कब रुकेगी सोयाबीन के भाव में गिरावट | जाने इस रिपोर्ट में
क्या और गिरेगा सोयाबीन का भाव? जानिए बाजार की ताजा रिपोर्ट
किसान साथियों और व्यापारी भाई सोयाबीन के बाजार में एक बार फिर से निराशा का माहौल छा गया है जब से सरकार ने खाद्य तेलों पर आया ड्यूटी को काम किया है तब से बाजार में दबाव बना हुआ है। हमारे बहुत सारे किसान साथी और व्यापारी भाई हैं जो इस समय यह जानना चाहते हैं कि सोयाबीन में बॉटम स्तर आ गया है या फिर और गिरावट संभव है। आज की रिपोर्ट में हमने सोयाबीन के बाजार को प्रभावित करने वाले मुख्य घटकों को कर किया है और यह पता लगाने की कोशिश की है कि बाजार में आगे क्या रुझान रह सकता है। अगर आप सोयाबीन के किसान या व्यापारी है तो आपको यह रिपोर्ट अंत तक पढ़नी चाहिए ।
सोयाबीन बाजार पर आयात नीति और घरेलू दबाव का असर
सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती के बाद से भारतीय तिलहन बाजार पर भारी दबाव देखने को मिला है। पहले से ही कमजोर चल रही घरेलू डिमांड के बीच जब सरकार ने आयात शुल्क घटाया, तो प्लांट्स ने भी मात्र जरूरत भर की खरीदारी करना शुरू कर दी। इसका सीधा असर मंडियों में सोयाबीन की मांग पर पड़ा, और कीमतों में गिरावट का रुख बन गया।
क्यूँ बढ़ रही है सप्लाई
उधर, भारत के दो प्रमुख उत्पादक राज्यों—मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र—में खरीफ सीजन की बुआई की तैयारी जोरों पर है। किसानों द्वारा पुराने स्टॉक को तेजी से बेचा जा रहा है, जिससे मंडियों में सप्लाई का दबाव और बढ़ गया है। इसके साथ ही सरकार भी नाफेड के माध्यम से खुले बाजार में सोयाबीन की बिक्री कर रही है, जिससे कीमतों पर और दबाव बना हुआ है। हालाँकि, नाफेड ₹4300 प्रति क्विंटल से नीचे की बोली स्वीकार नहीं कर रहा, लेकिन प्लांट्स को आपूर्ति लगातार मिल रही है।
डिमांड कमजोर, सप्लाई ज़्यादा, बड़ी तेजी के आसार नहीं
मौजूदा परिस्थितियों में कीमतों में किसी बड़ी तेजी की संभावना नजर नहीं आ रही है। बाजार फिलहाल सप्लाई प्रेशर और कमजोर डिमांड के संतुलन पर चल रहा है। हालांकि, यह भी उल्लेखनीय है कि भाव पहले से ही बॉटम के करीब हैं, ऐसे में भारी गिरावट की संभावना भी सीमित है। व्यापारियों का अनुमान है कि कीमतों में आने वाले दिनों में ₹75 से ₹100 प्रति क्विंटल तक की हल्की गिरावट संभव है, लेकिन इससे नीचे जाने की संभावना कम है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में घट सकती है सोया की बुआई
खरीफ सीजन में इस बार किसानों की सोयाबीन में रुचि कम देखने को मिल रही है। मध्य प्रदेश के किसान मक्का की ओर बढ़ रहे हैं क्योंकि वह उत्पादन में अधिक और बाजार में बेहतर भाव दे रहा है। वहीं महाराष्ट्र के किसान गन्ना और कपास की बुआई में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऐसी स्थिति में देश के दो सबसे बड़े सोया उत्पादक राज्यों में बुआई का रकबा घट सकता है, जो दीर्घकाल में बाजार के लिए एक संतुलनकारी संकेत हो सकता है।
CBOT वायदा में तेजी, लेकिन घरेलू असर सीमित
