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धीरे धीरे फिर बढ़ सकते है चना के भाव | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

धीरे धीरे फिर बढ़ सकते है चना के भाव | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो देश में देसी चने का उत्पादन इस साल काफी कम हुआ है जिसके कारण उत्पादक मंडियों में चने की आवक में भारी गिरावट आई है। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया में चने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आयातित चने का व्यापार महंगा हो गया है। इन दोनों कारकों के कारण, दाल की कीमतें पहले से ही काफी कम होने के बावजूद, कच्चे चने की कीमतें पिछले कुछ दिनों में 340 से 350 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई हैं। आज की तारीख में राजस्थान से चना मंगाना 7860 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा है। सरकार ने देसी चने का उत्पादन 125 लाख मीट्रिक टन अनुमानित किया था, लेकिन मंडियों में आ रहे चने की मात्रा और दाल मिलों में मौजूद स्टॉक को देखते हुए ऐसा लगता है कि उत्पादन 80 लाख मीट्रिक टन से अधिक नहीं होगा। जबकि देश में चने की घरेलू खपत 130 लाख मीट्रिक टन है। चने के उत्पादन में कमी के कारण ही इस सीजन में किसी भी उत्पादक मंडी में चने का दबाव नहीं बना है। मई के अंत में दिल्ली में चने की कीमत 7500 रुपये प्रति क्विंटल थी, लेकिन जून और जुलाई में यह 6800 से 7200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही। हालांकि, अब मांग और कम उत्पादन के कारण कीमतों में तेजी आने की उम्मीद है।

विदेशी बाज़ारो में बनी शॉर्टेज की स्थिति
विदेशों में चने की कीमतें बढ़ने के कारण, भारतीय दाल मिलें, चेन्नई के व्यापारी और स्टॉकिस्ट चने को ख़रीदकर जमा कर रहे हैं। इस बढ़ती मांग के कारण बाजार में चने की कमी हो गई है। पिछले सप्ताह राजस्थान के लॉरेंस रोड पर चने की कीमत 725 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर एक नए उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। हालांकि, इस तेजी के बाद मुनाफा वसूली के लिए व्यापारियों ने बिकवाली की और कीमतें 25-30 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में कीमतों में और 50-75 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है। हालांकि, व्यापारियों को कम कीमतों पर चना खरीदना चाहिए क्योंकि देश और विदेश दोनों में चने का आयात महंगा पड़ रहा है। सरकार के पास भी पर्याप्त चने का स्टॉक नहीं है और जो स्टॉक है वह भी अच्छी गुणवत्ता का नहीं है। आगे डेढ़ महीने बाद जब नई फसल की बुवाई शुरू होगी, तब तक चने की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना कम है। पिछले एक महीने में चने की कीमतें 6800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर चुकी हैं, इसलिए वर्तमान कीमतों पर चना खरीदना जोखिम भरा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि देसी चने की नई फसल आने में अभी काफी समय है और बाजार में हजारों क्विंटल चने की आवश्यकता होगी। इसलिए, वर्तमान कीमतों पर चने में निवेश करके व्यापारी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

फिलहाल चना की कैसी स्थिति है और आगे कैसी बन सकती है
साथियो सरकार द्वारा जून में चने के स्टॉक पर 200 मीट्रिक टन की सीमा लगाने के बाद से ही देसी चने की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। डेढ़ महीने पहले 700 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट के बाद, चने की कीमतें एक सप्ताह में 900 रुपये बढ़कर 7700 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। अच्छी गुणवत्ता वाला चना तो इससे भी अधिक दामों पर बिक रहा है। देसी चने के उत्पादन में कमी और गुणवत्ता में गिरावट के कारण उत्पादक मंडियों में चने की आपूर्ति कम हो गई है। इसी कारण दाल और बेसन की तुलना में कच्चे चने की कीमतें अधिक हैं। आजकल 7825 रुपये प्रति क्विंटल पर मिलने वाला देसी चना, दाल मिल में प्रोसेस होने के बाद 8650 रुपये प्रति क्विंटल की दाल बन जाता है, जबकि बाजार में दाल 8500 रुपये प्रति क्विंटल पर भी कम बिक रही है। बेसन के मामले में भी यही स्थिति है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसी उत्पादक मंडियों में भी चने की आपूर्ति कम है। कुछ समय पहले बंदरगाहों पर पहुंचा ऑस्ट्रेलियाई चना भी खत्म हो चुका है और नया आने वाला चना 7850 रुपये प्रति टन पर मिल रहा है, साथ ही उसकी गुणवत्ता की भी कोई गारंटी नहीं है। इन सभी कारणों से दाल मिलें अब राजस्थानी चने की ओर रुख कर रही हैं। मध्य प्रदेश का अधिकांश चना इंदौर और कटनी की दाल मिलों में जा चुका है और ग्वालियर के व्यापारी भी मध्य प्रदेश से चना खरीद रहे हैं। महाराष्ट्र से आने वाला चना भी कम हो गया है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए, देसी चने की कीमतों में आगे भी उछाल आने की संभावना है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।