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गेहूं में और तेजी आएगी या तेजी पर लगेगा ब्रेक | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

गेहूं में और तेजी आएगी या तेजी पर लगेगा ब्रेक | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो देश में गेहूं का उत्पादन अच्छा होने के बावजूद, स्टॉकिस्टों द्वारा गेहूं की खरीद और जमाखोरी के कारण बाजार में गेहूं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं के दाम 340 से 350 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं। इस बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने अगस्त महीने से खुले बाजार में गेहूं बेचने की घोषणा की थी, ताकि बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ सके और कीमतें स्थिर रह सकें। लेकिन सरकार की इस घोषणा के बावजूद, बाजार में गेहूं की उपलब्धता में कोई सुधार नहीं हुआ है और अगस्त महीने में ही गेहूं के दाम लगभग 140 से 150 रुपये प्रति क्विंटल और बढ़ गए हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गेहूं का उत्पादन अधिक के बावजूद भी भाव कैसे बढ़ रहे है
पिछले वर्ष गेहूं के उच्च दामों को देखते हुए किसानों ने इस वर्ष गेहूं की बुवाई में काफी वृद्धि की थी। अनुकूल मौसम ने भी उत्पादन को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 1121 लाख मीट्रिक टन हो गया जो पिछले वर्ष के 1090 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले अधिक है। विडंबना यह है कि उत्पादन में वृद्धि के बावजूद गेहूं के दाम पिछले साल की तुलना में लगभग 340-350 रुपये प्रति कुंतल अधिक चल रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि मार्च-अप्रैल महीनों में जब गेहूं की नई फसल मंडियों में आने लगी, तब बड़ी निजी कंपनियों ने मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद शुरू कर दी और इसने एक प्रतिस्पर्धी माहौल बना दिया। यह खरीद मई महीने तक जोरों पर रही। इसके परिणामस्वरूप, सरकार केंद्रीय पूल में गेहूं के भंडारण के लिए मध्य प्रदेश से अपेक्षाकृत कम मात्रा में गेहूं खरीद पाई। जबकि कुछ साल पहले मध्य प्रदेश, पंजाब के बराबर केंद्रीय पूल में गेहूं का योगदान देता था। मध्य प्रदेश में निजी कंपनियां किसानों से 2275 रुपये प्रति कुंतल से लेकर 2500 रुपये प्रति कुंतल तक के दाम पर गेहूं खरीद रही थीं। इस कारण केंद्रीय पूल में कुल गेहूं की खरीद केवल 266-267 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही रह पाई।

गेहूं के भावों में भारी उतार चढ़ाव
पिछले साल इसी समय गेहूं का भाव लगभग 2490-2500 रुपये प्रति कुंतल था। लेकिन इस साल यह बढ़कर 2840-2850 रुपये प्रति कुंतल हो गया और वर्तमान में 2820-2830 रुपये प्रति कुंतल के आसपास चल रहा है। सरकार ने एक अगस्त से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री 2300-2325 रुपये प्रति कुंतल के भाव में करने का निर्णय लिया था, लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक गेहूं के टेंडर नहीं हुए हैं। इस कारण बाजार में फिर से तेजी आने लगी है। वर्तमान में गेहूं के भाव इतने ऊंचे हैं कि अगर किसान या व्यापारी इस भाव पर अपना माल बेच देते हैं तो उन्हें भविष्य में प्राइवेट सेक्टर से गेहूं खरीदने में मुश्किल हो सकती है। दूसरी ओर, अगर सरकार गत वर्ष की तरह खुले बाजार में गेहूं बेचने लगती है तो किसानों और व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है। इस अनिश्चितता के कारण गेहूं के कारोबारियों की स्थिति काफी मुश्किल हो गई है। वे नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्हें वर्तमान भाव पर माल बेचकर मुनाफा लेना चाहिए या फिर कुछ समय के लिए इंतजार करना चाहिए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गेहूं के बाजार की क्या स्थिति
इस वर्ष गेहूं की खरीद में सरकार को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। इसका प्रमुख कारण निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दामों पर गेहूं की खरीद करना है। इस प्रतिस्पर्धी माहौल के कारण किसानों ने सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी 2275 रुपए प्रति कुंतल पर गेहूं बेचने की बजाय निजी कंपनियों को अधिक दामों पर बेचना पसंद किया है। हालांकि, सरकार का दावा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 5 लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं की खरीद की गई है, लेकिन विभिन्न सरकारी योजनाओं में खाद्यान्न वितरण को देखते हुए यह मात्रा पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री न करने के कारण बाजार में गेहूं के दाम 2810-2815 रुपए प्रति कुंतल के स्तर पर स्थिर हो गए हैं। सरकार की बिक्री नीति में अनिश्चितता के कारण व्यापारी हर भाव में मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

गेहूं में और तेजी आएगी या तेजी पर लगेगा ब्रेक
सरकार की ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के लागू होने की संभावना के कारण गेहूं के बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल है। खरीदार इस नीति के प्रभाव को देखते हुए अभी खरीदारी में सतर्कता बरत रहे हैं। प्रसंस्कृत गेहूं उत्पादों की धीमी खरीद भी कीमतों को बढ़ने से रोक रही है। हालांकि, अधिकांश गेहूं स्टॉकिस्ट मौजूदा कीमतों पर बेचने में हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि OMSS नीति जल्द लागू नहीं होगी। यह भावना कीमतों को एक सीमित दायरे में रख रही है। बाजार प्रतिभागी इस स्थिति पर नज़र रख रहे हैं। कुछ का मानना है कि कीमतों में पहले ही वृद्धि हो चुकी है और यह आपूर्ति में बाधाओं को दर्शाती है, जबकि अन्य का मानना है कि अगर सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।