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1509, 1692 और 1847 में तेजी आएगी या नहीं | जाने बासमती तेजी मंदी रिपोर्ट में

1509, 1692 और 1847 में तेजी आएगी या नहीं | जाने बासमती तेजी मंदी रिपोर्ट में
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किसान साथियो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की मंडियों में नया धान आना शुरू हो गया है। हालांकि, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस बार धान की आवक में उतना दबाव नहीं है। इस कारण से, किसानों को धान 2550 से 2650 रुपए प्रति क्विंटल के बीच ही बेचना पड़ रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, आने वाले समय में धान और चावल के दामों में वृद्धि होने की संभावना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन राज्यों की मंडियों में खरीफ सीजन के धान की दैनिक आवक लगभग 10 से 11 हजार बोरी हो गई है। शुरुआत में धान 2650 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा था, लेकिन अब अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, टोहाना, अमृतसर, जांडियाला गुरु, तरनतारन और उत्तर प्रदेश के दादरी, बहजोई जैसी मंडियों में औसतन 2550 से 2700 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। कुल मिलाकर, वर्तमान में धान और चावल के भावों में उतार-चढ़ाव की स्थिति है। हालांकि, मौसम संबंधी अनुमानों को देखते हुए, इन दामों में वृद्धि की उम्मीद है। किसानों को इस स्थिति पर नजर रखते हुए अपने धान की बिक्री का निर्णय लेना चाहिए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

पिछले साल इन दिनों धान का क्या भाव चल रहा था
साथियो गत वर्ष इसी समय धान का व्यापार 3050 से 3150 रुपये प्रति क्विंटल के बीच होता था। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है। मंडियों में पुराना धान का स्टॉक बेहद कम है, जो भी माल बचा है वह ज्यादातर चावल मिलों और व्यापारियों के पास जमा है। नतीजतन, मंडियों में आने वाला नया धान आसानी से नहीं बिक पा रहा है, क्योंकि खरीददारों को पर्याप्त मात्रा में धान नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के बहजोई, जहांगीराबाद और काशीपुर क्षेत्र में नया 1509 सेला चावल 4800 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। इसी बीच, हरियाणा और पंजाब के किसान भी अपना धान बेचने के लिए मंडियों में आ रहे हैं। दिल्ली की मंडियों में धान की आवक कम है, क्योंकि यहां व्यापार मंदा है और उत्पादक मंडियों के व्यापारी यहां धान बेचने में संकोच कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि दिल्ली के व्यापारी हरियाणा और पंजाब के मुकाबले 100 से 200 रुपये कम दाम देने को तैयार हैं। इस पूरी स्थिति का मुख्य कारण यह है कि निर्यातकों के पास धान का बड़ा स्टॉक पड़ा हुआ है, जिसे वे बेच नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि बाजार में धान की मांग कम है और किसानों को अपनी उपज के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं।

धान के कल के ताजा भाव
घरौंडा मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2725 रहा तेजी आई 45 की, करनाल मंडी धान 1509 कंबाइन का रेट 2800 रहा तेजी आई 50 की, नरेला मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2600 रहा, गंगोह मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2700 रहा तेजी आई 25 की, इंद्री मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2800 रहा तेजी आई 160 की, धान सुपर 52 का रेट 2325 रहा तेजी आई 225 की, जंडियाला गुरु मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2600 रहा, लाडवा मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2885 रहा तेजी आई 35 की, तरावड़ी मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2691 रहा तेजी आई 20 की, अमृतसर मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2889 रहा तेजी आई 170 की, समालखा मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2451 रहा मंदी आई 70 की, टोहाना मंडी धान 1509 कंबाइन का रेट 2765 रहा मंदी आई 1 की, गढ़मुक्तेश्वर मंडी धान 1509 हाथ का रेट 2601 रहा, धान RH10 का रेट 1901 रहा, पिपरिया मंडी धान पूसा का रेट 2999 रहा तेजी आई 14 रुपए की | चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

क्या धान और चावल के भाव और गिरेंगे
साथियो वर्तमान में धान और चावल के बाजार में गहरा संकट है। 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित होने के कारण घरेलू निर्यात में तेजी नहीं आ पाई है। निर्यातक और चावल मिलें अपने स्टॉक को बेच पाने में असमर्थ हैं। नतीजतन, नई फसल को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। मौसम विभाग द्वारा अक्टूबर के मध्य तक भारी बारिश की चेतावनी के कारण, खेतों में तैयार फसल को भी नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है, खासकर हरियाणा और पंजाब में। सरकार द्वारा न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन न किए जाने पर घरेलू निर्यात में सुधार नहीं होगा और इससे किसानों और चावल मिलों को भारी नुकसान होगा। हाल ही में चावल के दामों में 1509 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट आई है, जिसके बाद बड़े व्यापारियों की मांग कम होने के कारण भाव 5000-5050 रुपये प्रति क्विंटल पर आकर स्थिर हो गए हैं। हालांकि, मंडियों में धान और चावल का पुराना स्टॉक खत्म हो चुका है, लेकिन कमजोर मांग के कारण ही ये दाम देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान में बाजार में व्यापक अनिश्चितता है। उत्पादक मंडियों से वितरक मंडियों में धान की ढुलाई नहीं हो रही है। चावल मिलों को धान को चावल में बदलने में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। इन सभी कारकों को देखते हुए, निकट भविष्य में धान और चावल के दामों में और गिरावट की संभावना कम लग रही है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।