क्या रुक जाएगी सोयाबीन के भाव में गिरावट | जानिए सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में
किसान साथियो पिछले दो तीन दिन से सरसों और सोयाबीन के बाजार में उठाव दिख रहा है। इस उठाव को देखकर काफी किसान सोच रहे होंगे कि शायद अब सरसों और सोयाबीन के बाजार की दिशा दशा बदल जाएगी। लेकिन हक़ीक़त में ऐसा होगा या नहीं यह जानने के लिए हमने सोयाबीन के बाजार का विश्लेषण किया है। जिसमें डिमांड, सप्लाई, आयात, निर्यात, उत्पादन और स्टॉक के डाटा का विश्लेषण किया गया है। इसी डाटा के आधर पर हम आगे के बाजार की दिशा दशा पर अपना विचार रखेंगे। अगर आप सोयाबीन के किसान या व्यापारी है और आपके सोयाबीन का स्टॉक रखा हुआ है तो आपके लिए यह जानकारी काफी उपयोगी हो सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
दोस्तो हमने पहले भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस बार सोयाबीन का रकबा पिछले साल से ज्यादा है। रकबा बढ़ने के साथ साथ मौसम भी अनुकूल बना हुआ है जिससे सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने की पूरी पूरी संभावना है। साल 2022 के 7500 के भाव को देखने के बाद से ही किसान ऊंचे भाव की उम्मीद में सोयाबीन की बुवाई बढ़ा रहे हैं। बुवाई बढ़ने के कारण भाव लगातार नीचे जा रहे हैं। जैसा कि आप सब को पता है कि इस समय सोयाबीन के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP से काफी नीचे चले गए हैं। अगर पिछले साल के मुकाबले में देखें तो सोयाबीन के भाव पिछले साल के मुकाबले 15% तक गिर चुके हैं। सोयाबीन की बम्पर फ़सल आने की संभावना के चलते बाजार के कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि नई फसल आने पर 4000 प्रति क्विंटल से भी नीचे आ सकते हैं। हालांकि मंडी भाव टुडे का मानना है कि बहुत ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है।
क्या है गिरावट की बड़ी वज़ह
सोयाबीन के भाव में गिरावट की सबसे बड़ी वजह चालू खरीफ सीजन में इसकी बुआई ज्यादा होना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल सोयाबीन का रकबा 125.7 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है जो पिछली समान अवधि के 123.85 लाख हेक्टेयर से अधिक है।कमोडिटी एक्सपर्ट का मानना है कि सोयाबीन के भाव आगे घटकर 4000 से नीचे जा सकते हैं आवक बढ़ने से भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट को बल मिला है। तेल उद्योग के विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार जब तक आयात पर अंकुश नहीं लगाएगी तब तक ना खाद्य तेलों के भाव बढ़ेंगे और ना सोयाबीन के।
सरकारी नीति पर सवाल
भारत सरकार एक तरफ जहां तिलहन में आत्मनिर्भरता की वकालत करती है वहीं दूसरी तरफ भारी मात्रा में विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों का आयात किया जा रहा है। यही आयातित सस्ता तेल देशी खाद्य तेलों में मिलाया कर बेचा जा रहा है। जिसके कारण घरेलू तेल उत्पादक प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं और सोया तेल और सोयाबीन के भाव लगातार पिट रहे हैं।
सोयाबीन की आवक पर एक नजर
सरकारी पोर्टल एगमार्कनेट के डाटा के अनुसार इस साल 21 जुलाई से 21 अगस्त के बीच मंडियों में करीब 3 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में आवक का आंकड़ा करीब 2.81 लाख टन था। सोयाबीन की आवक में लगभग 8 % से ज्यादा वृद्धि दिखाई दे रही है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सोयाबीन की कुल उपलब्धता
