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अगर आपने ग्वार को स्टॉक कर रखा है तो यह रिपोर्ट जरूर देख लेना | नुकसान से बचाने वाली ग्वार की तेजी मंदी रिपोर्ट

अगर आपने ग्वार को स्टॉक कर रखा है तो यह रिपोर्ट जरूर देख लेना | नुकसान से बचाने वाली ग्वार की तेजी मंदी रिपोर्ट
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किसान साथियो कई दिनों से ग्वार के बाजार में एक अजीब सी चुप्पी छाई हुई है। जानकारों का मानना है कि ग्वार बाजार के लिए आने वाले दो माह काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। ग्वार के चालू सीज़न के तीन महीने का समय पूरा हो चुका है। लेकिन अभी तक भी दैनिक आवकों में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है । भाव के कम रहने के कारण किसान बाजार में माल लेकर नहीं आ रहे हैं। दोस्तो ग्वार की आवक के पिछले कुछ सालों के ट्रेंड को देखें तो आमतौर पर यही देखा गया है कि ग्वार के सीज़न की शुरुआती आवकें ज्यादा रहती हैं। बाद में आवक धीमी हो जाती है। आवक का अनुपात कुछ इस तरह से है कि पहले तीन महीने की कुल आवक शेष 9 महीने की आवक के बराबर रहती है । इस हिसाब से देखा जाए तो अब तक की 34 लाख बोरी आवक के हिसाब से कुल उत्पादन लगभग 68 लाख बोरी का माना जा सकता है। इस साल भी बढ़िया बारिश होने के चलते राजस्थान में ग्वार का भरपूर उत्पादन हुआ है इसलिए राजस्थान की मंडियों में ग्वार का भारी मात्रा में स्टॉक देखने को मिल रहा है। इस सीज़न में ग्वार के भाव ₹4800 से ₹5200 प्रति क्विंटल के बीच बने हुए हैं। पिछले तीन-चार महीनों से इन भावों में मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया है, और बाजार केवल 50 से 100 रुपये तक की तेजी-मंदी के बीच घूम रहा है।

पिछले दिनों बढ़िया पिटाई के बाद हाल ही में ग्वार के दामों में थोड़ा सुधार देखने को मिला है, खासकर राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में। दरअसल ग्वार गम के भाव में सुधार होने के कारण ग्वार सीड के भाव में भी सुधार बना है। इस समय राजस्थान और हरियाणा की कई प्रमुख मंडियों में ग्वार का दाम ₹5200 से अधिक हो गया है। ग्वार के दामों में उछाल आने के बाद किसान मंडियों में माल लेकर आने लगे हैं और इसी के चलते मंडियों में आवक भी बढ़ गई है। हरियाणा की आदमपुर मंडी में कल ग्वार का दाम ₹5246 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जो कल का सबसे ऊंचा रेट है। वहीं, हरियाणा की ऐलनाबाद मंडी में ग्वार का दाम सबसे कम देखा गया है। इसके अलावा अन्य मंडियों में भी ग्वार के दाम तेजी से बढ़ने के समाचार मिल रहे हैं।

वायदा बाजार अपडेट
किसान साथियो अगर 2022 के बाजार से तुलना करें तो 2022 में NCDEX पर ग्वार सीड का रेट 5800-6000 और ग्वार गम का रेट 12 से 13 हजार के बीच चल रहा था। जबकि मंडियों के रेट 5700-5800 के आसपास थे। पिछले साल 2024 मे जनवरी महीने में ग्वार सीड 5300-5400 और ग्वार गम का भाव 10200-10300 हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच घूम रहा था । लेकिन उसके बाद से ही ग्वार का बाजार सुस्त ही चल रहा है। 2023 और 2024 में बढ़िया बारिश होने के कारण उत्पादन बढ़िया हुआ और डिमांड में तुलनात्मक वृद्धि ना होने कारण बाजार मंदी का ही रूझान दिखा रहे हैं। इस साल 2025 मे अब बढ़िया ग्वार के 5000 से 5200 के लेवाल मिल रहे हैं । और ग्वार गम का बाजार 10500-10600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है

