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चने में तेजी के लिए कितना इंतजार करना होगा | जाने इस रिपोर्ट में

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किसान साथियों और व्यापारी भाइयों पिछले तीन सत्र से दिल्ली में चने के बाजार में भले ही तेजी देखने को मिली हो लेकिन ओवरऑल स्थिति यह है कि चना बाजार इस वक्त  दबाव में है। किसान साथियों चना एक ऐसी फसल जो कम पानी में भी टिक जाता है, और जिसकी मांग साल भर बनी रहती है। लेकिन अफ़सोस, बीते कुछ सालों से चना किसान अनिश्चितता और नीति उलझनों के बीच झूलते जा रहे हैं। इस बार भी चना बाजार फिर से उसी पुराने मोड़ पर आ गया है — जहां कीमतें गिरती जा रही हैं, सरकारी खरीद थमी हुई है, और मंडियों में चना अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी नीचे बिक रहा है। दिल्ली मंडी में कल चना के भाव 5,800 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गए, जो पिछले सत्र से 75 रुपए की बढ़त दर्शाते हैं। आज भी बाजार 50 रुपये तेज होकर खुला है लेकिन निर्णायक तेजी नहीं बन रही। इस तेजी के साथ ही साप्ताहिक गिरावट 25 की तेजी में बदल गई है। 2 जून को 5,700 रुपए तक गिरने के बाद बाजार ने जोरदार वापसी की है और सिर्फ दो दिनों में 150 रुपए की उछाल दर्ज की गई। अगर 22 मई - 4 जून तक की बात करें तो 22-24 मई तक चना भाव 5,825 रुपए के आसपास स्थिर रहे, फिर मिलों की ताज़ा खरीद से 5,875 रुपए तक पहुंचे। 25-30 मई: तक 5,825 रुपए पर स्थिर रहा क्योंकि बाजार नए संकेतों की प्रतीक्षा कर रहा था। 31 मई-2 जून को कमजोर मांग के चलते भाव 5,700 रुपए तक गिर गए। 3-5 जून को मांग में सुधार से भाव 5,850  रुपए तक फिर चढ़े। ऐसे में सवाल ये है कि अगर मांग है, फसल कम हुई है, और किसान परेशान हैं — तो फिर दाम क्यों नहीं बढ़ रहे। असल में चना के इस फिसलते बाजार के पीछे एक और खिलाड़ी है — पीली मटर। ये वही पीली मटर है जो विदेशों से आती है, और पिछले कुछ महीनों से भारत में बिना किसी ड्यूटी के धड़ल्ले से आयात हो रही है। पहले यह सिर्फ थोड़ी मात्रा में आती थी, लेकिन अब इसका आयात लाखों टन में होने लगा है, और इसका सीधा असर चना की कीमतों पर पड़ रहा है। आज की इस रिपोर्ट में हम उसी गुत्थी को सुलझाने जा रहे हैं कि कैसे पीली मटर ने चने के बाजार की चाल बिगाड़ी। साथिया में इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि किसानों को चने का समर्थन मूल्य किन कारणों से नहीं मिल पा रहा है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चने की क्या स्थिति है। तो चलिए चने की कीमतों को प्रभावित करने वाले सभी कारकों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।

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पीली मटर के ड्यूटी-फ्री आयात का असर

सबसे पहले तो बात करते हैं उस आयात नीति की, जिसने चना बाजार की कमर तोड़ दी — जो है ड्यूटी फ्री पीली मटर। दिसंबर 2023 में सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया कि 2024-25 के अंत तक पीली मटर पर कोई भी आयात शुल्क नहीं लगेगा। अब यह फैसला क्यों लिया गया, उसके पीछे सरकार का तर्क था कि इससे बेसन की कीमतें काबू में रहेंगी और उपभोक्ताओं को सस्ती दालें मिलेंगी। लेकिन इस फैसले ने मंडियों में स्थानीय चना की मांग को जबरदस्त चोट दी। वजह ये कि पीली मटर दिखने में चने जैसी होती है, और बेसन मिलें इसे चने की जगह इस्तेमाल कर लेती हैं। यह सस्ती भी है और प्रोसेसिंग में आसान भी। नतीजा ये हुआ कि मंडियों में चने के खरीदार कम होने लगे और धीरे-धीरे इसका भाव 5,500 रुपए प्रति क्विंटल से भी नीचे गिरने लगा, जबकि MSP 5,650 रुपए प्रति क्विंटल है। अब आंकड़ों की बात करें, तो दिसंबर 2023 से मई 2025 तक करीब 35 लाख टन पीली मटर का आयात हो चुका है। इसकी तुलना में भारत का अपना उत्पादन 4.5 लाख टन के करीब है। यानी 8 गुना ज्यादा मटर बाहर से आ चुकी है, और यह सिलसिला अभी भी जारी है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये ट्रेंड जारी रहा, तो अगली सीज़न में किसान चना बोना ही छोड़ देंगे।

