30 रूपए के ख़र्च में बढ़ सकता है आपके गेहूं का उत्पादन | जाने क्या करना होगा
नमस्कार किसान भाइयों! आज हम आपके लिए खेती से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं, जिससे आप अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। धान की कटाई के बाद अब किसान गेहूं और सरसों जैसी रबी फसलों की तैयारी में जुट जाते हैं। इस लेख में हम आपको एक खास प्रक्रिया बताएंगे, जिसे बिजाई से पहले अपनाने से आपकी मिट्टी की उर्वरकता बढ़ सकती है और फसलों का उत्पादन भी बेहतर हो सकता है।
मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल
किसान साथियों हम बात करेगे कि कैसे मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल किया जा सकता है वही फिटकरी (अलम) , जो आसानी से बाजार में ₹30 से ₹50 प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध होती है। फिटकरी का सही तरीके से इस्तेमाल करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे फसलें बेहतर विकसित होती हैं। आइए जानते हैं कि फिटकरी का उपयोग कैसे और क्यों किया जाना चाहिए।
एक एकड़ के लिए 2 किलो फिटकरी का प्रयोग का तरीका
फिटकरी का उपयोग करने से पहले यह समझना जरूरी है कि इसकी मात्रा का सही चुनाव करना बहुत जरूरी है। एक एकड़ खेत के लिए 2 किलो फिटकरी का प्रयोग करना पर्याप्त होता है। लेकिन ध्यान रहे कि इसका प्रयोग करने का तरीका सही होना चाहिए, वरना यह फसलों को लाभ पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसे उपयोग करने का सही तरीका समझना बेहद जरूरी है।
फिटकरी का इस्तेमाल कैसे करें
हमारे किसान साथी, आज कल अधिक पैदावार लेने के लिए किसान सालों से डीएपी, यूरिया जैसी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे धीरे-धीरे मिट्टी का पीएच (pH) लेवल बढ़ता जा रहा है। यदि मिट्टी का पीएच लेवल बहुत अधिक हो जाता है तो खाद डालने के बाद भी फसल अच्छी नहीं होती, क्योंकि मिट्टी पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाती। इस समस्या को दूर करने के लिए फिटकरी का उपयोग करना एक कारगर उपाय है। फिटकरी का सही तरीके से उपयोग करके पीएच लेवल को कम किया जा सकता है। खासकर जिन किसानों के खेतों में पीएच लेवल 7 से अधिक है (सात, साढ़े सात, या 8) उन्हें अपने खेतों में फिटकरी का इस्तेमाल करना चाहिए। नीचे दिए गए चरणों में बताया गया है कि फिटकरी का सही उपयोग कैसे करना है और इसके फायदे क्या हैं।
फिटकरी का उपयोग करने की विधि
फिटकरी को पाउडर में बदलें: सबसे पहले फिटकरी को बारीक पाउडर में पीस लें, जिससे यह पानी में जल्दी घुल सके। अगर फिटकरी को पाउडर के रूप में नहीं मिलाते हैं तो घुलने में अधिक समय लग सकता है, जिससे इसका प्रभाव कम हो सकता है। इसे 200-250 लीटर पानी में अच्छी तरह घोल लें। फिटकरी पूरी तरह से घुल जाए, इसके लिए इसे कुछ देर तक हिलाते रहें।
पीएच लेवल के अनुसार फिटकरी की मात्रा चुनें: खेत के पीएच लेवल को ध्यान में रखते हुए फिटकरी की मात्रा तय करें:
अगर मिट्टी का पीएच लेवल 7 है तो 1.5 किलो फिटकरी लें सकते है।
अगर पीएच लेवल 7.5 या 8 है तो 2 किलो फिटकरी लें ले सकते है।
यदि पीएच 8 से अधिक है तो 3 किलो तक फिटकरी का उपयोग कर सकते हैं।
फिटकरी का घोल तैयार करें: फिटकरी की माप अनुसार दो किलो फिटकरी को 200 लीटर पानी में फिटकरी का पाउडर डालकर अच्छे से घोलें। यह घोल पूरे खेत में छिड़कने के लिए तैयार होगा।
खेत में घोल का छिड़काव करें: जब खेत की जुताई और पलेवा हो जाए, तो इस घोल को खेत में चारों तरफ समान रूप से डालें। जैसे ही खेत में पानी दिया जाता है, उसी प्रकार इस घोल को भी खेत में धीरे-धीरे फैलाएं, ताकि घोल मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए। इस प्रक्रिया से मिट्टी में मौजूद हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की अम्लीयता कम होती है, जिससे फसल के लिए अनुकूल वातावरण बनता है।
बिजाई से पहले छिड़काव करें: इस घोल का प्रयोग बिजाई से पहले करना आवश्यक है ताकि फसल की पत्तियों पर यह न पड़े, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है। लेकिन इसे बिजाई के बाद भी करना लाभकारी हो सकता है। अगर बिजाई के बाद फिटकरी का इस्तेमाल किया जाए तो सुनिश्चित करें कि फसल पर सीधे छिड़काव न हो, बल्कि मिट्टी पर किया जाए।
बीज बुवाई के बाद उपयोग की स्थिति: यदि बीज बुवाई के बाद फिटकरी का उपयोग करना हो तो केवल ड्रिप सिस्टम के माध्यम से घोल को जड़ों में डालें। स्प्रिंकलर का प्रयोग न करें क्योंकि इससे फसल की पत्तियों पर घोल पड़ सकता है, जिससे फसल सूखने का खतरा रहता है।
फसल से बचाव: इस बात का विशेष ध्यान रखें कि फिटकरी का घोल सिर्फ मिट्टी में ही जाना चाहिए, फसल पर नहीं। यह घोल फसल की पत्तियों पर पड़ने से हानिकारक हो सकता है, इसलिए इसे सही तरीके से और सावधानीपूर्वक प्रयोग करें।
फिटकरी डालने के फायदे
फिटकरी का प्रयोग करने से मिट्टी का पीएच लेवल संतुलित होता है, जिससे मिट्टी की पोषक तत्व अवशोषण क्षमता बढ़ जाती है। फिटकरी में पोटेशियम और सल्फर जैसे तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि यह खाद नहीं है, लेकिन इसका उपयोग मिट्टी के पोषक तत्वों को संतुलित करने में सहायक होता है
फिटकरी का उपयोग करने से मिट्टी की अम्लीयता में कमी आती है, जिससे फसल की जड़ों को पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध होते हैं। इससे पौधों का विकास बेहतर होता है और उत्पादन बढ़ता है। फिटकरी में ऐसे गुण होते हैं जो मिट्टी में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को खत्म कर देते हैं। इससे फसल पर होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और पौधे स्वस्थ रहते हैं। फिटकरी के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे फसल की वृद्धि में तेजी आती है। इससे उत्पादन में भी वृद्धि होती है, जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होता है।
इस प्रकार,फिटकरी का उपयोग एक सुरक्षित और किफायती उपाय है। इसे फसल पर नहीं डालना चाहिए, केवल मिट्टी में मिलाना चाहिए। फिटकरी का सही तरीके से उपयोग करने से खेतों में बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है, बशर्ते इसका उपयोग मिट्टी के पीएच लेवल की जांच के बाद ही किया जाए।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।