ग्वार मे मंदी के कारण
ग्वार की लगातार मंदी के पीछे मुख्य कारण मांग में कमी और उत्पादन में वृद्धि मानी जा रही है। व्यापारी ने बताया कि राजस्थान में इस वर्ष समान मात्रा में बारिश होने के कारण उत्पादन बढ़ा है। साथ ही, जोधपुर जैसे स्थानों पर भारी मात्रा में ग्वार की आवक हुई, जिससे मंडियों में भीड़भाड़ रही। इसके अलावा, किसानों ने इस वर्ष अपने पुराने स्टॉक को बेचा, क्योंकि नगदी की आवश्यकता अधिक थी।
व्यापारी ने मंडी भाव टुडे को बताया है कि फिलहाल ग्वार की आवक में कमी आई है। केवल वे किसान ग्वार बेच रहे हैं, जिन्हें तुरंत नगदी की आवश्यकता है। हालांकि, इसके बावजूद ग्वार के भाव में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी जा रही है। व्यापारियों का मानना है कि ग्वार एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न गोदामों में दो-तीन साल का अतिरिक्त स्टॉक पहले से मौजूद है, जिसमें ग्वार साबुत, गम की दाल, और कोरमा शामिल है। जब भी बाजार में तेजी आती है, व्यापारी इस स्टॉक को बेचकर बाजार को संतुलित कर देते हैं। इसलिए बाजार में बड़ी तेजी नहीं बन पाई है।
दोस्तों डिमांड और सप्लाई का रूल यही कहता है कि ग्वार के भाव में वृद्धि तभी संभव है, जब आपूर्ति की श्रृंखला बाधित हो। इसके लिए मौसम की प्रतिकूलता, फंगस, कीटनाशक, या उत्पादन में कमी जैसे कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। फिलहाल, आपूर्ति भरपूर है और मांग को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं है।

ग्वार की निर्यात मांग पर क्या है अपडेट
ग्वार की निर्यात मांग में गिरावट देखी जा रही है। पहले जहां इसका निर्यात लगभग 6 लाख मीट्रिक टन होता था, अब यह घटकर 3 से 4 लाख मीट्रिक टन के आसपास रह गया है।  व्यापारी के अनुसार, ग्वार के बाय-प्रोडक्ट्स जैसे ग्वार गम पाउडर, चूरी, और कोरमा की वैश्विक बाजार में मांग कम हो रही है। संभवतः विदेशी बाजारों में इनके विकल्प खोज लिए गए हैं। भारत में शोध और अनुसंधान सुविधाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। व्यापारी का मानना है कि सरकार को ग्वार और इसके उत्पादों पर गहन शोध करना चाहिए ताकि इनके नए उपयोग खोजे जा सकें।

ग्वार के बाय-प्रोडक्ट्स का उपयोग
ग्वार गम पाउडर का उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है, लेकिन इसका व्यापक विकल्प मिल जाने से मांग प्रभावित हुई है। वहीं, ग्वार कोरमा का उपयोग पशु आहार और फिश फीड में होता है, क्योंकि यह प्रोटीन से भरपूर है। कुछ उत्पादों में ग्वार मील को इंग्रेडिएंट के रूप में शामिल किया जाता है। व्यापारी ने सुझाव दिया कि ग्वार के नए और वैकल्पिक उपयोग खोजने पर जोर दिया जाना चाहिए। इससे इसके उपयोग और मांग में वृद्धि होगी, जिसका सीधा लाभ किसानों और उद्योगों को मिलेगा।

