Movie prime

इन 3 राज्यों में सरकार खरीदेगी चना 6000 रुपए प्रति क्विंटल में | जाने कौन कौन से ये 3 राज्य इस रिपोर्ट में

इन 3 राज्यों में सरकार खरीदेगी चना 6000 रुपए प्रति क्विंटल में | जाने कौन कौन से ये 3 राज्य इस रिपोर्ट में
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

किसान साथियो बाजार में चने के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक हो रहे हैं। सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अपनी एजेंसियों, नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCf) को निर्देशित किया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र के किसानों से चने की खरीद की जाए। इन राज्यों में किसानों से मिनिमम एस्योर्ड प्रोक्योरमेंट प्राइस (MAPP) पर चने की खरीद होगी। इन राज्यों में चने का एमएपीपी 5900 रुपये से 6035 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मौजूदा सीजन में चने की एमएसपी 5440 रुपये है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

साथियो सूत्रों के अनुसार, 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को सरकार ने प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के तहत चने की खरीद करने का निर्णय लिया है। इस खरीद का आरंभ अगले हफ्ते हो सकता है। उपरोक्त तीन राज्यों में चने की एमएपीपी को 5900 रुपये से 6035 रुपये प्रति क्विंटल तक तय किया गया है। किसान इस बढ़ते हुए दर पर अपना चना नेफेड या एनसीसीएफ को बेच सकेंगे। इससे उन किसानों को राहत मिलेगी जो अच्छे दामों की तलाश में हैं और जिन्हें एमएसपी से असंतुष्टि है। किसानों का कहना है कि चने के भाव में गिरावट के कारण वे नाराज हैं और सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने के प्रयास में है।

क्या प्लान बना रही है सरकार?
साथियो प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के माध्यम से सरकार कृषि और बागवानी उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित करती है। इससे न केवल ग्राहकों को, बल्कि किसानों को भी लाभ प्राप्त होता है। सरकार जब सीधे किसानों से उत्पादों की खरीद करती है, तो इससे किसानों की कमाई में वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया में बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं होती, जिससे किसानों को उच्च दर पर उत्पाद बेचने का लाभ मिलता है। दूसरी ओर, सरकार इन उत्पादों को खरीदकर अपने स्तर पर खुले बाजार में बेचती है, जिससे सप्लाई बढ़ती है। इससे महंगाई कम होने में मदद मिलती है और आम आदमी को कुछ सस्ते में खरीदने का लाभ मिलता है।

वर्तमान में चने की मंडी कीमतें 5,800 रुपये से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं। व्यापार सूत्रों के अनुसार, चालू मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-जून) में नेफेड द्वारा लक्ष्य रखे गए दस लाख टन (एमटी) के मुकाबले केवल 40,000 टन चना खरीदा गया है। नेफेड ने 2023-24 और 2022-23 सीज़न में प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के तहत क्रमशः 2.3 मीट्रिक टन और 2.6 मीट्रिक टन चना खरीदा था, जिससे बफर स्टॉक को बढ़ावा मिला था।

इस सीजन आई है चने की पैदावार में गिरावट
साथियो चने की पैदावार में कमी के कारण आपूर्ति और मांग का संतुलन गड़बड़ हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, मंडियों में चने की कीमतों में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में चना का उत्पादन करीब 12.16 मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है। हालांकि, व्यापार सूत्रों के अनुसार, प्रमुख दालों का उत्पादन आधिकारिक अनुमान से काफी कम है। सरकार ने पिछले सप्ताह देसी चने पर आयात शुल्क को हटा दिया, जबकि पीली मटर पर आयात शुल्क छूट को अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है, जिसका उद्देश्य चने की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है।

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।