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सरकारी खरीद और नीतियाँ

चना का MSP 2024-25 के लिए 5,650 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। लेकिन जब बाजार में इसका भाव ही 5,200–5,500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा हो, और सरकार की MSP पर खरीद बेहद सीमित हो, तो फिर इस समर्थन मूल्य का क्या फ़ायदा। सरकारी एजेंसियों नाफेड और एनसीसीएफ ने अब तक 2.9 लाख टन चना ही खरीदा है, जबकि सरकार ने खुद 10 लाख टन बफर स्टॉक का लक्ष्य रखा था। यानी 70% से ज्यादा खरीद अभी तक नहीं हो पाई है। इससे साफ है कि किसानों को अपने माल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा। इसके अलावा यहाँ एक और बात गौर करने लायक है — CACP (Commission for Agricultural Costs and Prices) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि पीली मटर के आयात पर रोक लगाई जानी चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ड्यूटी फ्री आयात से चने की घरेलू कीमतों पर सीधा असर पड़ा है, और इससे किसानों की आय घटेगी। लेकिन सरकार ने अब तक इस सिफारिश को कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।

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मंडी भाव और बाजार की दिशा

आइए अब बात करते हैं भावों की। अभी चने के दाम अलग-अलग मंडियों में अलग चल रहे हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर ये MSP से नीचे ही हैं। फिलहाल चने के भाव राजस्थान और मध्यप्रदेश में 5,200–5,500 रुपए प्रति क्विंटल हैं। वहीं दिल्ली में भाव 5 जून को 5,850 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचे हैं । ये भाव 2 जून को 5,700 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए थे, यानी सिर्फ दो दिन में 150 रुपए की वापसी हुई। हालांकि यह वापसी मानसून की शुरुआती राहत, शादियों का सीज़न और त्योहारी डिमांड की वजह से है, लेकिन बाजार में स्थायी मजबूती तभी आएगी जब सरकार पीली मटर के आयात पर लगाम लगाए। अभी चना 6,000 रुपए का स्तर पार नहीं कर पा रहा, जबकि यही वो स्तर है जहां व्यापारियों को हलचल दिखती है।

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वैश्विक आपूर्ति का दबाव

दोस्तों चने की कीमतों में गिरावट का एक कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार की मौजूदा स्थिति को भी बताया जा रहा है। क्योंकि जब घरेलू बाजार की हालत कमजोर हो, और वैश्विक आपूर्ति भारी मात्रा में हो, तो लोकल फसल को मार पड़ना तय है। यही हाल चने का है। ऑस्ट्रेलिया में चने का अनुमानित उत्पादन 23.2 लाख टन है। यदि मौसम अनुकूल रहा, तो यह 27 लाख टन तक पहुंच सकता है। साथ ही कनाडा की पीली मटर की फसल 31.3 लाख टन रहने की संभावना है। इसके अलावा रूस में पीली मटर का उत्पादन 44–45 लाख टन तक पहुंच सकता है। ये सारे देश पीली मटर को भारत में सस्ते दामों पर भेज सकते हैं और यही हो भी रहा है। जब वैश्विक बाजार में सस्ते विकल्प उपलब्ध हों और भारत में उन पर कोई शुल्क न लगे, तो घरेलू चना का दबना तय है।

साथियों चने का बाजार सटीक तरीके से हमारी रिपोर्ट के अनुसार ही चल रहा है। दिल्ली लॉरेंस रोड पर चने बाजार ने 5,700 रुपए पर सपोर्ट लिया है और इसे होल्ड भी कर रहा है। मानसून के जल्दी आने और शादी ब्याह के साथ-साथ त्योहारी डिमांड निकलने का सहारा चने को जरूर मिल रहा है लेकिन स्थायी तेजी के लिए इसका 6,000 रुपए के स्तर को पार करना जरूरी है। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि उत्पादन कम होने का सहारा जरूर मिला है लेकिन बाजार को सरकारी नीतिगत सहारा नहीं मिला है। इसलिए स्थायी तेजी के लिए थोड़ा सा इंतज़ार और करना होगा। व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।