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गेहूं के भाव में कितनी तेजी और है बाकि | जाने इस गेहूं की तेजी मंदी रिपोर्ट में

गेहूं के भाव में कितनी तेजी और है बाकि | जाने इस गेहूं की तेजी मंदी रिपोर्ट में
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किसान साथियो खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। मिलर्स और प्रोसेसर गेहूं की मांग लगातार बढ़ा रहे हैं, जिसके कारण थोक मंडियों में गेहूं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वृद्धि तब हुई है जब गेहूं का दाम पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा था। भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का सीमित स्टॉक बचा हुआ है, जिसके कारण सरकार गेहूं की बिक्री शुरू करने के लिए सही समय का इंतजार कर रही है। इस बीच, प्रमुख थोक मंडियों में गेहूं की आवक कम हो रही है, जबकि त्योहारी सीजन के कारण गेहूं की मांग बढ़ रही है। ये सभी कारक मिलकर गेहूं के दामों में बढ़ोतरी का कारण बन रहे हैं।

गेहूं की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी
साथियो व्यापार विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले समय में गेहूं की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में गेहूं का भाव 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ सकता है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में गेहूं का भाव 2680 रुपये प्रति क्विंटल था, जो महज 9 दिनों में बढ़कर 2770 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। गेहूं की इस बढ़ती कीमत का असर मैदा और सूजी जैसी अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर भी देखने को मिल रहा है। मुंबई के वाशी मार्केट में भी गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है। 10 अगस्त को यहां गेहूं का भाव 100 रुपये बढ़कर 28.50 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था, जो इस सप्ताह के अंत तक बढ़कर 2900 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की कम आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण कीमतों में यह तेजी देखी जा रही है। वे अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले समय में भी गेहूं की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक की और बढ़ोतरी हो सकती है।

गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे के कारण
साथियो गेहूं की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण है मिलर्स और प्रोसेसर्स द्वारा गेहूं की बढ़ती मांग। त्योहारी सीजन के दौरान परिवहन और श्रमिकों की लागत बढ़ जाती है, जिससे कीमतें और अधिक बढ़ जाती हैं। आम तौर पर मानसून के मौसम में मंडियों में गेहूं की आवक कम हो जाती है, जबकि त्योहारी सीजन के दौरान मांग बढ़ जाती है। सरकार ने गेहूं की बिक्री के लिए न्यूनतम आरक्षित मूल्य निर्धारित कर दिया था और उम्मीद थी कि अगस्त के पहले सप्ताह से सरकार गेहूं की बिक्री शुरू कर देगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। 1 अगस्त को खाद्य निगम के पास 268 लाख टन गेहूं का स्टॉक था, जो पिछले महीने और पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम था। न्यूनतम बफर स्टॉक से भी यह थोड़ा कम है। सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री में देरी और सीमित स्टॉक के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।

गेहूं के भाव में आगे क्या रह सकता है
गेहूं की कीमतों में हाल ही में उतार-चढ़ाव देखा गया है। पिछले दो वर्षों में गेहूं की कीमतों में तेजी देखने को मिली थी, जिसके कारण किसानों ने इस बार गेहूं का भंडारण किया हुआ है। भले ही इस साल गेहूं का उत्पादन अच्छा रहा हो, लेकिन किसानों द्वारा गेहूं को रोकने के कारण सरकारी खरीद लक्ष्य से कम रही है। वर्तमान में केवल 267 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो पाई है। सरकार और निजी व्यापारियों के बीच गेहूं की खरीद को लेकर प्रतिस्पर्धा के कारण पिछले सप्ताह गेहूं की कीमतों में 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई थी। हालांकि, सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं बेचने की संभावना और किसानों द्वारा मुनाफा कमाने के लिए जल्दी बिक्री करने के कारण कीमतें फिर से गिरकर 2770-2775 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं आने वाले समय में मंडियों में गेहूं की आवक कम होने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में मंदी आने की संभावना कम है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।