दो दिन से क्यों डाउन हो रहे हैं धान के भाव | जानें धान की तेजी मंदी रिपोर्ट में
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, पिछले दो दिन से बासमती धान और चावल के भाव में कमजोरी देखने को मिल रही है। सीज़न के टॉप भाव के मुकाबले आज भाव 200 रुपये तक नीचे जा चुके हैं। अब किसानों और व्यापारियों को चिंता होने लगी है कि कहीं साल 2023 की तरह धान के भाव फिर से 1000 रुपये तक ना फिसल जाएं। दोस्तों, आज की रिपोर्ट में हम धान की तेजी-मंदी को लेकर चर्चा करेंगे।
साथियों, सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि धान के भाव में इस समय मंदी आने का कारण क्या है। तो दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय बासमती के बाजार में जो अस्थिरता आई है, उसका कारण अंतरराष्ट्रीय घटनाएं हैं। दोस्तों, जब दुनिया के बड़े देश आपस में उलझते हैं, तो इसका असर सिर्फ उनकी सीमाओं तक नहीं रहता, बल्कि यह पूरी दुनिया के व्यापार और बाजार पर छा जाता है। हाल ही में ईरान और मिडल ईस्ट के अन्य देशों को लेकर अमेरिका में जो माहौल बन रहा है, उससे न केवल उन्हीं देशों का व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि भारत के लिए भी चिंता बढ़ गई है।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही ऐसी खबरें आ रही हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिका फिलिस्तीन और हमास का साथ देने वाले देशों पर कार्रवाई कर सकता है। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि अमेरिका ने हाल ही में ईरान के तेल को अन्य देशों को सप्लाई करने वाली 35 कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन कंपनियों में दो कंपनियां भारत की भी बताई जा रही हैं। दोस्तों, जैसा कि आप देख रहे हैं कि अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा कहा भी गया था कि वह कुछ देशों के साथ व्यापार के लिए 100% तक की टैरिफ लागू करेंगे। जानकारों का कहना है कि अक्टूबर महीने में ईरान के द्वारा इजराइल पर किए गए हमले की जवाबी कार्रवाई में ऐसा किया जा रहा है।
ईरान और भारत का खास रिश्ता
भारत और ईरान का रिश्ता सिर्फ तेल तक सीमित नहीं है। ईरान भारत से बड़ी मात्रा में बासमती चावल का आयात करता है। यह चावल वहां की डिशेज का अहम हिस्सा है और लोगों की पसंदीदा भी। लेकिन अब जब अमेरिका में चुनाव के बाद डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे, तो संभावित प्रतिबंधों की वजह से ईरान के पास विदेशी मुद्रा की कमी हो सकती है। इसका सीधा असर उनके आयात पर पड़ सकता है। भारत से ईरान और यमन जैसे देश बड़ी मात्रा में बासमती खरीदते हैं, इसलिए यह खबर बाजार में नकारात्मकता बना रही है।
मिडल ईस्ट की चुनौतियां
ईरान के साथ-साथ मिडल ईस्ट के दूसरे देश भी, जैसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, और कतर, भारत से बासमती चावल के बड़े आयातक हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक तेल के निर्यात पर निर्भर करती है। अगर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से इन देशों के साथ तेल व्यापार प्रभावित होता है, तो बासमती के सौदों के भुगतान में परेशानी आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्थिरता बढ़ सकती है। ऐसे में संभव है कि ये देश बासमती जैसे अनाज की बजाय अन्य चीजों के आयात के लिए खर्च बढ़ा दें।
बासमती बाजार पर असर
अब जब ईरान और मिडल ईस्ट के देशों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है, तो भारत के बासमती बाजार में मंदी आना स्वाभाविक है। साल 2021-2022 में हम ऐसा देख चुके हैं।
1. ऑर्डर की जानकारी सार्वजनिक नहीं: दोस्तों, व्यापारी निर्यातक मिल्स पिछले साल हुए नुकसान को पूरा करना चाहते हैं। यही कारण है कि इस बार बासमती के बाजार में किसी भी विदेशी सौदे या चौथी की जानकारी लीक नहीं होने दी जा रही। हालांकि ऐसी संभावना कम है कि ईरान और मिडल ईस्ट से बासमती के ऑर्डर्स कम हो रहे हों। बाजार में पिछले साल का स्टॉक उपलब्ध नहीं है और मांग कम होने की संभावना कम है
2. चावल के भाव में गिरावट: दोस्तों, हमने पहले भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल की कीमतें पिछले दो महीने से लगातार कमजोर हो रही हैं। अब अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम बदलने से व्यापारी अपने स्टॉक को खाली करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भाव में और गिरावट हुई है।
आगे क्या हो सकता है?
