प्रॉपर्टी लेने या देने से पहले रखें ध्यान | इतने से ज्यादा कैश लेना पड़ सकता है भारी
साथियों, अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का विचार कर रहे हैं, तो आपको इसकी प्रक्रिया से जुड़ी कानूनी जानकारी को समझना बेहद ज़रूरी है। अक्सर लोग अपनी संपत्ति के सौदों में कैश के जरिए लेन-देन को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि वे इसे एक आसान और त्वरित तरीका मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन लेन-देन में कैश का इस्तेमाल करना कई कानूनी समस्याओं का कारण बन सकता है? इसलिए हम आपको बता दें कि भारत में संपत्ति के लेन-देन के दौरान कैश पेमेंट पर सख्त नियम हैं, और इन नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी लग सकता है। इन नियमों के पीछे सरकार का उद्देश्य काले धन को नियंत्रित करना और उचित वित्तीय लेन-देन सुनिश्चित करना है। इनकम टैक्स विभाग के पास ऐसे लेन-देन की निगरानी रखने के लिए पर्याप्त साधन और अधिकार हैं, जिससे उन्हें काले धन की गतिविधियों को पकड़ने में मदद मिलती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप प्रॉपर्टी के खरीद-फरोख्त में हमेशा कानूनी तरीके से ही लेन-देन करें। तो चलिए जमीन संबंधित लेन-देन के बारे में और अधिक विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
कैश पेमेंट की सीमा और उसके नियम
साथियों, भारत में प्रॉपर्टी के लेन-देन में कैश के इस्तेमाल पर 2015 में इनकम टैक्स अधिनियम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। इसके अनुसार, यदि आप किसी प्रॉपर्टी की खरीद या बिक्री करते समय 20,000 रुपये से ज्यादा कैश का लेन-देन करते हैं, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है। इस तरह के लेन-देन पर इनकम टैक्स विभाग आपको जुर्माना भी लगा सकता है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी लेन-देन पारदर्शी और वैध तरीके से हों, ताकि काले धन का उपयोग कम हो सके। इससे न केवल सरकारी खजाने को फायदा होता है, बल्कि समाज में भी वित्तीय व्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। इसलिए यदि आप प्रॉपर्टी का लेन-देन करते समय कैश का उपयोग करते हैं, तो यह आपके लिए भारी पड़ सकता है।
इनकम टैक्स की भूमिका
साथियों, इनकम टैक्स विभाग का ध्यान प्रॉपर्टी के लेन-देन पर इसलिए होता है क्योंकि यह अक्सर बड़ी रकम से जुड़ा होता है। जब लोग कैश में भुगतान करते हैं, तो यह लेन-देन किसी भी वैध रिकॉर्ड से बाहर होता है, जिससे सरकार को यह जानने में मुश्किल होती है कि वह पैसा कहां से आया है। यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि वह काले धन का लेन-देन कर सकता है, तो वह कैश में भुगतान करने का प्रयास करता है, ताकि यह ट्रैक न हो सके। इसके बावजूद, इनकम टैक्स विभाग ने इन लेन-देन को ट्रैक करने के लिए एक सशक्त प्रणाली बनाई है। जब आप प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करते हैं, तो रजिस्ट्रार के पास पूरी जानकारी होती है कि लेन-देन के लिए कितनी राशि कैश में दी गई है। इसके बाद रजिस्ट्री की जानकारी आयकर विभाग को भेज दी जाती है, और अगर यह रकम निर्धारित सीमा से अधिक है, तो विभाग स्वतः ही कार्रवाई करता है।
कैश पेमेंट से जुड़ी सजा और जुर्माना
दोस्तों, अगर आप प्रॉपर्टी के सौदे में 20,000 रुपये से अधिक कैश का लेन-देन करते हैं, तो आपको भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसका मतलब है कि आपको जुर्माना भरने के लिए आयकर विभाग के पास जाना होगा, और यह जुर्माना आपके द्वारा किए गए लेन-देन के आकार के आधार पर तय किया जाता है। आपको बता दें कि आयकर अधिनियम की धारा 269SS और 269T के तहत यह जुर्माना निर्धारित किया गया है। इन धाराओं के तहत, अगर आप 20,000 रुपये या उससे अधिक की नकदी का लेन-देन करते हैं, तो वह राशि इनकम टैक्स विभाग के पास चली जाती है। साथ ही, अगर किसी कारणवश आपका सौदा रद्द हो जाता है और आपने फिर से कैश में पैसा लौटाया, तो आपको फिर से जुर्माना देना पड़ेगा।
कैश पेमेंट का ट्रैक कैसे लगता है
साथियों, इनकम टैक्स विभाग के पास यह पता लगाने के लिए कई साधन हैं कि किसी प्रॉपर्टी के सौदे में कितनी राशि कैश के रूप में दी गई है। जैसा कि पहले बताया गया, जब आप प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते हैं, तो रजिस्ट्री में आपके लेन-देन की जानकारी दर्ज होती है। यह जानकारी विभाग के पास भेजी जाती है, और विभाग की नजर आपकी संपत्ति की रजिस्ट्री पर रहती है। इस तरह से, यदि आपने पूरी राशि कैश में दी है, तो यह छिपाना मुश्किल हो जाता है। यह प्रक्रिया सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी लेन-देन कानूनी तरीके से और सही वित्तीय माध्यमों से किए जा रहे हैं। अगर आप कैश के बजाय चेक, ड्राफ्ट या नेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान करते हैं, तो आपका ट्रैक रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है और कोई कानूनी समस्या नहीं होती है।
कैसे करें सुरक्षित लेन-देन
दोस्तों, सुरक्षित और कानूनी तरीके से प्रॉपर्टी का लेन-देन करने के लिए आपको हमेशा इनकम टैक्स के नियमों का पालन करना चाहिए। अगर आपको बड़ी रकम का लेन-देन करना है, तो उसे चेक या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से करें। यह आपको न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि आपकी वित्तीय स्थिति को भी बेहतर बनाए रखेगा। इसके अलावा इन नियमों का पालन करना इसलिए भी जरूरी है, ताकि आप भविष्य में किसी कानूनी झंझट में न फंसें। चेक और इंटरनेट बैंकिंग जैसे माध्यम आपके वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड करते हैं, जो भविष्य में किसी भी प्रकार की जांच में मददगार साबित होते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।