2025 में कैसे रहेंगे गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन और खल के भाव | जाने क्या कहती है वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
किसान साथियो और व्यपारी भाइयो वैसे तो हम अपने प्लेटफार्म पर फसलों के भाव और तेजी मंदी की रिपोर्ट देते रहते हैं। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े संस्थानों में से एक वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट पेश की है जिसमें अलग अलग जींसों के भाव की तेजी मंदी को समझाया गया है। विश्व बैंक की नई रिपोर्ट "Commodity Markets Outlook" के अनुसार, साल 2025 में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में औसतन 7% की गिरावट आने की उम्मीद है। यह गिरावट मुख्य रूप से अनाज, तेल और खल जैसे उत्पादों के दाम घटने की वजह से होगी। 2026 में इन दामों के स्थिर रहने की संभावना जताई गई है।
अनाज होंगे सस्ते, चावल में सबसे बड़ी गिरावट
2025 में अनाज की कीमतों में करीब 11% की गिरावट हो सकती है। सबसे ज्यादा असर चावल पर पड़ेगा, जिसकी कीमत में लगभग 29% की भारी गिरावट आने की संभावना है। इसकी वजह यह है कि भारत में चावल की पैदावार 5% बढ़ सकती है और भारत अपने निर्यात पर लगी पाबंदियों को भी हटा सकता है। भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा चावल निर्यात करता है। वैश्विक स्तर पर चावल का उत्पादन भी 2% बढ़ने की उम्मीद है। 2026 में चावल की कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं होगा क्योंकि उत्पादन और खपत में संतुलन बना रहेगा।
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गेहूं की पैदावार अच्छी लेकिन स्टॉक घट सकते हैं
साल 2025-26 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर रह सकता है, लेकिन उत्पादन के मुकाबले खपत थोड़ी ज्यादा बढ़ सकती है। इससे गेहूं का भंडार थोड़ा घट सकता है। व्यापारिक तनावों के कारण मांग थोड़ी कमजोर रह सकती है, लेकिन आपूर्ति भी सीमित रहेगी जिससे कीमतों में बड़ा बदलाव नहीं होगा।
मक्का की कीमतों में हल्की गिरावट, लेकिन स्टॉक सबसे कम
मक्का की कीमतें 2025 और 2026 में 2% घट सकती हैं। इसके पीछे वजह है कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। जब कच्चे तेल के भाव घटते हैं तो एथेनॉल की मांग कम हो रही है। और मक्का का इसमें उपयोग किया जाता है इसलिए इसकी डिमांड घट जाती है। इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच ऊँचे और अस्थिर आयात-निर्यात टैक्स भी भाव पर असर डाल सकते हैं। हालांकि, मक्का के स्टॉक इस समय पिछले 10 सालों में सबसे कम हैं, इसलिए कीमतों में गिरावट सीमित रह सकती है। जिस तरह से सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों के भाव पिटे है उसे देखते हुए मक्का अभी भी ठीक ठाक फायदा दे रही है, इससे मक्का की बुवाई बढ़ भी सकती है और आगे चलकर भाव दबाव में आ सकते हैं।
खाद्य तेलों और खल में क्या बन सकती है स्थिति
साथियो साल 2024 से लगातार तेल और खल की कीमतों की पिटाई हो रही है। और 2025 में भी इसमें 7% गिरावट आ सकती है। इसकी वजह वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति का ठीक रहना और मांग में कोई खास तेजी न आना है। खासकर सोयाबीन और सोया खल की कीमतें नीचे आ सकती हैं। सोयाबीन की कीमतों में 17% तक की गिरावट हो सकती है क्योंकि इसकी पैदावार इस बार 6% बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। अमेरिका से चीन में सोयाबीन का आयात भी कमजोर रह सकता है, जिससे अमेरिकी बाजार में दबाव रहेगा। हालांकि भारत के लिए इसके परिणाम अलग होंगे। सिर्फ ₹ 500 में 6 महीने तक रोज़ाना धान, चावल, सरसों, सोयाबीन और चना के लाइव भाव पाएँ। सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540* ध्यान दें दोस्तों सिर्फ भाव पूछने के लिए कॉल/मैसेज न करें। धन्यवाद 🙏😊
सोया ऑयल और खल के दाम घटेंगे, पाम ऑयल में हो सकती है तेजी
सोया ऑयल की कीमतों में 2025 में 3% और 2026 में 2% गिरावट आ सकती है। इसका कारण कच्चे तेल के दामों में गिरावट है, जिससे बायोफ्यूल की मांग घट रही है। हालांकि, पाम ऑयल, सूरजमुखी और सरसों ऑयल की आपूर्ति कम होने से सोया ऑयल की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं गिरेंगी। सोया खल की कीमतों में 2025 में 16% की गिरावट हो सकती है, लेकिन 2026 में ये कीमतें स्थिर रह सकती हैं।
दूसरी तरफ पाम ऑयल की कीमतें 2025 में 6% बढ़ सकती हैं। इसकी वजह है कि उत्पादन में हल्की बढ़ोतरी भी बाजार की मांग को पूरा नहीं कर पाएगी। साथ ही, इंडोनेशिया अपनी बायोडीजल मिलावट नीति को 2025 में 40% और 2026 में 50% तक बढ़ाने वाला है, जिससे पाम ऑयल की मांग और कीमतों को समर्थन मिलेगा। भारत के लिए यह नोट करने वाली बात है क्योंकि भारत पाम तेल का बड़ा आयातक है। अगर पाम तेल के रेट बढ़ते हैं तो भारतीय बाजारों में सोयाबीन और सरसों जैसी फसलों के भाव बढ़ सकते हैं। हालांकि, सोया ऑयल जैसे विकल्प भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिससे बहुत तेज़ बढ़ोतरी नहीं होगी।
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जोखिम भी बने रहेंगे
दोस्तों बैंक ने कहा है कि अगर वैश्विक आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कम रही तो कीमतों में और गिरावट आ सकती है। वहीं, अगर मौसम ज्यादा गर्म रहा, सूखा पड़ा या बेमौसम बारिश हुई तो फसलें खराब हो सकती हैं और कीमतों में तेजी भी आ सकती है। इसके अलावा, व्यापार प्रतिबंध और बायोफ्यूल से जुड़ी नीतियां भी कीमतों को ऊपर-नीचे कर सकती हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।