मांग और उत्पादन के बीच संतुलन
ग्वार की मौजूदा मांग कम है, जिसके चलते बाजार पर दबाव देखा जा रहा है। पिछले दो वर्षों से इसके भाव एक निश्चित सीमा में बने हुए हैं। व्यापारी ने बताया कि 2022 में ग्वार के भाव ₹4800 से बढ़कर ₹6200 तक पहुंच गए थे, जबकि ग्वार गम ₹10,000 से बढ़कर ₹13,200 तक बिक गया था। फ़िलहाल बाजार संतुलन में है और आवक घटने के चलते इसमें मामूली तेजी तो बन सकती है लेकिन बड़ी तेजी की गुंजाईश कम है। ग्वार का बाजार वायदा बाजार और स्टॉक की स्थिति पर निर्भर करता है। जब स्टॉक धारक ऑफ-सीजन में माल बेचते हैं, तो इंडस्ट्री का काम चलता रहता है। किसान आमतौर पर अपनी फसल बेच देते हैं क्योंकि उन्हें नगदी की आवश्यकता होती है। ग्वार की सप्लाई मुख्यतः अक्टूबर से दिसंबर तक रहती है, जब विभिन्न जिलों जैसे गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, और बाड़मेर से ग्वार मंडियों में आता है।

ग्वार के मंडियों मे वर्तमान भाव
किसान साथियों, वर्तमान समय में ग्वार के भाव न्यूनतम स्तर के आसपास चल रहे हैं। अगर पिछले सप्ताह के ग्वार के मंडियों के भाव की बात करें तो ग्वार के भाव में 50 से 100 रुपए की मामूली तेजी दर्ज की गई।
परंतु अभी ग्वार के भाव में कमी की संभावना नहीं दिखती। अराइवल का दबाव खत्म हो चुका है और मांग में सुधार जारी है। डेली परचेसिंग सीजन में 200-300 बैग तक पहुंच जाती है, जबकि ऑफ-सीजन में यह कम होती है। 2025 तक यदि ग्वार की मांग बनी रही, तो कीमतें 6000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती हैं।
यदि प्रमुख मंडियों में ग्वार के भाव की बात करें, तो NCDEX पर ग्वार का रेट जनवरी मे 5395  और ग्वार ग़म का रेट 10518 के आसपास चल रहा है। हाज़िर मंडियों की बात करें तो ग्वार की कीमतें स्थिर हैं। सिरसा मंडी में ग्वार का भाव ₹ 4400 से ₹ 5132 के बीच और आदमपुर मंडी में यह ₹ 3555 से ₹ 5246 के बीच रहा। श्री गंगानगर मंडी में ग्वार का भाव ₹ 4200 से ₹ 5160 तक बिक रहा है । सूरतगढ़ मंडी में ग्वार ₹ 4900 से ₹ 5162 के बीच बिका। बीकानेर मंडी में ग्वार ₹ 5000 से ₹ 5221 के बीच रहा, जबकि नोहर मंडी में यह ₹ 5000 से ₹ 5234 के बीच था। रावतसर मंडी में ग्वार ₹ 4850 से ₹ 5240 तक बिका। पदमपुर मंडी में ग्वार का भाव ₹ 5016 से ₹ 5101 के बीच था। संगरिया मंडी में ग्वार ₹ 4361 से ₹ 5025 के बीच था। खाजूवाला मंडी में ग्वार ₹ 5100 से ₹ 5165 के बीच बिका, और पूगल मंडी में यह ₹ 4600 से ₹ 5200 तक था। पीलीबंगा मंडी में ग्वार का भाव ₹ 5166 से ₹ 5183 के बीच रहा। ऐलनाबाद मंडी में ग्वार ₹ 4700 से ₹ 5030 के बीच बिका।

