निर्यात मांग बढ़ने से चावल बाजार मुड़ सकता है तेजी की तरफ । जानिए क्या कहती है बाजार की चाल
किसान साथियों, हाल ही में भारतीय चावल के बाज़ार में जो हलचल देखने को मिल रही है, उसने किसानों और व्यापारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्योंकि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी से लेकर तमाम राज्यों के उत्पादक क्षेत्रों में बारीक चावल की मांग अचानक बढ़ी है। भारतीय स्टॉक 1 जुलाई तक 1.35 करोड़ टन का लक्ष्य है, जबकि मौजूदा सरकारी स्टॉक लगभग 5.95 करोड़ टन है। मिलों में तैयार माल धीरे-धीरे कट (sell) होना शुरू हो गया है, जिससे बाज़ार भावों में तेजी आ गई है। कुछ निर्यातकों के पास माल बिक चुका है; इतना ही नहीं, हाज़िर शिपमेंट (spot shipments) में भी चावल सेला (non-Basmati rice) की डिमांड देखकर ऐसा लग रहा है कि यह सिलसिला अभी और आगे बढ़ने वाला है। दिल्ली से चीका, सफीदों और कुरुक्षेत्र तक में चावल की क्वालिटी को देखकर ट्रेडर्स खुश हैं। तेजी आ रही है, क्योंकि लोग और मिलर्स खरीदारी बढ़ा रहे हैं, इसके अलावा इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे तनाव पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की युद्धविराम की घोषणा के बाद निर्यात के ऑर्डर भी आ रहे हैं। वहीं मिलों ने शायद अभी स्टॉक धीरे-कट रखा था, लेकिन अब भावों में चल रही इस ग्रोथ ने उनकी पॉलिसी पूरी तरह बदल दी है।
हरियाणा व आसपास
हरियाणा के तरावड़ी, कैथल, कुरुक्षेत्र, चीका, सफीदों जैसे इलाकों में बारीक चावल की खेप आना शुरू हुई, जो अब धीरे-धीरे कटने लगी है। वहीं खास बात यह है कि चावल की ये खेप अब ध्यान खींचने लगी है। ट्रेडर्स कह रहे हैं कि आए दिन मिल्स में आने वाला माल पहले की तरह आराम से स्टॉक नहीं हो पा रहा, बल्कि एक-दो दिन ठहराव के बाद नया भाव मिल ही जाता है। इस क्षेत्र से मिलने वाले 1509 चावल के भाव ₹6050 से ₹6100 रुपए/क्विंटल तक जा पहुंचे हैं। वहीं 1718 से थोड़ा ऊपर यानी ₹6400 रुपए/क्विंटल पर चल रहे हैं। अगर आप इसे स्ट्रीम चावल (steamed rice) मान कर देखें, तो यह दाम लगभग ₹7100 रुपए तक बिके हैं — यानी सही मायने में राजस्व बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। अब आप खुद सोचिए, जब भाव एकदम से ऊपर की ओर झुक रहे हैं, तो कहने का मतलब है मिलर्स और किसानों की हालत फ्रेश कैश फ्लो की ओर बढ़ रही है। लेकिन इसका एक इशारा ये भी है कि अगर निर्यात और हाज़िर शिपमेंट में मांग बनी रही, तो भावों में और लहर (wave) देखने को मिल सकती है।
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धान के भाव
आज धान के भाव: नरेला मंडी में धान 1509 भाव ₹3000, धान 1718 भाव ₹3400 से ₹3450, धान 1847 कंबाइन भाव ₹2765, गोंदिया मंडी में धान IR भाव ₹1950 से ₹2000, धान स्वर्णा भाव ₹2050 से ₹2100, धान HMT भाव ₹3100 से ₹3150, गदरपुर मंडी में धान नूरी भाव ₹2000 से ₹2250, धान PR 26 भाव ₹1800 से ₹2000, बूंदी मंडी में धान 1718 भाव ₹3000 से ₹3191, धान 1847 भाव ₹2811 प्रति क्विंटल बोले गए।
निर्यात बाजार
बैंकॉक से मिली रिपोर्ट कह रही है कि पिछले सप्ताह की तुलना में भारत का चावल निर्यात भाव थोड़ा सुधार के साथ आया है। (याद रखें — उस दौरान भारत दो साल के निचले स्तर पर पहुंच चुका था!) लेकिन अब तेजी की सड़क पर वापसी की उम्मीद है, क्योंकि ईरान और इज़राइल युद्धविराम के संकेतों के बाद निर्यात मांग वापस लौट रही है। खास तौर से 5% टूटे पारबॉयल्ड (parboiled) चावल की कीमत $380–386 प्रति टन पहुंच गई, जो पिछली हाज़िरी रिपोर्ट में $378–384 के बीच थी। सफेद चावल में भी मामूली बढ़ोतरी हुई और अब $373–377 हो गया। ये संकेत कर रहे हैं कि आखिरकार मांग और सप्लाई में संतुलन कुछ सुधर रहा है। दूसरी तरफ, थाईलैंड और वियतनाम के चावल की सप्लाई अभी तगड़ी बनी हुई है, जिससे वहां भावों में एक तरह की डील करेक्शन हो रही है।
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थाईलैंड और वियतनाम का हाल
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि थाईलैंड और वियतनाम भी इन दिनों एक नेक स्थिति से गुजर रहे हैं। वियतनाम के 5% टूटे चावल $378 पर बिके; जबकि एक हफ़्ते पहले यह $388 था — यानी $10 का स्टेबल डाउन। थाईलैंड में भी भाव $397 के आसपास थे, जो पिछले $398 से थोड़ा कम है। विश्लेषक बता रहे हैं कि वहां के फसली सप्लाई चेन (harvest supply chain) और मौसम की वजह से भावों में कमजोरी आ रही है। लेकिन किसान को लेकर जो चिंता है, वो जोखिम नहीं है बल्कि ये उम्मीद भी है कि अगर मौसम सही है, तो productivity अच्छी हो सकती है। यानी, थाईलैंड और वियतनाम में औसतन भावों में नरमी है, लेकिन भारत का भाव स्थिर या थोड़ा ऊपर जा रहा है — इससे पता चलता है कि वैश्विक बाज़ारों में इंडिया की पोजिशन बदल रही है।
बांग्लादेश और घरेलू कीमतों की स्थिति
जहां तक बांग्लादेश की बात है, वहां सरकार लगातार मार्केट कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है — जैसे कि सरकारी वसूली बढ़ाना, आयात ड्यूटी में कमी, और मार्केट मॉनिटरिंग इत्यादि। लेकिन अब तक इसका असर नाममात्र का ही दिखा है। घरेलू बाज़ारों में चावल के रिटेल भाव काफी ऊंचे पर बिक रहे हैं, खासकर मोटे अनाजों और मध्यम दानों वाले चावल के। रिटेलर्स इस वक्त जिस तरह से वॉल्यूम-ड्राइविंग स्कीम्स चला रहे हैं, वो मध्यम और निम्न-आय वर्ग के कंज्यूमर्स की पहुंच से बाहर हैं। इसलिए गर्मियों में भले बाज़ार थोड़े हलचल में हों, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि भारत के चावल निर्यात और घरेलू दामों में संतुलन बन रहा है। इसलिए अगर आप चावल के व्यापारी हैं तो बाजार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें और व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।