बढ़ सकता है। महाराष्ट्र कीर्ति प्लांट में सोयाबीन भाव ₹4580 पर स्थिर रहे हैं। हालांकि, वैश्विक आपूर्ति में संकट की संभावना है, लेकिन घरेलू बिक्री का दबाव बढ़ने से बाजार में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है।

सरकारी खरीद के बावजूद तिलहन बाजार में वृद्धि नहीं हो रही है, और इस समय तिलहन की कीमतें MSP से काफी नीचे चल रही हैं। किसानों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वे बेहतर दाम की उम्मीद में अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं, जबकि मिलर्स को भी मूल्य के हिसाब से खरीदारी में कठिनाई हो रही है। सरकार द्वारा की जा रही खरीद से बाजार में स्थिरता आने की संभावना तो है, लेकिन बाजार में बड़ी तेजी फिलहाल देखने को नहीं मिल रही है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।