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) पर सोयाबीन वायदा बीते गुरुवार को एक सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। जुलाई वायदा 9 सेंट बढ़कर $10.54 प्रति बुशल पर बंद हुआ, जो 28 मई के बाद का उच्चतम स्तर था। इस तेजी का मुख्य कारण चीन के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में सुधार की उम्मीद और अमेरिका में गर्म व शुष्क मौसम की आशंका रही, जो फसलों पर असर डाल सकता है। हालांकि, इसका असर भारतीय बाजार पर सीमित ही रहने की संभावना है, क्योंकि घरेलू दबाव और नीति परिवर्तन का प्रभाव अधिक गहरा है।
वार्ता से बदल सकता है माहौल
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अगले सप्ताह तक बढ़ा दी गई है। भारत अमेरिकी कृषि और डेयरी बाजारों को खोलने के दबाव का विरोध कर रहा है क्योंकि भारतीय किसान भारी सब्सिडी वाले अमेरिकी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। कई भारतीय निर्यातकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका भेजे जाने वाले शिपमेंट्स में देरी की है। वार्ताएं सोमवार और मंगलवार को फिर से शुरू होंगी। अगर इस वार्ता में अमेरिका भारत को आयात शुल्क घटाने के लिए राजी कर लेता है तो बाजार में कमजोरी बन सकती है। इसके अलावा बाजार के लिए कुछ अहम ट्रिगर्स पर भी नजर रखनी होगी, जैसे अमेरिका का ईपीए जैव ईंधन जनादेश, छोटे रिफाइनरियों को टैक्स से छूट, अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता, और मलेशिया के एमपीओबी की स्टॉक रिपोर्ट। खाद्य तेलों पर 10% शुल्क कटौती के बाद, सोया तेल में 60-70 रुपये प्रति 10 किलो की गिरावट देखी गई है और अभी भी 30-40 रुपये प्रति किलो का जोखिम और बना हुआ है। पाम तेल में भी 30-40 रुपये प्रति 10 किलो की गिरावट आई है और 60-70 रुपये की और गिरावट की संभावना बनी हुई है। वहीं सरसों तेल पर फिलहाल कोई असर नहीं दिखा है, लेकिन कीमतों में कुछ करेक्शन की उम्मीद की जा रही है। घट बढ़ के बाद कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन ने फिर से 4500 का स्तर छु लिया है । सरसों भी सीजन का टॉप रेट दिखाकर अब ठहर गई है । कुल मिलाकर, तेल तिलहन का बाजार फिलहाल अमेरिकी नीतियों, अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं और शुल्क संशोधनों के असर से प्रभावित दिख रहा है, और इन्ही घटकों पर आगामी सप्ताह में नजर बनाए रखना जरूरी रहेगा।
आगे का अनुमान: रेंज में बना रह सकता है बाजार
व्यापारियों का मानना है कि यहां से आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा नीतिगत बदलाव नहीं होता है तो सोयाबीन का बाजार फिलहाल ₹4350 से ₹4550 प्रति क्विंटल के दायरे में बना रह सकता है। डिमांड की स्थिति कमजोर बनी हुई है और किसानों द्वारा की जा रही बिकवाली से सप्लाई लगातार बनी हुई है। ऐसे में जब तक कोई बड़ा बाहरी ट्रिगर सामने नहीं आता या मौसम संबंधी अनुकूलता के चलते बुआई में बदलाव नहीं होता, तब तक भाव सीमित दायरे सकते हैं। सोयाबीन बाजार इस समय नीतिगत बदलाव, किसान बिकवाली और कमजोर खपत के दबाव में है। हालांकि भाव पहले से ही बॉटम के पास होने के कारण, इसमें भारी गिरावट की संभावना नहीं है। कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन का रेट अपनी सपोर्ट के पास चल रहा है। यहां से अगर और दबाव आता है तो भाव 4350 की तरफ जा सकते हैं। आगे की दिशा बुआई की स्थिति, मानसून की चाल और सरकार की अगली नीति पर ही निर्भर करेगी। व्यापार अपने विवेक से करें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।