दोस्तों, यह स्थिति थोड़ी चिंताजनक जरूर है, लेकिन बहुत ज़्यादा डरने की बात नहीं है। आने वाले कुछ दिनों में बासमती की आवक समाप्त हो जाएगी। अगर उसके बाद कोई भी बड़े निर्यात का ऑर्डर मिलेगा, तो उसकी पूर्ति करने के लिए धान की उपलब्धता नहीं रहेगी। यही समय भाव बढ़ने का होगा। दोस्तों, हमने पहले भी कहा है कि अगर बासमती 1121 धान के भाव 4200 के नीचे जाते हैं, तो फिर इसका यही मतलब होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़ा होने वाला है और ऐसे में आपको तुरंत अपना माल निकाल देना चाहिए। तेज गिरावट धान के भाव को 3800 की तरफ़ खींच सकती है। अगर भाव 4200 के नीचे नहीं जाता है, तो इसके 4500 तक सम्भलने का चांस है।
आज के बाजार की समरी इस प्रकार से है
धान 1121 हाथ के टॉप भाव वाली मंडियां
बटाला मंडी ₹4400, तरनतारन मंडी ₹4350, गोहाना मंडी ₹4306, सोनीपत मंडी ₹4301, समालखा मंडी ₹4271, जुलाना मंडी ₹4260, जींद मंडी ₹4250।
धान 1718 हाथ के टॉप भाव वाली मंडियां
तरनतारन मंडी ₹3751, अमृतसर मंडी ₹3700, गोहाना मंडी ₹3636, समालखा मंडी ₹3600, रोहतक मंडी ₹3596, जुलाना मंडी ₹3570, हांसी मंडी ₹3550।
धान 1401 कंबाइन के टॉप भाव वाली मंडियां
टोहाना मंडी 3434,फतेहाबाद मंडी ₹3375, रानिया मंडी ₹3376, सिरसा मंडी ₹3374, रतिया मंडी ₹3365, नरवाना मंडी ₹3350, तरनतारन मंडी ₹3300, फज़िल्का मंडी ₹3225।
धान 1509 हाथ के टॉप भाव वाली मंडियां
झज्जर मंडी ₹3270, फतेहाबाद मंडी ₹3210, बरवाला मंडी ₹3200, नरेला मंडी ₹3056, जहाँगीराबाद मंडी ₹3000, मथुरा मंडी ₹3001, अलीगढ़ मंडी ₹2970।
धान PB1 के टॉप भाव वाली मंडियां
रतिया मंडी ₹3041, फतेहाबाद मंडी ₹3025, बरेली मंडी ₹2700।
धान 1885 के टॉप भाव वाली मंडियां
कैथल मंडी ₹3890, खैर मंडी ₹3851, नरवाना मंडी ₹3850, बरवाला मंडी ₹3900, गोहाना मंडी ₹4000, फतेहाबाद मंडी ₹3951, मुक्तसर मंडी ₹3650।
अन्य किस्मों के टॉप भाव
धान सरबती: खैर मंडी ₹2325, अलीगढ़ मंडी ₹2305।
धान सुगंधा: मथुरा मंडी ₹2611, खैर मंडी ₹2501।
धान ताज: इटावा मंडी ₹2050।
धान RH10: इटावा मंडी ₹2000।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।