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OMSS के ज़रिए सरकार बना रही गेहूं बिक्री योजना। जानें पूरी बात इस रिपोर्ट में

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किसान साथियों, इस बार खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) को लेकर एक ताज़ा और अहम अपडेट सामने आया है। केंद्र सरकार अगस्त महीने से फिर से बाज़ार में गेहूं की बिक्री शुरू करने जा रही है। लेकिन इस बार योजना थोड़ी बड़ी है, और उससे भी बड़ी बात ये कि सरकार के पास इस बार स्टॉक भी भरपूर है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये OMSS क्या है और इसका गेहूं के बाजार से क्या लेना-देना? तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि सरकार इस स्कीम के तहत क्यों और कैसे गेहूं बेचती है, और इस बार क्या कुछ अलग हो रहा है, तो हम आपको बता दें कि देश में जब भी गेहूं की पैदावार अच्छी होती है और सरकारी एजेंसियों के पास स्टॉक ज़्यादा हो जाता है, तब सरकार खुली नीलामी (E-auction) के ज़रिए बाज़ार में गेहूं बेचती है। इसका मकसद होता है, कीमतों को नियंत्रण में रखना, मिलों को सप्लाई देना, और साथ में बफर स्टॉक भी बनाए रखना। लेकिन व्यापारियों की इस पर राय कुछ अलग ही है, व्यापारियों का कहना है कि गेहूं के भाव में पहले से अधिक तेजी नहीं है लेकिन इस बार आंकड़े बड़े हैं इसलिए सरकार की रणनीति में भी कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं। चलिए सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।

OMSS के तहत गेहूं की बिक्री

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अगस्त 2025 से ही सरकार फिर से गेहूं की बिक्री ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत शुरू करने की तैयारी में है। योजना यह है कि मार्च 2026 तक सरकार करीब 60 से 70 लाख टन गेहूं की बिक्री करेगी, वो भी ई-नीलामी के ज़रिए। अब बात ये है कि इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं बेचने की ज़रूरत क्यों पड़ी? असल में इस साल सरकार ने गेहूं की जो खरीद की है, वो 300 लाख टन से भी ज़्यादा है। इसके चलते केंद्रीय पूल (Central Stock) में 1 जुलाई तक गेहूं का स्टॉक 365 लाख टन से ऊपर पहुंच चुका है। इतना स्टॉक सरकार के लिए एक अवसर भी है और ज़िम्मेदारी भी। एक तरफ जहां ये बफर स्टॉक को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, वहीं दूसरी तरफ इसे बेचकर सरकार घरेलू बाज़ार में महंगाई को रोकने की कोशिश भी करेगी। पिछले साल सरकार ने OMSS के तहत करीब 30 लाख टन गेहूं बेचा था। लेकिन इस बार चूंकि 34 लाख टन ज़्यादा खरीद हुई है, तो सरकार इस बार 60 लाख टन या उससे ज़्यादा बेचने की स्थिति में है।

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आज के मंडी भाव

अगर आज मंडियों में गेहूं के भाव की बात करें तो दिल्ली लॉरेंस रोड में एमपी, राजस्थान और उत्तर प्रदेश लाइन का गेहूं भाव ₹2730 प्रति क्विंटल रहा और आवक 8500 बोरी रही। दाहोद मंडी में मंडी भाव और मिल भाव दोनों ₹2610 प्रति क्विंटल रहे, जिसमें ₹10 की तेजी दर्ज की गई। राजकोट मंडी में गेहूं के भाव ₹2500 से ₹3000 प्रति क्विंटल के बीच रहे और आवक 2500 बोरी रही। देवास मंडी में सामान्य गेहूं ₹2450 से ₹2550, मालवराज गेहूं ₹2500 से ₹2600 और लोकवान गेहूं ₹2700 से ₹3100 प्रति क्विंटल रहा, और कुल आवक 5000 बोरी रही। वहीं चरखी दादरी मंडी में आज गेहूं का भाव ₹2555 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।

गेहूं का रिज़र्व प्राइस तय

अब सवाल आता है कि सरकार गेहूं को किस भाव में बेचेगी? तो इसका जवाब है, ₹2,550 प्रति क्विंटल। यह रेट सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने प्रस्तावित किया है। इस रेट में ट्रांसपोर्टेशन की लागत शामिल नहीं है। मतलब, अगर कोई मिल या संस्था इसे दूर-दराज इलाके में मंगवाना चाहती है, तो उसे ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से उठाना पड़ेगा। वैसे तो यह रेट ज़्यादा नहीं है, लेकिन देखा जाए तो बहुत ज़्यादा सस्ता भी नहीं है। इस बिक्री के पीछे सरकार का मकसद यही है कि बाजार में भाव काबू में रहें लेकिन किसानों को भी नुकसान न हो। इससे सरकारी संस्थाएं, NGOs और सहकारी संस्थाएं सस्ते दामों पर गेहूं लेकर आम जनता को सस्ते दामों पर आटा दे सकें। सरकार के इस निर्णय से इतना तय है कि इस कीमत पर सरकारी गेहूं की मांग नैफेड, एनसीसीएफ, सेंट्रल भंडार, और एनजीओ जैसे संस्थानों से ज़रूर आएगी।

