उड़द में मंदी का दौर जारी। क्यों जबलपुर लाइन का माल बाजार को दबा रहा है
किसान साथियों, उड़द की कीमतों में पिछले कुछ महीनों से लगातार गिरावट देखी जा रही है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है जबलपुर लाइन से आने वाली भारी आवक। इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं जो उड़द के दामों को प्रभावित कर रहे हैं। जैसा कि आपको पता है कि पिछले साल उड़द के दाम आसमान छू रहे थे, पिछले साल उड़द के दाम 10000 को पार कर गए थे जिसकी वजह से किसानों ने इसकी खेती बढ़ा दी। नतीजा? इस साल उत्पादन इतना ज्यादा हो गया कि बाजार में मांग से ज्यादा सप्लाई हो गई। इसके अलावा, बर्मा (म्यांमार) से भी उड़द का आयात बढ़ गया है, जहां इस साल फसल 37-38% ज्यादा हुई है। यही नहीं, मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र में उड़द की बुआई 50% बढ़ गई, जिससे वहां से लगातार माल दिल्ली और अन्य मंडियों में पहुंच रहा है। इस वजह से दाम और भी गिर गए हैं। अगर आप भी उड़द की खेती करते हैं या उड़द के व्यापारी हैं तो एक बार इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इस रिपोर्ट में हम उड़द के आगामी बाजार, मौजूदा स्थिति और दामों में आ रही गिरावट पर विस्तार से चर्चा करेंगे जिससे आपको बाजार की स्थिति को समझने में मदद मिलेगी।
उड़द में मंदी का कारण
दोस्तों, पिछले साल उड़द के दाम 106 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे, जिसकी वजह से किसानों ने इसकी खेती पर जोर दिया। देश-विदेश में उत्पादन बढ़ा, और इस साल फसल अच्छी होने से बाजार में माल की भरमार हो गई। साथ ही सटोरिए (स्पेकुलेटर्स) भी अब बाजार से दूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अभी और गिरावट आ सकती है। इसके अलावा, बर्मा से आयातित उड़द भी बाजार को प्रभावित कर रहा है। वहां फसल ज्यादा होने से वहां के कारोबारी सस्ते दामों पर माल बेच रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार में प्रेशर बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त नई खरीफ फसल सितंबर तक आ जाएगी, और अगर मानसून अच्छा रहा तो उत्पादन और बढ़ेगा, जो उड़द के दामों को और भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए, कारोबारियों को सलाह दी जा रही है कि वे जरूरत के हिसाब से ही खरीदारी करें, नहीं तो नुकसान हो सकता है।
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जबलपुर लाइन का दबाव
मध्य प्रदेश का जबलपुर क्षेत्र उड़द उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। इस साल यहां बुआई 50% ज्यादा हुई, जिसकी वजह से उत्पादन भी बढ़ गया। इस वजह से जबलपुर से लगातार माल दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े मंडियों में पहुंच रहा है, जिससे उड़द के दाम और भी नीचे आने की संभावना है। अगर देश की प्रमुख मंडियों की बात करें तो दिल्ली मंडी में उड़द के भाव 7500-7600 रुपए प्रति क्विंटल से गिरकर 7100-7200 रुपए पर आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर चेन्नई में एसक्यू क्वालिटी की उड़द 7450 रुपए पर और एफएक्यू क्वालिटी 6800 रुपए पर बिक रही है। इसके अलावा, दाल मिलों ने भी खरीदारी कम कर दी है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से दाल की मांग कम हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार यह ट्रेंड अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकता है क्योंकि जबलपुर से अभी भी माल आ रहा है, और नई फसल आने वाली है। इसलिए, अगले कुछ महीनों तक दामों में और गिरावट की उम्मीद है।
बाजार में सन्नाटा
उड़द के दामों में गिरावट आने का असर अब बाजारों में भी दिखाई देने लगा है क्योंकि पहले जहां बाजार में सटोरिए (ट्रेडर्स) और कारोबारी एक्टिव रहते थे, वहीं अब बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है। इसकी वजह है मंदी का दबाव। जब बाजार गिरता है, तो ज्यादातर लोग खरीदारी से बचते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि दाम और नीचे जाएंगे। ऐसी स्थिति में अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर मानसून अच्छा रहता है, तो नई फसल के आने से दाम और गिर सकते हैं। इसलिए फिलहाल, कारोबारियों को सलाह दी जा रही है कि वे स्टॉक सोच-समझकर करें और हर भाव पर थोड़ा-थोड़ा माल बेचते रहें, ताकि ज्यादा नुकसान न हो।
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व्यापारियों को सलाह
दोस्तों, उड़द का बाजार फिलहाल मंदी के दौर से गुजर रहा है, और ऐसे में जल्दबाजी में कोई बड़ा निवेश न करें। अगर आप किसान हैं, तो हो सकता है कि इस साल आपको उम्मीद के मुताबिक दाम न मिलें। वहीं, अगर आप ट्रेडर हैं, तो मार्केट ट्रेंड को समझकर ही कोई कदम उठाएं। कुल मिलाकर, जबलपुर लाइन का माल और बर्मा से आयात बाजार को प्रभावित कर रहा है, और यह ट्रेंड अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकता है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।