क्या रुक जाएगी प्याज के भाव में गिरावट | जाने क्या कहते हैं जानकार
दोस्तों आज कल प्याज मे रसोई का बुरा हाल कर दिया | इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव न केवल घरों की बजट की स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण साबित होता है। पिछले कुछ समय से देश में प्याज के बढ़ते भाव पर ब्रेक लग गया है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। खासकर लासलगांव मंडी, जो कि भारत की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी मानी जाती है, में प्याज के भाव में गिरावट आई है। एक महीने पहले तक जहां प्याज का औसत थोक रेट ₹4000 प्रति क्विंटल था, वहीं अब यह घटकर ₹2000 प्रति क्विंटल हो गया है।
इस गिरावट का मुख्य कारण नई खरीफ फसल की अधिक आवक है। व्यापारी और किसान दोनों ही इसको बदलाव का मुख्य कारण मानते हैं।क्योंकि जितनी आवक बढ़ेगी उतनी भाव गिरेगे | अब तो महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों से भी नई फसल की आवक बढ़ रही है, जो इन राज्यों के बाजारों में प्याज की कीमतों को कम कर रही है। इसके अलावा, इस साल मानसून ने प्याज की फसल को बेहतर तरीके से उगाने में मदद की, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है।
प्याज की कीमतों में गिरावट के कारण
प्याज की कीमतों में गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण नई खरीफ फसल का बाजार में आना है। खरीफ फसल की प्याज को अधिक नमी के कारण लंबे समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता है, जिससे किसानों को इसे बाजार में जल्दी लाना पड़ता है। इसके अलावा, मानसून की अच्छी बारिश ने इस बार प्याज समेत अन्य बागवानी फसलों जैसे आलू और टमाटर का भी उत्पादन बढ़ाया है। यह बढ़ा हुआ उत्पादन भी प्याज की कीमतों को कम करने में मदद कर रहा है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल खरीफ प्याज का क्षेत्रफल 0.36 मिलियन हेक्टेयर है, जो पिछले साल की तुलना में 27% अधिक है। खरीफ प्याज का कुल उत्पादन भारत के प्याज उत्पादन का करीब 20% हिस्सा होता है, जबकि रबी प्याज, जो मार्च में काटी जाती है, उत्पादन में लगभग 60% का योगदान देती है। इस साल खरीफ प्याज का उत्पादन बढ़ने से कीमतों में गिरावट आ रही है। हालांकि, रबी प्याज का उत्पादन अधिक होने के कारण इसकी कीमतों में स्थिरता बनी रहती है।
निर्यात शुल्क और इसके असर
हालांकि प्याज के थोक बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन निर्यात शुल्क के कारण कुछ असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। सरकार ने प्याज के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया है, जिससे व्यापारियों और किसानों को मुश्किलें हो रही हैं। निर्यात शुल्क हटाने की मांग अब जोर पकड़ रही है, क्योंकि इससे घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में वृद्धि हो सकती है और किसान नुकसान से उबर सकते हैं।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर प्याज पर लगे 20% निर्यात शुल्क को हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि निर्यात शुल्क हटाने से किसानों को फायदा होगा और यह प्याज के निर्यात को भी बढ़ावा देगा। सितंबर में सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क को 40% से घटाकर 20% किया था, लेकिन अब इसे पूरी तरह से हटाने की मांग की जा रही है।
प्याज का उत्पादन खर्च
प्याज का उत्पादन खर्च लगभग ₹1700 से ₹1800 प्रति क्विंटल है। इसके बावजूद, खुदरा कीमतें अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई हैं, जो व्यापारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, व्यापारियों का मानना है कि प्याज की अधिक आवक और निर्यात शुल्क में कटौती से आने वाले कुछ हफ्तों में खुदरा कीमतों में और गिरावट आ सकती है। इससे उपभोक्ताओं को सस्ता प्याज मिलेगा और किसानों को भी कुछ राहत मिल सकती है।
कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMC) के निदेशक जयदत्त होलकर ने बताया कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में प्याज की बढ़ती आवक के कारण थोक मंडी में प्याज की कीमतों में गिरावट आ रही है। इन राज्यों के बाजारों में प्याज की अधिक उपलब्धता से कीमतें कम हो रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ता प्याज मिल रहा है।
प्याज की कीमतों में गिरावट के बावजूद, व्यापारी और किसान उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी महीनों में प्याज की कीमतों में स्थिरता आएगी। यह निर्भर करेगा कि खरीफ प्याज का उत्पादन और निर्यात किस स्तर पर रहेगा। निर्यात शुल्क हटाने से शायद थोड़ी सी कीमतों में बढ़ोतरी हो, लेकिन यदि उत्पादन की अधिकता बनी रहती है तो कीमतें कम रह सकती है फिलहाल तो प्याज भाव मे कोई भी तेजी होने की संभावना कम है
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।