मलेशियाई बाजार में पाम तेल की चाल क्या कर रही इशारा | रिपोर्ट में जाने
दोस्तों, अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार में पाम ऑयल (Palm Oil) एक बेहद अहम भूमिका निभाता है। यह तेल सिर्फ खाने के काम नहीं आता, बल्कि बायोडीजल, सौंदर्य प्रसाधन और कई तरह के औद्योगिक उत्पादों में भी इस्तेमाल होता है। दुनिया में इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देश इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। जब इन देशों के बाजार में हलचल होती है, तो उसका असर सीधे भारत जैसे बड़े आयातक देशों पर भी पड़ता है। हाल के दिनों में मलेशिया के बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में पाम ऑयल वायदा का जो हाल रहा, वह न तो बहुत तेज़ी वाला रहा और न ही गिरावट वाला। इसे तकनीकी भाषा में "रेंज-बाउंड ट्रेडिंग" यानी सीमित दायरे में कारोबार कहते हैं। इसका मतलब है कि कीमतें एक तय सीमा में ऊपर-नीचे घूमती रहीं, लेकिन कोई बड़ी दिशा नहीं बनी। चलिए, इस रिपोर्ट में अब हम इसे आम भाषा में और विस्तार से समझते हैं कि वह कौन से कारक हैं जिनके कारण पाम ऑयल का बाजार प्रभावित हो रहा है और आगे के बाजार की क्या संभावना है।
कमजोर सोया तेल और बढ़ते स्टॉक
दोस्तों, पाम तेल में आई मंदी को समझने से पहले हमें सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि सोया ऑयल (Soy Oil) और पाम ऑयल में एक तरह की प्रतिस्पर्धा होती है। जब एक की कीमत गिरती है, तो दूसरा अपने आप दबाव में आ जाता है। बीते हफ्ते यही देखने को मिला कि डालियान कमोडिटी एक्सचेंज पर सोया ऑयल में करीब 1.08% की गिरावट आई, जो पाम ऑयल की कीमतों के लिए एक तरह का नकारात्मक संकेत था। इसके साथ ही मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बढ़ने की आशंका और बकाया स्टॉक (यानी अनबिके भंडार) के बढ़ने की चिंता ने निवेशकों के मन में डर पैदा कर दिया। जब स्टॉक ज़्यादा होता है, तो स्वाभाविक है कि सप्लाई बढ़ जाती है और कीमतें गिरने लगती हैं। यहाँ एक विश्लेषक ने बताया कि आने वाले हफ्तों में उत्पादन और स्टॉक स्तर में इज़ाफा हो सकता है, जिससे बाजार में मंदी की भावना बनी रह सकती है। क्योंकि किसान ज़्यादा पैदावार कर रहे हैं, लेकिन मांग उतनी नहीं बढ़ रही, इसलिए कीमतों पर दबाव बना है।
क्रूड ऑयल की मजबूती ने दी थोड़ी राहत
अब बात करते हैं क्रूड ऑयल की, जो पाम ऑयल से सीधा-सीधा जुड़ा है। दरअसल, पाम ऑयल का इस्तेमाल बायोडीजल बनाने में भी होता है, और जब क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) महंगा होता है, तो लोग बायोडीजल की तरफ झुकते हैं। इससे पाम ऑयल की मांग बढ़ जाती है। बीते दिनों अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार वार्ता में टैरिफ को लेकर कुछ राहत मिली है। इससे बाज़ार में उम्मीद बनी कि वैश्विक ईंधन मांग बढ़ेगी। इसी उम्मीद में क्रूड ऑयल के भाव में तेजी आई। यही तेजी पाम तेल के लिए भी एक सपोर्ट बनी, हालांकि यह सपोर्ट इतना मज़बूत नहीं रहा कि वह गिरावट को रोक सके। मलेशियाई एक्सचेंज में अगस्त डिलीवरी वाला पाम ऑयल वायदा आज 0.35% की तेजी के साथ 3931 रिंगिट प्रति टन पर खुला है । यानी कीमतों में नाममात्र का सुधार दिख रहा है ।
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डालियान और शिकागो में क्या हुआ असर
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दो बड़े एक्सचेंज हैं जो पाम और सोया तेल की दिशा तय करते हैं – डालियान कमोडिटी एक्सचेंज (चीन) और शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT)। डालियान में सोया तेल और पाम तेल दोनों में गिरावट आई है। जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि एशियाई बाज़ारों में खाद्य तेलों की मांग अभी सुस्त बनी हुई है। वहीं CBOT में अमेरिकी अवकाश की वजह से कारोबार बंद रहा। यह भी एक वजह थी कि वैश्विक संकेत बहुत साफ नहीं मिल पाए, जिससे व्यापारियों ने ज्यादा जोखिम नहीं उठाया और बाजार सीमित दायरे में फंसा रहा। जब दुनिया के बड़े बाज़ार चुप होते हैं या संकेत कमजोर होते हैं, तो बाकी बाजार भी धीमे हो जाते हैं। यही हुआ मलेशिया में।