किसानों की ग्वार को लेकर सोच
किसानों के लिए ग्वार नकदी फसल के रूप में महत्वपूर्ण है। वे इसे अपनी "एफडी" (फिक्स्ड डिपॉजिट) के रूप में मानते हैं। ग्वार को आवश्यकता अनुसार बेचा जाता है, जिससे किसान अपने दैनिक खर्च पूरे कर सकें। हालांकि, कुछ किसान बेहतर दाम की प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है।
ग्वार एक ड्यूरेबल फसल है। इसे लंबे समय तक बिना खराब हुए भंडारित किया जा सकता है। ग्वार उत्पादक क्षेत्र के गांवो में अनुमानित 8-10 हजार बैग तक ग्वार किसानों और व्यापारियों के पास भंडारित है। राजस्थान की मुंडवा तहसील की बात करें तो यह आंकड़ा 80-90 हजार बैग तक हो सकता है।
ग्वार की ड्यूरेबिलिटी और स्टोरेज इसे अन्य फसलों से अलग बनाती है। जहां एक तरफ़ मूंग, चना गेहूं या अन्य फसलें जल्दी खराब हो जाती हैं, वहीं ग्वार चार-पांच साल तक भी खराब नहीं होता। यही कारण है कि किसान इसे होल्ड करना पसंद करते हैं, यह सोचकर कि कभी न कभी दाम बढ़ेंगे।
राजस्थान के नागौर जिले के किसानों ने बड़ी मात्रा में ग्वार को अपने गोदामों में लंबे समय से स्टोर करके रखा है, उन्हें उम्मीद है कि इसकी कीमतें एक बार फिर से ₹30,000 से ₹35,000 प्रति क्विंटल तक पहुंचेंगी। गांव में 50 बोरी से लेकर 250 क्विंटल तक ग्वार स्टॉक में है, जिसे किसान पिछले 3 से 12 साल तक से होल्ड कर रहे हैं। उनका मानना है कि वर्तमान में ग्वार की कीमतें ₹5,000 से ₹5,200 प्रति क्विंटल हैं और इससे नीचे नहीं जाएंगी।

किसानों से बातचीत के दौरान पता चला कि किसान जानते हैं कि कई साल पहले ग्वार की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ती मांग के कारण इतनी ऊंचाई पर पहुंची थीं, लेकिन अब वे स्वीकार करते हैं कि वैसा मौका फिर से आना मुश्किल है। इसके बावजूद, वे ग्वार को तब तक स्टोर करना चाहते हैं, जब तक कि उनकी अपेक्षित कीमतें नहीं मिलतीं। कुछ किसानों का कहना है कि आवश्यकता पड़ने पर वे ग्वार को कम कीमत पर भी बेच सकते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा करने का उनका इरादा नहीं है। ग्वार के किसानों की यह उम्मीद और धैर्य बताता है कि वे अपने निर्णयों को लेकर कितने जागरूक हैं।

ग्वार में आगे कैसा रह सकता है बाजार
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों इसमें कोई दो राय नहीं है कि अब ग्वार में 2011 जैसे भाव नहीं मिलने वाले। लगातार घट रही निर्यात डिमांड और ग्वार की जगह पर वैकल्पिक प्रोडक्ट के उपयोग के कारण इसका बाजार लगातार दबाव में चल रहा है । बहरहाल अभी भी ग्वार का उपयोग काफी जगह पर हो रहा है और डिमांड और सप्लाई संतुलित लग रही है। इस हिसाब से देखें तो बाजार में मंदा तो नहीं लगता लेकिन बहुत बड़ी तेजी बनना भी मुश्किल है। पिछले कई साल से लगातार कमजोर भाव रहने के कारण ग्वार का स्टॉक बढ़ता ही जा रहा है। जैसे भी बाजार सुधरेगा यह स्टॉक जिया हुआ माल बाजार में आने लगेगा। और बाजार में सप्लाई फिर से बढ़ जायेगी। इसलिए ग्वार के भाव में 400-500 रुपये से ज्यादा सुधार होने की उम्मीद नहीं है। जिन साथियो ने इस समय ग्वार का स्टॉक किया हुआ है वे हर छोटी मोटी तेजी पर अपना माल हल्का करते रहे। व्यापार अपने विवेक से करें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।