सरसों में और कितनी तेजी बाकी है - रिपोर्ट
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों सरसों बाजार में लगातार तेजी का माहौल बना हुआ है, खासकर घरेलू स्तर पर तेल मिलों की सक्रिय खरीद और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी इसका प्रमुख कारण बन रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह तेजी इजरायल ईरान के मध्य बढ़ रहे तनाव के कारण हो रही है। घरेलू बाजारों में सोमवार को जयपुर मंडी में कंडीशन सरसों के भाव ₹50 बढ़कर ₹6,800 प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। ब्रांडेड तेल मिलों ने भी खरीद मूल्य में ₹50 प्रति क्विंटल की वृद्धि की है, जिससे साफ है कि बाजार में डिमांड बनी हुई है। उधर, मलेशियाई पाम तेल की कीमतों में 4% से ज्यादा उछाल आया और शिकागो में सोया तेल की दरों में भी तेज़ी देखी गई, जिसका असर घरेलू सरसों तेल बाजार पर सीधा पड़ा है।
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व्यापारियों का कहना है कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते क्रूड ऑयल में तेजी आई है, और इसका असर खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ रहा है। इन हालातों में उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में आगे और तेजी आ सकती है। इस बीच, भारत के उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक में इज़ाफा देखने को मिला है — पहले जहां रोजाना 4 लाख बोरियां आती थीं, अब यह बढ़कर 5 लाख बोरियां हो गई हैं। हालांकि मंडियों में आवक बढ़ी है, फिर भी किसानों व व्यापारियों के पास पर्याप्त स्टॉक अभी भी मौजूद है, जिससे बाजार में सप्लाई लगातार बनी रहने की संभावना है। सरसों की डोमेस्टिक डिमांड भी अच्छी बनी हुई है क्योंकि यह खपत का सीजन है, लेकिन इसकी कीमतें काफी हद तक आयातित तेलों के भावों पर निर्भर करेंगी। यानी अगर इंपोर्टेड ऑयल सस्ता हुआ तो सरसों में गिरावट संभव है, लेकिन जब तक इंटरनेशनल मार्केट में मजबूती बनी रहती है, तब तक घरेलू बाजार में सरसों तेल को सपोर्ट मिलता रहेगा।
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वर्तमान परिस्थिति में मिलें अभी भी सक्रियता से खरीद रही हैं, जिससे साफ है कि वे आगे भी स्टॉक बनाने के मूड में हैं। किसानों को भी अच्छे भाव मिलने से मंडियों में आवक बनाए रखने की प्रेरणा मिल रही है। कुल मिलाकर, सरसों का बाजार इस समय मजबूत भाव, बढ़ी हुई आवक और अच्छी डिमांड के संतुलन पर टिका है, और अगर वैश्विक बाजार से सपोर्ट मिलता रहा तो यह मजबूती कुछ और दिन बनी रह सकती है। व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।