जनवरी 2025 में कैसी रहेगी गेहूं की चाल | क्या और तेज होगा गेहूं | जाने रिपोर्ट में
किसान साथियो सरकार ने नवंबर के अंतिम सप्ताह से गेहूं की बिक्री टेंडर के माध्यम से शुरू कर दी थी। लेकिन मिलिंग इकाइयों को उनके अनुरूप गेहूं नहीं मिल पाने के कारण, पिछले एक सप्ताह में गेहूं के दामों में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी देखी गई है। इस प्रकार, गेहूं में पिछले साल की तुलना में थोक बाजार में लगभग 800 रुपये प्रति क्विंटल तेजी देखी गई है। अगर आगामी टेंडर में सरकार द्वारा गेहूं की मात्रा बढ़ाई नहीं जाती है, तो अनुमान है कि गेहूं के दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल के पार जा सकते हैं। हालांकि, इस बार गेहूं की बुवाई अधिक होने की खबरें आ रही हैं, लेकिन नई फसल को आने में अभी तीन महीने का समय है। इसलिए, वर्तमान में गेहूं की आपूर्ति मुख्य रूप से केंद्रीय पूल पर निर्भर करेगी। नई फसल आने से पहले मंडियों में गेहूं की भारी कमी होने के कारण, बाजार में गेहूं की कमी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सरकारकी गलत नीतिया
सरकार द्वारा तीन महीने पहले खुले बाजार में गेहूं की बिक्री पर रोक लगाने के कारण गेहूं के दाम नवंबर में 3225 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। महंगाई को देखते हुए सरकार ने नवंबर के अंत में खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की अनुमति तो दे दी, लेकिन रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार गेहूं उपलब्ध नहीं कराया गया। इस कारण गेहूं के दामों में और बढ़ोतरी हुई और एक सप्ताह के भीतर ही मिल्क क्वालिटी गेहूं 3330 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। यह गेहूं पिछले साल इसी समय 2525 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था। इस तरह गेहूं के दाम एक साल में लगभग 800 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गए हैं। इसी तरह, आटा, मैदा और सूजी के दाम भी 400 रुपये प्रति 50 किलो तक बढ़कर क्रमशः 1750 रुपये, 1850 रुपये और 1900 रुपये हो गए हैं। निजी क्षेत्र में गेहूं का स्टॉक कम होने के कारण आटा चक्कियों और रोलर फ्लोर मिलों के पास पर्याप्त गेहूं नहीं है, जिससे गेहूं की कमी की स्थिति पैदा हो गई है।
क्यों बढ़ रहा है गेहूं का भाव
साथियो पिछले टेंडर में गेहूं के भाव 3150 से 3190 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। उस समय छोटी मिलों के लिए 25 टन और बड़ी मिलों के लिए 100 टन की मात्रा तय की गई थी। इसके बावजूद, कई मिलों को उनकी जरूरत के मुताबिक गेहूं नहीं मिल पाया। सरकार ने बीते महीने दिल्ली में साप्ताहिक टेंडर की मात्रा 5500 टन से घटाकर 3500 टन कर दी, जिससे बाजार में हड़कंप मच गया। अब अगला टेंडर बुधवार को होने वाला है, और उम्मीद की जा रही है कि सरकार अपनी क्षमता के अनुसार गेहूं की बिक्री करेगी ताकि आम उपभोक्ताओं को महंगी रोटी का सामना न करना पड़े। हालांकि गेहूं की बिजाई में इस साल बढ़ोतरी देखी गई है, लेकिन नवंबर में ज्यादा तापमान के कारण अगेती फसल की वृद्धि प्रभावित हुई है। दूसरी ओर, पिछेती फसल को सर्दी का फायदा मिला है। कुल मिलाकर, बिजाई में हुई बढ़ोतरी से अनुमान है कि इस बार उत्पादन 1160 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा हो सकता है। पिछले हफ्ते गेहूं के भाव 3100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए थे, लेकिन अब तेजी के साथ 3330 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। इन ऊंचे भावों के बावजूद, रोलर फ्लोर मिलों को पर्याप्त मात्रा में गेहूं उपलब्ध नहीं हो सका। मध्य प्रदेश की मंडियों में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है, लेकिन कंपनियां अभी भी बिकवाली के मूड में नहीं हैं। यही कारण है कि बाजार में भाव लगातार ऊपर चढ़ते जा रहे हैं।
आगे क्या और तेजी आ सकती है
देश में गेहूं की मांग लगातार बढ़ रही है और आपूर्ति में कमी के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं। हरियाणा और पंजाब जैसी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मंडियों में गेहूं की उपलब्धता लगभग समाप्त हो चुकी है और गोदामों में भी स्टॉक कम है। इस स्थिति के चलते गेहूं की कीमतों में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है। पिछले साल गेहूं का उत्पादन लगभग 1121 लाख मीट्रिक टन रहा था। लेकिन इस बार बुवाई के आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्पादन में 40-42 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है, फिर भी किसान मंडियों में मिल रहे उच्च दामों के कारण सरकार को लक्ष्य के अनुसार गेहूं खरीदने में मुश्किलें आ रही हैं। पिछले साल सरकार केवल 266 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद पाई थी। सरकार के सामने गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए दो मुख्य विकल्प हैं। पहला, सरकार को अपने भंडार से बड़ी मात्रा में गेहूं बाजार में उतारना होगा। दूसरा, बाजार में हो रही जमाखोरी पर सख्त कार्रवाई करनी होगी, क्योंकि कई बड़ी कंपनियां मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में गेहूं का भंडारण कर रही हैं। सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 1 जनवरी, 2025 को एक टेंडर जारी किया था। हालांकि, इस टेंडर में गेहूं की मात्रा बहुत कम रखी गई थी। जिसके परिणामस्वरूप, पिछले एक सप्ताह में गेहूं की कीमतों में लगभग 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है और यह अब 3330 से 3335 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गई है। यदि सरकार द्वारा टेंडर में गेहूं की मात्रा नहीं बढ़ाई जाती है, तो आने वाले समय में गेहूं की कीमतें 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं। इसके अलावा, इन बढ़ी हुई कीमतों पर भी गेहूं की बिक्री बहुत कम हो रही है, जिससे कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है। वर्तमान में बाजार में गेहूं की उपलब्धता कम होने के कारण कीमतों पर दबाव बना हुआ है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।