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भारतीय बासमती चावल को जल्द मिल सकता है जीआई टैग | पाकिस्तान का पुराना आवेदन हुआ निरस्त

भारतीय बासमती चावल को जल्द मिल सकता है जीआई टैग | पाकिस्तान का पुराना आवेदन हुआ निरस्त
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किसान साथियो सुगंधित बासमती चावल के लिए जीआई टैग प्राप्त करने का रास्ता भारत के लिए साफ होता दिख रहा है। पाकिस्तान ने भी बासमती चावल पर जीआई टैग हासिल करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन यूरोपियन यूनियन ने इसे रद्द करते हुए दोबारा से प्रकाशित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के आवेदन का दोबारा प्रकाशन यह स्पष्ट संकेत देता है कि जीआई टैग पाने के लिए भारत का रास्ता अब और अधिक स्पष्ट हो गया है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

जीआई टैग किसी भी उत्पाद के मूल स्थान को दर्शाता है। इसमें उसकी गुणवत्ता, विशेषता आदि का उल्लेख होता है, जिससे उस उत्पाद की मूल्य में वृद्धि होती है। बासमती चावल के लिए जीआई टैग हासिल करने की लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही है। पाकिस्तान ने पूसा से विकसित कई चावल की किस्मों की नकल कर उत्पादन किया है। भारत ने 2018 में बासमती चावल पर जीआई टैग के लिए आवेदन किया था, और पाकिस्तान ने भी यूरोपीय यूनियन में जीआई टैग के लिए आवेदन किया है।

साथियो यूरोपीय यूनियन ने नए नियमों के तहत सुगंधित चावल के लिए पाकिस्तान के जीआई टैग के आवेदन को दोबारा प्रकाशित किया है। यूनियन ने अनुच्छेद 49(5) के तहत 30 अप्रैल को जीआई एप्लिकेशन टैग को फिर से प्रकाशित किया, जबकि यूरोपीय यूनियन रेगुलेशन के अनुच्छेद 50(2) के तहत पाकिस्तान के 23 फरवरी के आवेदन को रद्द कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत को जीआई टैग मिलने की संभावना बढ़ गई है। 5900 रुपये में अपनी सरसों को बेचने के लिए लिंक पर क्लिक करे

ट्रेड एनालिस्ट एस. चंद्रशेखरन ने कहा कि जीआई टैग के लिए पाकिस्तान के आवेदन का फिर से प्रकाशन स्पष्ट संकेत है कि भारत बासमती चावल का असली मालिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीआई टैग के लिए जुलाई 2018 में दायर भारत के आवेदन को यूरोपीय संघ विनियमन के अनुच्छेद 50(2) के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जबकि पाकिस्तान के आवेदन को ईयू ने अपनी तरफ से दोबारा प्रकाशित किया है।

पाकिस्तान ने माँगा भारत में उगाया जा रहा बासमती
साथियो अनुच्छेद 50(2) के तहत जीआई टैग के लिए आवेदन सीधे या किसी तीसरे देश के माध्यम से किया जा सकता है। हालांकि, पाकिस्तान के मामले में यूरोपीय यूनियन ने अनुच्छेद 49(5) लागू किया है, जो कहता है कि जिस उत्पाद के लिए जीआई टैग मांगा गया है, उसे उसके मूल देश में संरक्षित किया जाना चाहिए। भारतीय और पाकिस्तानी आवेदनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि यूरोपीय यूनियन ने जीआई टैग के लिए भारत के आवेदन के प्रकाशन में यह उल्लेख नहीं किया कि बासमती पाकिस्तान में उगाया जाता है। दूसरी ओर, पाकिस्तान के आवेदन में कहा गया है कि यह चावल भारत के खास क्षेत्रों में भी उगाया जा रहा है, और यूनियन ने इसे आवेदन में शामिल किया है। इसका मतलब है कि भारतीय आवेदन को प्राथमिकता दी जा रही है और यही बासमती चावल के जीआई टैग का आधार बनेगा।

भारत GI टैग मानक पूरा करता है
साथियो भारत को जीआई टैग मिलने का रास्ता इसलिए और आसान हो गया है क्योंकि भारत में बासमती चावल 200 वर्षों से अधिक समय से उगाया जा रहा है, जबकि पाकिस्तान ऐसा दावा नहीं कर सकता। किसी उत्पाद को संरक्षित जीआई टैग तभी दिया जाता है जब यह साबित हो कि उसे 200 से अधिक वर्षों से उगाया या उत्पादित किया जा रहा है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।