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) की मासिक रिपोर्ट के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के 10 महीनों में यानी अक्टूबर 2023 से जुलाई 2024 के दौरान देश भर की मंडियों में कुल 107 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है। जिसमें से 104.5 लाख टन की क्रशिंग के जरिए और 4.15 लाख टन की सीधी खपत हुई। विदेशों में करीब 8000 टन का निर्यात भी किया गया है। लगभग 24.7 लाख टन सोयाबीन का पिछला स्टॉक मौजूद है और 119.74 लाख टन के उत्पादन अनुमान के साथ सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन पर रह सकती है। जबकि विदेशों से करीब 6 लाख टन का आयात भी होने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार 1 अगस्त 2024 को किसानों व्यापारियों तथा मिलर्स के पास लगभग 27.11 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है।
सोयामील पर क्या है अपडेट
दोस्तों जहां तक सोयामील का सवाल है तो चालू मार्केटिंग सीजन में जुलाई 2024 के अंत तक इसका कुल उत्पादन 82.46 लाख टन हुआ जबकि 1.17 लाख टन का पुराना स्टॉक बचा हुआ था। इसके अलावा 24000 टन का विदेशों से आयात भी किया गया। इस संपूर्ण उपलब्धता में से 19.24 लाख टन सोयामील का विदेशों में निर्यात और घरेलू प्रभाग में खाद्य उद्देश्य में 6.65 लाख टन तथा फीड निर्माण में 56 लाख टन सोया डीसी का उपयोग हुआ है।
विदेशी बाजारों से क्या मिल रही है अपडेट
दोस्तों विदेशी बाजारों में सोया तेल के भाव में गिरावट अब थमती नजर आ रही है। अमेरिका के शिकागो वायदा बाजार में सोया तेल के भाव 38 सेंट का लो लेवल दिखाने के बाद अब फिर से 41 सेंट तक पहुंच गए हैं । अगर विदेशी बाजारों में गिरावट यहां पर रुक जाती है तो सोयाबीन के बाजार में जो तीव्र गिरावट चल रही है इस पर ब्रेक लग सकता है। दूसरी तरफ सोयाबीन की प्रतिद्वंद्वी फसल सरसों की आवक लगातार कमजोर चल रही है जिसके चलते सोयाबीन की डिमांड आगे चलकर बढ़ सकती है । हालांकि बहुत बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं की जा सकती। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
क्या रुक जाएगी सोयाबीन में गिरावट
दोस्तो जैसा कि हमने उपर बताया तेल तिलहन के जानकारों का मानना है कि सोयाबीन के भाव आगे चलकर और गिर सकते हैं। सोयाबीन के लिए बेंचमार्क मंडी मानी जाने वाली मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में पिछले एक माह के दौरान सोयाबीन के भाव ₹ 4600 से घटकर ₹ 4300 के स्तर पर आ गए हैं इसी तरह से दूसरे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की लातूर मंडी में सोयाबीन का रेट 4710 से घटकर 4500 रुपये प्रति क्विंटल के रह गए हैं बात राजस्थान की कोटा मंडी की करें तो यहा सोयाबीन के भाव 3800 से 4250 प्रति क्विंटल चल रहे हैं। गिरावट इतनी ज्यादा हो चुकी है कि भाव 2012 के स्तर पर आ चुके हैं। अगर पिछले साल के मुकाबले देखें तो पिछले साल इन दिनों इंदौर में सोयाबीन के भाव 5050 और लातूर में 5120 प्रति क्विंटल के थे। मंडी भाव टुडे का मानना है कि किसी भी फ़सल के भाव में एकतरफ़ा गिरावट नहीं चल सकती। किसी ना किसी स्तर पर भाव सम्भल जाते हैं। इतनी गिरावट के बाद नयी फ़सल आने से पहले एक उठाव बन सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस सीज़न के लिए सोयाबीन का MSP 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसका थोड़ा बहुत सहारा नए सीजन में सोयाबीन के भाव को मिल सकता है। अगर आपको 100-200 रुपये की तेजी मिलती है तो माल निकाल देना चाहिए। व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।