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रबी फसलों की बुवाई रकबा कितना बढ़ा | जाने क्या कहती है सरकारी रिपोर्ट

रबी फसलों की बुवाई रकबा कितना बढ़ा | जाने क्या कहती है सरकारी रिपोर्ट
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किसान साथियो देश में इस साल रबी सीजन में गेहूं की रिकॉर्ड बुवाई हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 31 जनवरी तक 324.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 6.55 लाख हेक्टेयर अधिक है। गेहूं का सामान्य रकबा 312.35 लाख हेक्टेयर होने के बावजूद, इस साल रकबे में काफी वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मुख्यतः गेहूं के दामों में पिछले कुछ वर्षों से हो रहे इजाफे के कारण हुई है। सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो किसानों के लिए लाभदायक है। गेहूं की इस बंपर पैदावार से देश में गेहूं की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद है और इससे गेहूं के दामों पर नियंत्रण पाने में मदद मिल सकती है।

कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल 341.57 लाख हेक्टेयर रहा था, जिससे 1132.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्ष में गेहूं की बुवाई और उत्पादन में और वृद्धि हो सकती है, जिससे पिछले साल का रिकॉर्ड टूट सकता है। हालांकि, वर्तमान में गेहूं का औसत बाजार मूल्य 2955 रुपये प्रति क्विंटल है, जो सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 680 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है। इसके अलावा, रबी फसलों का कुल क्षेत्रफल इस साल 31 जनवरी तक 661.03 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 651.42 लाख हेक्टेयर था। यह दर्शाता है कि रबी फसलों के अंतर्गत क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है।

दलहन फसलों की बुवाई में भी हुई बढ़ोतरी
देश में दलहन फसलों की खेती में बढ़ोतरी देखी जा रही है। फसल वर्ष 2024-25 में 31 जनवरी तक दलहन फसलों की बुवाई 140.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जा चुकी है। यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 3.09 लाख हेक्टेयर अधिक है। विशेष रूप से, चने की बुवाई में 2.68 लाख हेक्टेयर का इजाफा हुआ है और यह 98.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पहुंच गई है। यह वृद्धि दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों और किसानों द्वारा दलहनों के महत्व को समझने का परिणाम है। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

त‍िलहन फसलों की बुवाई में आई गिरावट
किसानों को तिलहन फसलों का उचित मूल्य न मिलने के कारण इन फसलों की खेती में रुचि कम होती जा रही है। इस साल 31 जनवरी तक सिर्फ 97.47 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुवाई हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 1.76 लाख हेक्टेयर कम है। विशेष रूप से, सरसों की बुवाई में 2.53 लाख हेक्टेयर की कमी देखी गई है, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। हालांकि, मूंगफली की बुवाई में मामूली वृद्धि हुई है। तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर किसानों में असंतोष है, जिसके कारण वे अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

मोटे अनाजों की बुवाई में मामूली कमी
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, रबी सीजन में मोटे अनाजों की बुवाई में मामूली कमी देखी गई है। 31 जनवरी तक मोटे अनाजों की बुवाई 55.25 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.21 लाख हेक्टेयर कम है। विशिष्ट फसलों की बात करें तो ज्वार की बुवाई में सबसे अधिक कमी देखी गई है। इस वर्ष ज्वार की बुवाई 24.35 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.01 लाख हेक्टेयर कम है। वहीं, मक्के की बुवाई में बढ़ोतरी देखी गई है। मक्के की बुवाई 23.67 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.92 लाख हेक्टेयर अधिक है। इथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री फीड के लिए बढ़ती मांग के कारण मक्के की खेती का रकबा बढ़ने का अनुमान है। जौ की बुवाई में भी मामूली वृद्धि देखी गई है और यह 6.20 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।