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किसान साथियो नए साल की शुरुआत हमेशा नई प्रेरणाओं और उम्मीदों के साथ होती है। इस वर्ष, किसानों के लिए यह एक अवसर है कि वे अपनी खेती में वैज्ञानिक विधियों और नई तकनीकों को अपनाएं। गेहूं की फसल में सुधार लाने के लिए यह लेख तैयार किया गया है, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती करने के सुझाव दिए गए हैं। यदि इन तरीकों को सही ढंग से अपनाया जाए, तो किसान अपनी पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
गेहूं की नई वैरायटी और उनके क्या है फायदे
भारतीय कृषि अनुसंधान ने गेहूं की कई नई किस्में विकसित की हैं, जो अधिक पैदावार देने में सक्षम हैं। इनमें डीबीडब्ल्यू 187, 303, 222, 327, 371 और 372 जैसी वैरायटी शामिल हैं। इन किस्मों को उच्च उत्पादकता और टिकाऊपन को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इसके अलावा, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने 826 और 872 जैसी किस्में विकसित की हैं, जो किसानों के लिए एक और बेहतरीन विकल्प हैं। एच 1270 जैसी किस्में भी किसानों की उपज बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं। इन सभी किस्मों को हर प्रकार की मिट्टी और जलवायु में उपयुक्त तरीके से उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही परिणाम मिलता है।
गेहूं की बिजाई का सही समय और प्रक्रिया क्या है
गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर बिजाई करना सबसे महत्वपूर्ण है। बिजाई के लिए 25 अक्टूबर से 5-7 नवंबर का समय सबसे उपयुक्त माना गया है। इस समय पर की गई बिजाई से पौधों का विकास सही तरीके से होता है और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। बिजाई करते समय प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए। इससे पौधों का घनत्व संतुलित रहता है और हर पौधे को उचित पोषण प्राप्त होता है। सही बीज दर और समय पर की गई बिजाई आपकी फसल की सफलता सुनिश्चित करती है।
गेहूं की फसल में उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए
गेहूं की खेती में उर्वरकों का सही अनुपात में उपयोग करना फसल की पैदावार को बढ़ाने में बहुत मदद करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 150 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम, और पोटाश 40 किलोग्राम का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही, देशी खाद का उपयोग भी आवश्यक है। प्रति हेक्टेयर 15 टन देशी खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पौधों को आवश्यक पोषण प्राप्त होता है। इन उर्वरकों को समय पर और सही मात्रा में खेत में डालने से पौधों का विकास बेहतर होता है और उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है।
ज्यादा लंबाई हो सकती है खतरनाक
गेहूं की फसल में वृद्धि नियंत्रकों का उपयोग पौधों की लंबाई को नियंत्रित करने और तनों को मजबूत बनाने में मदद करता है। क्लोरमेक्वाट क्लोराइड और टेबुकोनाज़ोल जैसे उत्पाद इस काम में बेहद प्रभावी हैं। क्लोरमेक्वाट क्लोराइड का उपयोग प्रति एकड़ 200 मिलीलीटर (200 लीटर पानी में) और टेबुकोनाज़ोल का उपयोग प्रति एकड़ 100 मिलीलीटर (200 लीटर पानी में) किया जाता है। इनका छिड़काव दो बार किया जाना चाहिए। पहला छिड़काव फसल के 55-60 दिनों के बीच, जब पहली नोड स्टेज होती है, और दूसरा छिड़काव फसल के 75-80 दिनों के बीच, जब फ्लैग लीफ स्टेज होती है। इन वृद्धि नियंत्रकों के उपयोग से पौधों की लंबाई नियंत्रित होती है, तने मजबूत होते हैं और फसल गिरने से बचती है।
फसल की कैसे करे अच्छे से देखभाल
फसल की देखभाल में हर छोटी बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, 55 दिनों के बाद यूरिया का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है। यह ऊपरी पत्तों को जलाने का कारण बन सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फ्लैग लीफ, जिसे झंडा पत्ता भी कहते हैं, फसल की पैदावार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे हरा-भरा बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसलिए, झंडा पत्ते को बचाने के लिए ऑयल बेस्ड इंसेक्टिसाइड का उपयोग करने से बचें। यह पत्ता फसल को ऊर्जा प्रदान करता है और इसकी उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता है।
यह तरिके अपनाने से क्या होगा फायदा
यदि वैज्ञानिक तरीकों और सुझावों का सही ढंग से पालन किया जाए, तो गेहूं की फसल से प्रति एकड़ 31.7 क्विंटल से लेकर 35 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है। यह उपज न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि उनकी मेहनत का सही परिणाम भी सुनिश्चित करेगी। नया साल किसानों के लिए एक नई शुरुआत और संभावनाओं का अवसर है। वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर और फसल की देखभाल के लिए दिए गए सुझावों का पालन करके किसान अपनी पैदावार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। गेहूं की खेती में सही समय पर उर्वरकों का उपयोग, वृद्धि नियंत्रकों का छिड़काव और झंडा पत्ते की देखभाल किसानों की सफलता की कुंजी है। इस वर्ष इन तरीकों को अपनाकर आप न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और देश की खुशहाली में भी योगदान दे सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।