सोयाबीन के भाव में तेजी आएगी या नहीं | देखें सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में।
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किसान भाइयों, कृषि क्षेत्र में खासकर सोयाबीन जैसी प्रमुख फसलों की कीमतों का उतार-चढ़ाव किसानों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सीधे उनकी आय और रोजमर्रा की जरूरतों को प्रभावित करता है। पिछले कुछ समय से, सोयाबीन के बीजू माल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है, जबकि सामान्य क्वालिटी के माल के भाव स्थिर बने हुए हैं। इस असमंजसपूर्ण स्थिति में किसानों को सही निर्णय लेना काफी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि एक ओर तो बीजू माल के भाव में कुछ बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर, सामान्य माल के भाव में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। इससे किसानों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि उन्हें अपनी फसल को अभी बेचना चाहिए या इंतजार करना चाहिए। इसके साथ ही, सरकार द्वारा इस मुद्दे पर कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर भी चर्चा हो रही है। अगर हम सोयाबीन के दिसंबर के आंकड़ों पर नजर डालें तो दिसंबर के आंकड़े पूरे साल के आंकड़ों से अलग दिखाई दे रहे हैं। आज हम न सिर्फ सोयाबीन के ताजे भाव और मंडी की स्थिति पर ध्यान देंगे, बल्कि सोयाबीन की वैश्विक और घरेलू मांग, सरकारी खरीदारी और विभिन्न कारकों की भी विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि किसान भाई बेहतर तरीके से अपने फैसले ले सकें। आज की रिपोर्ट में हम इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, जिससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि अगले कुछ हफ्तों में सोयाबीन के बाजार में क्या बदलाव आ सकते हैं और किस प्रकार से आप अपनी फसल का सबसे अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए इन सब पहलुओं को विस्तार से समझने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
बीजू माल में हल्की तेजी
किसान साथियों अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो सोयाबीन के बीजू माल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी पिछले कुछ दिनों से देखने को मिली है। हालांकि, सामान्य क्वालिटी के माल के भाव स्थिर बने हुए हैं। इसलिए इस समय किसानों के लिए यह स्थिति थोड़ी पेचीदी हो गई है, क्योंकि बीजू माल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बावजूद, सामान्य माल की कीमतें ज्यादा नहीं बदलीं। ऐसे में किसान भाइयों को अपने निर्णय में सतर्क रहना होगा, खासकर वे किसान जो उच्च गुणवत्ता वाले सोयाबीन के माल पर निर्भर रहते हैं। इस समय सोयाबीन के बीजू माल की कीमतें 4300 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि सामान्य माल 3765 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। इसलिए, किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि बीजू माल और सामान्य माल के बीच की कीमतों में काफी अंतर हो सकता है। इसके बावजूद, बाजार में स्थिरता की कमी और सरकार द्वारा कोई ठोस कदम न उठाए जाने की वजह से किसानों की स्थिति में ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिल रहा। यही कारण है कि किसान अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या यह समय अपनी फसल बेचने का सही है या उन्हें इसे कुछ समय और रोकना चाहिए।
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मंडियों की स्थिति
किसान साथियों अगर मंडियों में सोयाबीन के भाव की बात करें तो मंडी में इस समय सोयाबीन के भाव स्थिर बने हुए हैं। बीजू माल की कीमतें थोड़ी बढ़ी हैं, लेकिन सामान्य माल के भाव में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। वहीं अगर मंडियों में आवक पर नजर डालें तो मंडी में सोयाबीन की कुल आवक 2000 बोरी से अधिक रही है, जो यह संकेत देता है कि उत्पादन में कमी के कुछ ज्यादा संकेत नहीं हैं। हालांकि, बाजार की स्थिरता और भावों की कमी के कारण, किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य हासिल करने के लिए कुछ समय के लिए अपनी फसल को रोक दिया है।मंडियों में इस समय विभिन्न क्वालिटी के सोयाबीन के माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, इसलिए इस समय यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि आने वाले समय में सोयाबीन के भाव किस दिशा में जाएंगे, लेकिन वैश्विक बाजार, घरेलू मांग और आपूर्ति के आंकड़े इस पर अहम प्रभाव डालेंगे। मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में सोयाबीन के भाव में हल्की तेजी देखने को मिल सकती है।
वैश्विक बाजार का प्रभाव
किसान साथियों, वैश्विक बाजार में भी इस समय सोयाबीन के भावों को लेकर थोड़ा असमंजस की स्थिति बनी हुई है और वैश्विक बाजार में हो रहे बदलावों का सीधा असर भारतीय सोयाबीन के भावों पर पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय सीबीओटी (Chicago Board of Trade) में सोया तेल की कीमत में 1.18% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने से भारतीय बाजार में आपूर्ति की स्थिति मजबूत हुई है। इसके साथ ही, चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव की स्थिति से भी वैश्विक बाजार असमंजस में है, जो भारतीय सोयाबीन के भावों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा भारत में सोयाबीन तेल की मांग सामान्य रहने के बावजूद, वैश्विक स्तर पर ब्राजील और अर्जेंटीना में बढ़ते उत्पादन के कारण भारतीय बाजार में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इसके अलावा, भारतीय बाजार में सोया तेल अन्य खाद्य तेलों की तुलना में सस्ती दरों पर उपलब्ध है, जिससे मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है। लेकिन इस स्थिति में भी, भारत को अपने निर्यात की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि निर्यात को लेकर भारत अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
