प्याज के बाजार में आज बढ़ गई है चमक | जाने मंडियों से क्या मिल रही है रिपोर्ट
प्रिय किसान भाइयों, मंडी भाव टुडे रिपोर्ट पर आप सभी का स्वागत है। आज तारीख 30 सितंबर 2024 है, और सोमवार का दिन है। एक नए सप्ताह की शुरुआत हुई है, लेकिन यह भी इस महीने का आखिरी दिन है। अगले दिन से नया महीना शुरू होगा, जो नवरात्रि का पावन महीना होगा। सभी देशवासियों और दुनिया भर के लोगों को नवरात्रि की शुभकामनाएं। इसके साथ ही, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का भी जश्न मनाया जाएगा, जिसके चलते मंडियों में छुट्टी का दिन भी हो सकता है। चूंकि बुधवार को मंडी बंद रहेगी, इसलिए आज मांग बहुत अधिक है। ग्राहक बुधवार को माल न मिलने की वजह से आज ही मंगलवार और गुरुवार के लिए अपना स्टॉक इकट्ठा कर रहे हैं। हालांकि, आज मंडी में सीधी आवक कम देखने को मिली है, जिससे बाजार में माल की किल्लत नजर आ रही है। चलिये अब, आज के प्याज बाजार की स्थिति और आवक पर नजर डालते हैं, और नेफेड (NAFED) तथा एनसीसीएफ (NCCF) की भूमिका का विश्लेषण करते हैं।
आजादपुर मंडी में प्याज की आवक
आज प्याज मंडी में कुल 60 गाड़ियों की नई आवक हुई है, जिनमें से 45 गाड़ियां अभी भी बैलेंस पर हैं। दिल्ली में 20 गाड़ियां सरकारी हैं, जो नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा संचालित हैं। इसके अलावा, 10 से 11 गाड़ियां मध्य प्रदेश से और 10 गाड़ियां पुणे से आई हैं। आवक के राज्यों का विवरण निम्नानुसार है:
- राजस्थान: 11 गाड़ियां
- मध्य प्रदेश: 11 गाड़ियां
- नासिक:10 गाड़ियां
- पुणे: 3 गाड़ियां
- कर्नाटक-कोल्हापुर: 5 गाड़ियां
इसके अलावा, नेफेड द्वारा 12 गाड़ियां बिक्री के लिए आई हैं और एनसीसीएफ की 9 गाड़ियां भी मंडी में पहुंच चुकी हैं। कुल मिलाकर, ताजा माल की संख्या 30-35 गाड़ियां है, जिनमें सरकारी स्टॉक मिलाकर 45 गाड़ियां बनती हैं। यदि सरकारी गाड़ियों को हटाया जाए, तो सीधी आवक मात्र 30 गाड़ियां हैं। कर्नाटक से कुछ नई गाड़ियां आने की अभी और संभावना है, हालांकि अभी लाल प्याज की क्वालिटी में थोड़ी समस्या है। मीडियम और मोटे प्याज में कुछ कमियां देखी जा रही हैं।
विभिन्न राज्यों की प्याज आवक और कीमतें
सरकार की गाड़ियों का भाव 1300 से 1500 रुपये प्रति मन (32 से 37 रुपये प्रति किलो) चल रहा है। इन गाड़ियों की क्वालिटी औसत दर्जे की है, जिससे भाव में भी असर पड़ रहा है। यदि बाजार एक गाड़ी 1500-1600 रुपये प्रति मन बिक रही है और सरकारी गाड़ी 1210 रुपये प्रति मन बिक रही है, तो बाजार पर इसका प्रभाव स्वाभाविक है।
- मध्य प्रदेश का प्याज: 1500-1600 रुपये प्रति मन (37 से 40 रुपये प्रति किलो)। यह प्याज पहले 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, लेकिन अब यह 40 रुपये किलो पर आ गया है।
- नासिक का प्याज: 37 से 40 रुपये प्रति किलो
- कर्नाटक का प्याज: 1700 से 1800 रुपये प्रति मन।
- नेफेड और एनसीसीएफ का प्याज: 1300 से 1500 रुपये प्रति मन।
- मध्य प्रदेश और नासिक का प्याज: 1500 रुपये प्रति मन।
- पुणे का प्याज: 1600 से 1700 रुपये प्रति मन। 40 से 42 रुपये प्रति किलो, जो लॉड बाय लॉड बिकता है।
पिछले दो दिनों से बाजार में 50 पैसे से 1 रुपये की तेजी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण आवक की कमी है। आज का बाजार सकारात्मक दिशा में बढ़ा है, और आगे भी दिन के मध्य तक प्याज के भाव में और वृद्धि की संभावना है।
मौसम का प्रभाव और क्वालिटी की स्थिति
मौसम का असर भी प्याज की क्वालिटी पर पड़ा है। हाल की बारिशों के चलते प्याज की कीमतों में हल्की वृद्धि देखी गई है। मंडी में 10% प्याज की क्वालिटी अच्छी है, लेकिन बाकी 90% में समस्याएं हैं, खासकर मीडियम क्वालिटी में। पुराने प्याज की आवक अब खत्म हो चुकी है, और नए प्याज की सही गुणवत्ता अभी देखने को नहीं मिल रही है।
आगामी प्याज की स्थिति
नवंबर के मध्य तक प्याज की बेहतर आवक होने की उम्मीद है, खासकर अलवर और खैरथल से। वहां की प्याज की क्वालिटी से किसानों को अच्छी आमदनी मिलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अभी तक उसका समय नहीं आया है। खैरथल की प्याज को इस बार भी बाजार में अच्छी भाव मिलने की उम्मीद की जा रही है।