रिंगिट की मजबूती और विदेशी खरीद
अब एक दिलचस्प बात करते हैं रिंगिट यानी मलेशियाई मुद्रा की। पाम ऑयल की सारी ट्रेडिंग रिंगिट में होती है, लेकिन जब रिंगिट डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है, तो विदेशी खरीदारों के लिए यह तेल महंगा हो जाता है। इस हफ्ते रिंगिट 0.31% मजबूत हुआ। यानी जो पहले एक टन तेल खरीदने में 908 डॉलर लगते थे, अब उसी में थोड़ा ज़्यादा देना पड़ेगा। इससे भारत, चीन और अन्य आयातक देशों के ट्रेडर्स थोड़े हिचकिचा गए। क्योंकि जब कीमत बढ़ती है, तो आयात में कटौती करने का मन बनता है। इसने भी मलेशिया के वायदा बाज़ार पर दबाव डाला और कीमतें ऊपर नहीं जा सकीं।
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अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा
दुनिया के खाद्य तेल बाज़ार में पाम ऑयल और सोया ऑयल सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं। अगर अमेरिका या ब्राज़ील में सोया की फसल बढ़िया होती है और तेल सस्ता आता है, तो पाम तेल की मांग घट जाती है। यही उल्टा भी होता है। इस समय अमेरिका में सोया तेल सस्ता हो गया है, और चीन में भी कीमतें गिर रही हैं। इससे दुनिया भर में खरीदार सोया की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। यही कारण है कि मलेशियाई पाम तेल की डिमांड थोड़ी सुस्त हो गई। इसके अलावा, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाने के तेलों में समानांतर गिरावट आती है, तो पाम तेल का दाम भी साइकोलॉजिकल प्रेशर (मनोवैज्ञानिक दबाव) के तहत नीचे आने लगता है। ट्रेडर डरते हैं कि कहीं बाकी तेलों की तरह यह भी गिर न जाए, इसलिए बिकवाली तेज़ कर देते हैं।
भारतीय बाजार पर असर
मौजूदा स्थिति को देखते हुए ट्रेडर्स की आगे की रणनीति फिलहाल बेहद सतर्क, लचीली और डेटा-आधारित होती जा रही है, क्योंकि मलेशियाई पाम तेल वायदा बाजार में कोई स्पष्ट दिशा नहीं बन पा रही है और कीमतें एक सीमित दायरे में अटकी हुई हैं। ऐसे माहौल में अधिकतर व्यापारी तकनीकी संकेतकों जैसे मूविंग एवरेज, ओवरसोल्ड-ओवरबॉट इंडिकेटर और ओपन इंटरेस्ट डेटा को बारीकी से ट्रैक कर रहे हैं, ताकि जैसे ही बाज़ार में कोई ठोस ट्रेंड उभरे चाहे वह तेजी का हो या गिरावट का, वे तुरंत उस दिशा में शॉर्ट-टर्म या मीडियम-टर्म पोज़िशन बना सकें। वहीं दूसरी ओर, भारत जैसे बड़े आयातक देश के ट्रेडर्स फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ (इंतज़ार करो और देखो) की रणनीति पर टिके हुए हैं, क्योंकि एक तरफ जहां मलेशिया में रिंगिट की मज़बूती ने विदेशी खरीद को थोड़ा महँगा बना दिया है, वहीं दूसरी तरफ पाम तेल के बढ़ते स्टॉक और घटती मांग के चलते कीमतें और भी संवेदनशील हो गई हैं। भारत के अंदर भी खपत अभी पूरी रफ्तार में नहीं आई है, लेकिन जैसे ही मॉनसून की प्रगति, त्योहारी मांग, या थोक ऑर्डर में तेजी आती है, घरेलू ट्रेडर्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिर से सक्रिय हो सकते हैं। लेकिन जब तक ग्लोबल मार्केट में मजबूत संकेत नहीं आते जैसे क्रूड ऑयल की तेज़ी, सोया तेल की कमी, या कोई ट्रेड पॉलिसी बदलती है, तब तक भारत से बड़ी खरीदारी की संभावना सीमित रहेगी और व्यापारी सिर्फ रेंज-बाउंड ट्रेडिंग, स्प्रेड ट्रेडिंग या इंट्रा-डे सौदों पर फोकस करते रहेंगे।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।