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Mustard Cake Export Report : सरसों और सोयाबीन खल निर्यात के क्या हैं हाल | देखें खल के निर्यात की लेटेस्ट रिपोर्ट

Mustard Cake Export Report : सरसों और सोयाबीन खल निर्यात के क्या हैं हाल | देखें खल के निर्यात की लेटेस्ट रिपोर्ट
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Mustard Cake Export Report : किसान साथियों और व्यापारी भाइयों तेल तिलहन के बाजार में इस समय सबसे बड़ी समस्या सरसों और सोयाबीन के भाव का कमजोर होना है। सरसों के भाव बेशक थोड़ी बहुत संतोषजनक स्थिति में चल रहे हैं लेकिन सोयाबीन के बाजार का बंटाधार हो गया है। भाव MSP से 800 से 1000 रुपये तक कमजोर चल रहे हैं। भाव के इस कदर कमजोर रहने का सबसे बड़ा कारण खल के निर्यात और कीमत का घटना है। आज की रिपोर्ट में हम सरसों और सोयाबीन खाल के आयात निर्यात के डाटा को लेकर विश्लेषण करेंगे। इस विश्लेषण में हम यह जानने की कोशिश करेंगे की आने वाले समय में तेल तिलहन के बाजार में खल की तेजी मंदी का कितना योगदान रहने वाला है। किसान साथियो और व्यापारी भाइयो विदेशी बाजार में सरसों खल की कमजोर मांग और वैश्विक बाजार में सोयाबीन खल की अधिक आपूर्ति के कारण भारत से खल निर्यात में गिरावट आई है। भारत के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच देश से खल का निर्यात 12.39 प्रतिशत घटकर 39 लाख 33 हजार टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 44 लाख 90 हजार टन था। अकेले फरवरी महीने में, निर्यात 5 लाख 15 हजार टन से घटकर 3 लाख 30 हजार टन हो गया। कमजोर मांग के कारण, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत से सरसों खल का निर्यात 17.53 प्रतिशत घटकर 16 लाख 82 हजार टन रह गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 20 लाख 39 हजार टन था। सरसों खल का निर्यात मूल्य मार्च 2024 में 285 डॉलर प्रति टन से घटकर 17 मार्च 2025 को 190 डॉलर प्रति टन हो गया।  अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।

कैसा हुआ सोयाबीन खल का निर्यात
वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले 11 महीनों में निर्यात लगभग पिछले वर्ष के बराबर रहा है। जर्मनी और फ्रांस से अच्छी मांग के कारण, निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 19 लाख 34 हजार टन से बढ़कर 19 लाख 40 हजार टन हो गया है। हालांकि, मौजूदा तिलहन वर्ष में अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक वैश्विक बाजार में आपूर्ति अधिक होने के कारण भारतीय सोयाबीन खल का निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 13 लाख 47 हजार टन से घटकर 10 लाख 31 हजार टन हो गया है। इसके साथ ही निर्यात मूल्यों में भी गिरावट आई है, जो 380 डॉलर से घटकर 360 डॉलर हो गई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक दक्षिण कोरिया ने भारतीय खल का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 7 लाख 87 हजार टन से घटाकर 6 लाख 14 हजार टन कर दिया है। इस आयात में 3 लाख 94 हजार टन सरसों खल, 1 लाख 66 हजार टन अरंडी खल और 54 हजार 156 टन सोयाबीन खल शामिल है।

भारत ने किन देशो की कितना किया खल का निर्यात
वियतनाम ने पिछले साल की तुलना में इस साल भारतीय खल का आयात घटा दिया है। पिछले साल वियतनाम ने 3 लाख 94 हजार टन खल आयात किया था, जो इस साल घटकर 2 लाख 21 हजार टन रह गया है। इस साल के आयात में 1 लाख 87 हजार टन सरसों खल, 22 हजार 208 टन सोया खल, 11 हजार 283 टन डी-ऑयल्ड राईस ब्रान एक्सट्रेक्शन और 3003 टन मूंगफली खल शामिल है। थाईलैंड ने भी पिछले साल की तुलना में भारतीय खल का आयात घटा दिया है। पिछले वर्ष थाईलैंड ने 6 लाख 4 हजार टन खल आयात किया था, जो इस वर्ष घटकर 4 लाख 13 हजार टन रह गया है। इस साल के आयात में 3 लाख 88 हजार टन सरसों खल, 15 हजार 879 टन सोयाबीन खल और 8655 टन मूंगफली खल शामिल है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। सूत्रों के अनुसार, वर्तमान वित्तीय साल के पहले 11 महीनों में यूरोपीय देशों ने लगभग 5 लाख 95 हजार टन भारतीय सोयाबीन खल का आयात किया है। बांग्लादेश ने भी पिछले साल की तुलना में भारतीय खल का आयात घटा दिया है। पिछले वर्ष बांग्लादेश ने 7 लाख 79 हजार टन खल आयात किया था, जो इस वर्ष घटकर 6 लाख 98 हजार टन रह गया है। इस साल के आयात में 5 लाख 51 हजार टन सरसों खल और 1 लाख 38 हजार टन सोयाबीन खल शामिल है। केन्या ने अक्टूबर से फरवरी के दौरान 1 लाख 49 हजार टन सोयाबीन खल का आयात किया है।

सरसों और सोयाबीन के भाव निर्धारण में खल का बड़ा योगदान
बाबू लाल डाटा के अनुसार, देश में तेल मिलों का मुनाफा बहुत कम हो गया है। आयात में वृद्धि के कारण, कई मिलें बंद होने के कगार पर हैं। उनका अनुमान है कि इस साल देश में सरसों का उत्पादन 100-120 लाख टन तक ही रहेगा। वर्तमान में, भारत अपनी खाद्य तेल की खपत का 65% हिस्सा आयात से पूरा करता है, जिसे धीरे-धीरे कम करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि डीडीजीएस के कारण ऑयलमील की खपत में कमी आई है, जिससे तेल मिलों की क्रशिंग कम हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल सरसों खल के भाव 2600 के आस पास चल रहे थे जो कि इस साल 2100 के आस पास बने हुआ है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।  ग़ौरतलब है कि अगर खल के भाव में सुधार होता है तो फिर से सरसों के रेट 6500 तक आसानी से पहुंच सकते हैं। बाबु लाल डाटा ने सुझाव दिया कि सरकार को डीओसी (डिओइल्ड केक) के निर्यात पर प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि ऑयलमील उद्योग और किसानों को सहारा मिल सके। अगर सरकार की तरफ से खल के निर्यात के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है तो सरसों और सोयाबीन के किसानों और व्यापरियों के अच्छे दिन आ सकते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।