बांग्लादेश की स्थिति की बात करें तो वहां से 70 हजार कट्टा की आवक की संभावना है। दूसरी ओर, दक्षिण भारत में मौसम में सुधार हो रहा है। बारिश रुक चुकी है और धूप निकल रही है, जिससे माल आसानी से निकल रहा है और मंडियों में पहुंच रहा है। इससे दक्षिण भारत की मंडियों में आवक बढ़ने की उम्मीद है।
कर्नाटक से माल की आवक बढ़ने की संभावना है। यह बताया जा रहा है कि कर्नाटक की मंडियों में लाखों कट्टे माल पहुंच चुके हैं। अनुमान है कि कर्नाटक में आवक और भी ज्यादा हो सकती है। हालांकि माल हल्का आ रहा है, लेकिन लोडिंग की प्रक्रिया जारी है और मंडियों में माल बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
मध्य प्रदेश से हल्की-फुल्की आवक मिल रही है। हालांकि, मध्य प्रदेश में स्थिति अस्थिर रहती है। कभी-कभी मंडियों में माल खत्म होने की खबरें आती हैं, तो अचानक बड़ी मात्रा में माल पहुंच जाता है। उदाहरण के लिए, इंदौर और शाजापुर की मंडियों में फिलहाल कम आवक देखी जा रही है। आज सुबह इंदौर में सिर्फ 40 हजार कट्टा माल पहुंचा, जबकि रतलाम में 500 गाड़ियां ही पहुंची थीं। ऐसे में, यह कहना मुश्किल है कि मंडियों में कितना माल बचा हुआ है, क्योंकि आवक लगातार जारी है।
नेफेड और एनसीसीएफ का प्रभाव
नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा गाड़ियों की निरंतर व्यवस्था की जा रही है, इस सरकारी प्रयास के कारण बाजार में स्थिरता बनी हुई है, लेकिन मंडियों में माल की लगातार आवक के कारण अनुमान लगाना कठिन है कि कितनी मात्रा में माल मौजूद है।
एनसीसीएफ (नेशनल कंज़्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन) ने बाजार में हस्तक्षेप करते हुए 1800 रुपये के बाजार भाव की तुलना में 1500 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत रखी। 50 किलो के बैग की कीमत 36 रुपये कम कर दी गई, जिससे व्यापारियों और किसानों को भी अपने माल के भाव कम करने पड़े। इस कदम ने व्यापारियों पर अतिरिक्त दबाव डाला, जिससे उनकी गाड़ियों में करीब दो लाख रुपये का नुकसान हुआ।
व्यापार में यह सामान्य होता है कि व्यापारी एक बार के नुकसान को कवर कर सकता है, लेकिन जब तक नेफेड और एनसीसीएफ जैसी संस्थाएँ लगातार हस्तक्षेप करती रहेंगी, व्यापारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। अगर आवक कम होती है, तो व्यापारी फिर भी काम चला सकते हैं, लेकिन लगातार हस्तक्षेप व्यापारियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
नेफेड और एनसीसीएफ का मुख्य उद्देश्य बाजार भाव को स्थिर रखना और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना है। ये संस्थाएँ बड़े पैमाने पर काम करती हैं और इन्हें अनुभवी और शिक्षित अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाता है। उनका लक्ष्य होता है कि बाजार में अत्यधिक मूल्यवृद्धि न हो, खासकर त्योहारों जैसे नवरात्रि के दौरान, जब कीमतें अक्सर बढ़ जाती हैं। यह संस्थाएँ पूरी पारदर्शिता के साथ काम करती हैं, और उनकी वेबसाइट पर सभी आंकड़े उपलब्ध होते हैं। यदि नेफेड और एनसीसीएफ का स्टॉक समाप्त हो जाता है, तो वे फिर से माल खरीद सकते हैं, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।
यदि नेफेड और एनसीसीएफ का स्टॉक समाप्त हो जाता है, तो स्टॉक रखने वाले व्यापारियों को फायदा हो सकता है। अगर सरकारी हस्तक्षेप कम होता है, तो बाजार में माल की कमी से कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया हमेशा पैरेलल चलती रहती है। जब बाजार मंदा होता है, तो नेफेड और एनसीसीएफ भी अपनी क्रियाएँ धीमी कर देते हैं।
सर्दियों में प्याज और लहसुन में अंकुरण की समस्या आती है, जिससे इन उत्पादों के भाव प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, इस साल स्थिति इतनी खराब नहीं है क्योंकि अधिकांश हल्का माल पहले ही बाजार से निकल चुका है। जिन व्यापारियों के पास अच्छा और सूखा माल है, वे इसे अच्छे भाव पर बेच सकते हैं।
अंत में, इस साल, 2024, को प्याज व्यापारियों और किसानों के लिए 'स्वर्णिम वर्ष' माना जा रहा है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के व्यापारियों ने सही समय पर अपना माल निकालकर अच्छा मुनाफा कमाया है। यह साल व्यापारियों और किसानों के लिए बेहद सफल साबित हुआ है, और इसे 'गोल्डन ईयर फॉर ऑनियन' के रूप में याद किया जाएगा।