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FCI को मिली ज़िम्मेदारी

इस योजना की जिम्मेदारी भारतीय खाद्य निगम (FCI) को दी गई है। लेकिन एक शर्त के साथ कि उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि PDS यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली और आपातकालीन ज़रूरतों के लिए पर्याप्त स्टॉक बचा रहे। इसके लिए सरकार ने यह साफ निर्देश दिए हैं कि OMSS के अलावा FCI को कम से कम 20 लाख टन गेहूं का अतिरिक्त बफर स्टॉक बनाए रखना होगा। यह गेहूं किसी भी आपात स्थिति में देश की मदद करेगा, चाहे वह सूखा हो, बाढ़ हो या कोई और संकट। इसका साफ मतलब है कि सरकार एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है, जहां एक तरफ खुले बाज़ार में गेहूं बेचकर कीमतें काबू में रखने की कोशिश की जा रही है, और दूसरी तरफ देश की सुरक्षा और राशन व्यवस्था भी संभालनी जरूरी है।

व्यापारियों की राय

अब जब बात आई व्यापारियों की, तो उनके नज़रिए से तस्वीर थोड़ी अलग है। व्यापारी और आटा मिल मालिक मान रहे हैं कि इस बार गेहूं की कीमतों में पहले से ही कोई तेज़ी नहीं है। क्योंकि इस बार देश में बंपर उत्पादन हुआ है और सरकार के पास भी स्टॉक भरपूर है। इसके अलावा, बड़ी कंपनियां और आटा मिलें पहले से ही 4 से 6 महीने का स्टॉक खरीदकर रख चुकी हैं। ऐसे में जब बाजार में पहले ही स्टॉक भरा पड़ा है, तो OMSS के तहत बिकने वाला गेहूं बहुत ज़्यादा डिमांड खींच पाएगा, यह थोड़ा मुश्किल लग रहा है। व्यापारियों की मानें तो अगर सरकार धीरे-धीरे और प्लान के तहत गेहूं बेचेगी तो कीमतें ₹2800 से ₹2900 प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं, लेकिन अगर सरकार ने बहुत ज़्यादा माल एकसाथ डाल दिया तो भाव नीचे भी आ सकते हैं।

मिल मालिकों को नहीं मिलेगी छूट

एक और अहम बात सामने आई है कि सरकार ने इस बार "भारत" ब्रांड के नाम से बेचने वाले प्राइवेट मिल मालिकों को सरकारी गेहूं बेचने की इजाज़त नहीं दी है। मतलब साफ है कि सिर्फ सरकारी एजेंसियां और चुनी हुई संस्थाएं ही इस ब्रांड के नाम से आटा बेच सकेंगी। इस फैसले से सरकार का मकसद है कि सस्ते दामों पर गरीबों तक आटा पहुंचे, और कोई प्राइवेट खिलाड़ी इसका गलत फायदा न उठा सके। इसके अलावा NGOs और सामुदायिक रसोई (Community Kitchens) चलाने वाली संस्थाएं भी इस योजना के तहत गेहूं ले पाएंगी। इससे समाज के ज़रूरतमंद तबकों तक सस्ते और अच्छे दाम में खाना पहुंचाना संभव होगा।

गेहूं का भविष्य

अब बात करते हैं आने वाले समय में गेहूं के भाव बढ़ेंगे या घटेंगे? किसान और व्यापारी दोनों इस सवाल को लेकर चिंतित हैं। लेकिन जैसा कि ऊपर बताया गया है, सरकार के पास इस समय भारी मात्रा में गेहूं का स्टॉक है। इसके साथ ही खुले बाज़ार में बिक्री की योजना भी लगभग फाइनल है। ऐसे में बहुत अधिक तेजी आने की संभावना कम ही लग रही है। हालांकि, अगर सरकार गेहूं को लिमिटेड मात्रा में और फेज़ में उतारे — तो भाव में थोड़ी-बहुत तेजी देखने को मिल सकती है, और गेहूं के भाव ₹2800–₹2900 के स्तर तक पहुंच सकते हैं। लेकिन अगर सरकार ने भारी मात्रा में एकसाथ माल निकालना शुरू कर दिया, तो भाव नीचे भी आ सकते हैं। इसलिए व्यापारी और मिल मालिक इस बार थोड़ा सावधानी से स्टॉक करें और बाजार की हर गतिविधि पर नज़र बनाए रखें। व्यापार अपने संयम और विवेक से करें।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।