पाम तेल और सोया तेल के बाजार की स्थिति
किसान भाइयों, पाम तेल की कीमतों का असर भी सोयाबीन के भावों पर देखने को मिल रहा है। घरेलू बाजारों में पाम तेल की कीमतों में इस सप्ताह 3-4 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है, और अब यह सोया तेल के मुकाबले केवल 4.5 रुपये प्रति किलो महंगा बिक रहा है। इस गिरावट के कारण सोया तेल की मांग में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पाम तेल का उत्पादन घटने के बावजूद उसकी कीमत में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। इसके अतिरिक्त मलेशिया और ब्राजील में पाम तेल उत्पादन में कमी आई है, जिससे सोयाबीन तेल के मुकाबले पाम तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं। सोया तेल की मांग बढ़ने से भारतीय बाजार में इसका व्यापार अच्छी स्थिति में है, लेकिन पाम तेल की आपूर्ति कम होने और उसकी ऊंची कीमतों के बावजूद, इस समय भारत में पाम तेल का आयात सीमित रहा है। आने वाले समय में, यदि पाम तेल की कीमतें और घटती हैं, तो भारतीय बाजार में सोया तेल की मांग में और वृद्धि हो सकती है, जो सोयाबीन की कीमतों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस सप्ताह, सीबीओटी सोया तेल ने शुरुआत में बढ़त दिखाने के बाद, अंत में 1.18% की बढ़त दर्ज की। हालांकि, चीन और अमेरिका के व्यापार तनाव को लेकर बाजार असमंजस की स्थिति में रहा। भारतीय सोया तेल बाजार में मिलाजुला रुख देखने को मिला। कांडला सोया तेल 1.5 रुपये प्रति किलो बढ़ा, जबकि इंदौर लाइन प्लांटों ने भाव 1.5 से 2 रुपये घटाए। स्थिति को देखते हुए तो भविष्य के दृष्टिकोण में सोया तेल का बाजार मजबूत नजर आ रहा है, हालांकि बीच-बीच में मामूली करेक्शन हो सकते हैं। क्योंकि ट्रंप द्वारा चीन और कनाडा से आयात पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना के कारण बाजार में मजबूती बनी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा, अर्जेंटीना में शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन की फसल को खतरा हो सकता है, जिससे सोया तेल की मांग बढ़ने की संभावना है।
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सरकारी खरीदारी और समर्थन
किसान भाइयों, सरकार ने सोयाबीन की खरीदारी के तहत अब तक 13.7 लाख टन की खरीदारी की है, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। इसमें से 9.78 लाख टन नेफेड ने खरीदी है, जबकि 3.94 लाख टन की खरीदारी एनसीसीएफ द्वारा की गई है। इस खरीदारी से किसानों को कुछ समर्थन मिल रहा है, लेकिन यदि कीमतों में स्थिरता नहीं आती, तो सरकार को और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है। राज्यवार खरीदारी की बात करें तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सबसे अधिक सोयाबीन की खरीदारी हुई है। इन राज्यों में किसानों को अपेक्षाकृत अच्छे दाम मिल रहे हैं, लेकिन अन्य राज्यों में खरीदारी में थोड़ी कमी देखी जा रही है। अगर खरीदारी के आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश से 6.22 लाख टन, महाराष्ट्र से 5.39 लाख टन, तेलंगाना से 83,075 टन, राजस्थान से 67,268 टन, गुजरात से 43,210 टन और कर्नाटका से 18,282 टन सोयाबीन खरीदी गई है। महाराष्ट्र में खरीदारी की अवधि 31 जनवरी और राजस्थान में 14 फरवरी तक बढ़ा दी गई है।
भविष्य की संभावना
किसान भाइयों, वर्तमान में वैश्विक उत्पादन में वृद्धि के कारण सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। ब्राजील और अर्जेंटीना में उत्पादन ऐतिहासिक रूप से बढ़ने की उम्मीद है, जबकि भारत को सोयामील निर्यात में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा अभी तक मार्च तक निर्यात मांग की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। हालांकि, सोयाबीन के वायदा कारोबार की शुरुआत होने से कीमतों को समर्थन मिलने की संभावना है। इसके अलावा, सरकार के वायदा व्यापार को फिर से शुरू करने की योजना के चलते आने वाले महीनों में सोयाबीन के दाम 150-200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ सकते हैं, और व्यापारी 4330 रुपये को स्टॉप लॉस के रूप में देख सकते हैं। इसके अलावा पिछले चार-पांच दिनों से सोया डीओसी के बाजार में संतुलन की स्थिति बनी हुई है। हालांकि सेंटिमेंट अभी भी गिरावट का चल रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार हो सकता है। क्योंकि दिसंबर महीने के आंकड़े पूरे साल से अलग दिखाई दे रहे हैं। दिसंबर में भारतीय सोयामील के निर्यात में गिरावट की बजाय बढ़ोतरी देखने को मिली है। सोयामील के निर्यात में 0.03 लाख टन की वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 2.77 लाख टन हो गया है। निर्यात में यह वृद्धि मुख्य तौर पर जर्मनी और नीदरलैंड की मांग में बढ़ोतरी के वजह से आई है। इसके अलावा देश में सोया की आवक लगातार घट रही है। जानकारों के अनुसार सोयाबीन की आवक में लगभग 11% की गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा सरकार द्वारा सोयाबीन की वायदा कारोबार पर प्रतिबंध हटाया जा सकता है। इसकी चर्चा तेल तिलहन के बाजार में जोरों से हो रही है। दक्षिण अमेरिका से सोयाबीन की फसल आने में अभी थोड़ा समय बाकी है। ये सब कुछ ऐसे संकेत हैं जो बता रहे हैं कि आने वाले समय में सोयाबीन और सोया DOC के भाव बढ़ सकते हैं। लेकिन फिर भी किसानों को सलाह दी जाती है कि व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।