चावल के बाजार की क्या है वर्तमान स्थिति | जाने क्या मिल रहे अच्छे और बुरे संकेत
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो कर्नाटक सरकार चावल के निर्यात के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अवसर देख रही है। हाल ही में, पिछले महीने फिलीपींस को 12,500 टन चावल का सफल निर्यात करने के बाद, अब राज्य सरकार इस अवसर को और भी बड़ा बनाने की दिशा में काम कर रही है। कर्नाटक सरकार की योजना फिलीपींस को चावल के निर्यात को बढ़ाकर 10 लाख टन तक पहुंचाने की है। इसके साथ ही, सरकार इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों में भी नए बाजारों की तलाश कर रही है। राज्य सरकार वर्तमान में अपने पास मौजूद 50-60 लाख टन के वार्षिक अधिशेष चावल के स्टॉक को समाप्त करने के विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है। नागरिक आपूर्ति मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने हाल ही में जानकारी दी कि राज्य सरकार ने चावल के निर्यात को लेकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देश फिलीपींस के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 10 लाख टन मोटे चावल का निर्यात किया जा सकेगा। मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में उत्पादित होने वाली एमटीयू-1010 और आईआर-64 जैसी मोटी चावल की किस्मों की फिलीपींस में विशेष रूप से उच्च मांग है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9729757540 पर संपर्क करें।
दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
तेलंगाना चावल का उत्पादन करने वाले शीर्ष तीन राज्यों में से एक है और अब वह अपने अतिरिक्त चावल को बेचने के लिए नए अवसरों की तलाश कर रहा है। 2024-25 के लिए जारी दूसरे अनुमान के अनुसार, उत्तर प्रदेश 199 लाख टन के उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद तेलंगाना 168 लाख टन, पंजाब 143 लाख टन, पश्चिम बंगाल 121 लाख टन, मध्य प्रदेश 89 लाख टन, छत्तीसगढ़ 85 लाख टन और आंध्र प्रदेश 80 लाख टन का उत्पादन करते हैं। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। राज्य के मंत्री रेड्डी ने जानकारी दी कि स्थानीय खपत और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए पर्याप्त भंडार रखने के बाद तेलंगाना के पास लगभग 50 लाख टन चावल बचेगा। उन्होंने यह भी बताया कि निर्यात के लिए उच्च गुणवत्ता वाली धान की किस्मों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी और निर्यातकों को नीतिगत सहायता दी जाएगी।
उद्योग जगत ने किया स्वागत
चावल निर्यात उद्योग ने तेलंगाना सरकार के फिलीपींस जैसे उच्च-गुणवत्ता वाले बाजारों को प्राथमिकता देने के कदम की सराहना की है। भारत वैश्विक स्तर पर लगभग 22 मिलियन टन चावल का निर्यात करता है, जिसमें 4 मिलियन टन बासमती चावल शामिल है, और इस प्रकार वैश्विक चावल व्यापार में 50 प्रतिशत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। यह उल्लेखनीय है कि तेलंगाना, कुछ प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों की तुलना में 25 लाख हेक्टेयर कम भूमि पर धान की खेती करने के बावजूद, उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसका मुख्य कारण यह है कि तेलंगाना में रबी के मौसम में भी धान की खेती की जाती है, जिससे इसकी उत्पादकता काफी बढ़ जाती है।
चावल की कीमतों में गिरावट
राज्य सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, प्रमुख बाजारों में कमजोर मांग के चलते चावल की कीमतों में 100-200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे घरेलू बाजार में परेशानी बनी हुई है। व्यापारियों के पास पुराने और नए दोनों प्रकार के चावल का पर्याप्त भंडार मौजूद है, लेकिन उन्हें बिक्री की धीमी गति और सीमित खरीद जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। अधिकारी ने आगे बताया कि यद्यपि राज्य प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण बढ़ी हुई मांग के सहारे अपने अधिक स्टॉक को बेचने में सक्षम है, फिर भी वह एक विश्वसनीय निर्यात बाजार स्थापित करके इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।