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पूसा वैज्ञानिकों ने दी सलाह, DAP छोड़ो अब यह खाद डालो | गेहूं सरसों के लिए बढ़िया विकल्प

dap ki jagah par kya daale
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किसान साथियों, इस समय गेहूं की बिजाई का कार्य काफी जोरों से शुरू हो चुका है। मौजूदा समय में गेहूं के सीजन में किसानों को डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। डीएपी, जो फास्फोरस और नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत माना जाता है, डीएपी कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला उर्वरक है। लेकिन इस समय डीएपी की खपत इतनी अधिक हो चुकी है कि एक तरफ तो किसानों को जरूरत के अनुसार डीएपी नहीं मिल पा रही है और अगर किसी से ब्लैक में खरीदने हैं तो यह है आम किसान बजट के बाहर हो जाती है। डीएपी की बढ़ती कीमतों और उपलब्धता में कमी के चलते किसानों को घंटों लंबी कतारों में लगना पड़ता है। डीएपी को लेकर किसानों के हालात ऐसे बने हुए हैं कि वह डीएपी का दूसरा विकल्प ढूंढने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में सवाल उठता है, क्या डीएपी के अलावा कोई सस्ता और प्रभावी विकल्प है, जो मिट्टी और फसल दोनों के लिए बेहतर साबित हो सके।

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तो दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसे कुछ विकल्प हैं, जो डीएपी के मुक़ाबले कहीं अधिक बेहतर हैं, जो न सिर्फ़ डीएपी से सस्ते पड़ते हैं बल्कि बाजार में भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और इनके प्रयोग से आपकी मिट्टी की गुणवत्ता और पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए किसान भाई डीएपी पर पूरी तरह निर्भर होने की बजाय इन सस्ते और बेहतरीन विकल्पों का चयन करके अपनी खेती को अधिक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं। आज की इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही कुछ विकल्पों के बारे में चर्चा करेंगे।
क्या हैं डीएपी के विकल्प और उनकी विशेषताएं

1. सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी)
किसान भाइयों, एसएसपी डीएपी खाद की जगह आपके पास एक बेस्ट ऑप्शन है। एसएसपी में फास्फोरस के साथ-साथ कैल्शियम और सल्फर भी होता है। इसमें 16% फास्फोरस, 12% सल्फर और 21% कैल्शियम की मात्रा होती है, जबकि डीएपी में केवल फास्फोरस और नाइट्रोजन की ही मात्रा होती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा होने के कारण यह मिट्टी के पोषक तत्वों को भी बढ़ाने में मदद करता है। अगर इसकी कीमत की बात करें तो डीएपी के मुकाबले एसएसपी किसानों के लिए काफी सस्ता और बेहतरीन विकल्प है।

2. एनपीके फर्टिलाइजर
किसान भाइयों, एनपीके खाद फास्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन का एक मिला-जुला मिश्रण होता है, जो मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मददगार होता है। किसान भाई इसका प्रयोग डीएपी की जगह कर सकते हैं। यह किसानों को तीनों फायदे एक ही खाद के सहारे प्रदान करता है। अगर एनपीके की बात करें तो इसमें आपकी फसल की आवश्यकता के अनुसार और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के अनुसार अलग-अलग अनुपातों में आपको बाजार में एनपीके मिल जाएगा, जो आपकी फसल की जरूरत के अनुसार पोषण प्रदान करता है, जिसका प्रयोग करके आप अपनी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को अधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं।

3. फॉस्फेट सोल्यूलाइजिंग बैक्टीरिया (पीएसबी)
किसान साथियों, पीएसबी एक जैविक स्रोत है, जो मिट्टी में मौजूद फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में बदल देता है। पीएसबी के प्रयोग से आप डीएपी की 25% आवश्यकता को कम कर सकते हैं। बाजार में पीएसबी आपको 50 रुपए की सस्ती कीमत में मिल जाता है और इसमें मिलने वाला फास्फोरस आपकी फसल में धीरे-धीरे कई दिनों तक असर दिखाता है, जो आपकी फसल के उत्पादन के लिए काफी फायदेमंद होता है।

4. माइकोराइजा फंगस
किसान साथियों, माइकोराइजा एक फफूंद है, जो मिट्टी में पड़े हुए फास्फोरस और अन्य पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचने में मदद करता है। अगर आप इसका प्रयोग करते हैं, तो इसके प्रयोग से भी आप डीएपी की 25% आवश्यकता को कम कर सकते हैं। अगर आप माइकोराइजा और पीएसबी दोनों का प्रयोग अपनी फसल में करते हैं, तो आप डीएपी की 50% कमी कर सकते हैं।

5. रॉक फॉस्फेट
किसान साथियों, रॉक फॉस्फेट एक देसी स्रोत है, जो राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों में उपलब्ध होता है। रॉक फॉस्फेट को राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों से प्राप्त किया जाता है। इसकी कीमत डीएपी की तुलना में बहुत कम होती है, और यह मिट्टी के दीर्घकालिक पोषण के लिए उपयोगी होता है। इसके प्रयोग से न सिर्फ विदेशी मुद्रा की बचत होती है, बल्कि किसानों को एक सस्ता और प्रभावी विकल्प भी मिलता है।

6. फॉस्फेट रिच ऑर्गेनिक मैन्यूर (प्रोम)
किसान भाइयों, प्रोम में रॉक फॉस्फेट के साथ जैविक तत्व भी शामिल होते हैं, जिससे मिट्टी को फास्फोरस के साथ-साथ ऑर्गेनिक कार्बन भी मिलता है। इसका प्रयोग किसानों के लिए एक सस्ता और पोषक विकल्प साबित हो सकता है, जो आपकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है और फसल पर आने वाले आपके खर्च को भी कम करता है।

क्या मिलेंगे फायदे
1. सस्ता और किफायती: एसएसपी, पीएसबी, माइकोराइजा और रॉक फॉस्फेट जैसे विकल्प डीएपी की तुलना में काफी सस्ते हैं, जिससे किसानों के खर्चे में कमी आती है।
2. मिट्टी का समुचित पोषण: डीएपी सिर्फ फास्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान करता है, जबकि ये विकल्प कैल्शियम, सल्फर और जैविक तत्व भी प्रदान करते हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।
3. पैदावार में वृद्धि:
किसान भाइयों, अगर आप डीएपी की जगह इन विकल्पों का प्रयोग करते हैं, तो इससे आपकी मिट्टी का स्वास्थ्य भी सही रहता है और पौधे मिट्टी से अधिक से अधिक पोषक तत्व प्राप्त कर पाते हैं, जिसके कारण आपकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होती है।
4. जल संरक्षण और प्रदूषण की रोकथाम:
किसान साथियों, अगर आप अपने खेत में डीएपी का अधिक प्रयोग करते हैं, तो आपको अपने खेत में सिंचाई की विधि की आवश्यकता होती है, और डीएपी के अधिक प्रयोग से जल स्रोतों का प्रदूषण भी बढ़ता है। जबकि जैविक और देसी विकल्पों से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।

नोट : रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सर्वजनिक स्रोतों से एकत्र की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।