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क्या नैनो यूरिया पलटेगा किसानो की किस्मत | पूरी जानकारी देखें इस पोस्ट में

क्या नैनो यूरिया पलटेगा किसानो की किस्मत | पूरी जानकारी देखें इस पोस्ट में
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किसान साथियों तरल नैनो उर्वरक भारत को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार और उद्योग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से आने वाले वर्षों में भारत में तरल नैनो उर्वरक का उपयोग तेजी से  बढ़ रहा है, विशेष रूप से नैनो यूरिया और नैनो डीएपी। सरकार का दावा है कि यह न केवल यूरिया की कमी को पूरा करेगा बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि करेगा। नैनो फर्टिलाइजर के उपयोग से संबंधित कई लाभ और चुनौतियाँ हैं इस पोस्ट से जानने कि कोशिश करते है वो क्या है

लाभ और चुनौतियाँ
नैनो फर्टिलाइजर की छोटी मात्रा ही पारंपरिक यूरिया की बड़ी मात्रा के बराबर होती है, जिससे लागत कम होती है। नैनो फर्टिलाइजर के उपयोग से किसानों को भारी बोरे उठाने और ले जाने की आवश्यकता नहीं होती। इसे ले जाना और स्टोर करना आसान होता है। पारंपरिक फर्टिलाइजर की तुलना में नैनो फर्टिलाइजर कम मात्रा में उपयोग होते हैं, जिससे पर्यावरण पर कम दबाव पड़ता है।
किसानों को नैनो फर्टिलाइजर के सही उपयोग के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसे प्रभावी रूप से इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता की आवश्यकता है। कुछ किसान और कृषि विशेषज्ञ सरकार के दावों पर सवाल उठा रहे हैं और इस तकनीक की प्रभावशीलता पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। प्रारंभिक निवेश और नई तकनीक को अपनाने की लागत भी एक बड़ी चिंता है। नैनो फर्टिलाइजर की सही मात्रा का उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है। किसानों को सही मात्रा का पता होना चाहिए।  फसल के विकास के विभिन्न चरणों में नैनो फर्टिलाइजर का उपयोग कब और कैसे करना है, इसकी जानकारी होनी चाहिए। स्प्रे या किसी अन्य विधि से नैनो फर्टिलाइजर का सही तरीके से छिड़काव करना महत्वपूर्ण है।

नैनो फर्टिलाइजर की उपलब्धता और उपयोगिता:
नैनो फर्टिलाइजर आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं और इन्हें अन्य जरूरी सामानों के साथ खरीदने में भी आसानी होती है। सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से इसकी जानकारी किसानों तक पहुँचाई जा रही है।कुल मिलाकर, नैनो फर्टिलाइजर की सफलता उसके सही उपयोग और किसानों की जागरूकता पर निर्भर करती है। यदि इसे सही तरीके से अपनाया जाए तो यह भारत की कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

धान में नैनो यूरिया का प्रयोग
धान की खेती में नैनो यूरिया का सही तरीके से उपयोग करने के लिए ICAR RCER पटना के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:
टॉप ड्रेसिंग के लिए:

  • पहला छिड़काव: धान की रोपाई के 20-25 दिन बाद। यदि सीधी बुवाई कर रहे हैं, तो 35-40 दिन बाद। प्रति एकड़ 250-500 मिलीलीटर नैनो यूरिया, स्प्रेयर या ड्रोन से छिड़काव करें।
  • दूसरा छिड़काव: 40-50 दिन बाद। पहले छिड़काव के समान मात्रा में छिड़काव करें।
  • तीसरा छिड़काव फसल की आवश्यकता के अनुसार, आवश्यकता होने पर अतिरिक्त छिड़काव करें।

उपयोग की विधि और मात्रा:
बैट्री चालित स्प्रेयर मशीन में प्रति टंकी 1.5 से 3 ढक्कन नैनो यूरिया मिलाएं। एक एकड़ खेत के लिए 8 से 10 टंकी पानी की जरूरत होगी।
पावर स्प्रेयर प्रति टंकी 3 से 4 ढक्कन नैनो यूरिया मिलाएं। एक एकड़ खेत के लिए 4 से 6 टंकी पानी की जरूरत होगी।
ड्रोन छिड़काव, प्रति एकड़ 250 से 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया का उपयोग करें। एक एकड़ के लिए 1 से 3 टंकी पानी की जरूरत होगी।
नोट : ढक्कन की माप एक ढक्कन में 25 मिलीलीटर नैनो यूरिया होता है।
नैनो यूरिया का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें ताकि धूप के कारण नमी जल्दी न सूखे। छिड़काव से पहले और बाद में खेत की अच्छी तरह से सिंचाई करें। नैनो यूरिया का छिड़काव फसल की पत्तियों पर समान रूप से करें ताकि सभी पौधों को इसका लाभ मिले। इन सुझावों का पालन करके किसान नैनो यूरिया का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं।

धान में नैनो डीएपी का प्रयोग
धान की खेती में नैनो डीएपी के उपयोग के लिए ICAR RCER पटना के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझाव निम्नलिखित हैं: अनुसंशित मात्रा की डीएपी का आधा हिस्सा खेत की तैयारी के समय प्रयोग करें। शेष आधी मात्रा नैनो डीएपी के माध्यम से डालें। धान की नर्सरी डालने से पहले 3 से 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी प्रति किलो बीज में मिलाकर उपचारित करें। रोपाई से पहले 3 से 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी को प्रति लीटर पानी में घोलकर धान की जड़ों को उपचारित करें। इसके बाद धान की रोपाई करें।

नैनो डीएपी का छिड़काव:

  • धान की रोपाई के 20 से 25 दिन बाद या सीधी बुवाई के 30 से 35 दिन बाद।
  • 2 से 4 मिलीलीटर नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • सामान्यत: नैनो डीएपी की एक एकड़ खेत के लिए 250 से 500 मिलीलीटर जरूरत होती है।
  •  नैनो डीएपी का उपयोग करने से पारंपरिक डीएपी की तुलना में लागत कम होती है।
  • नैनो डीएपी से फसलों की पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे बेहतर उपज मिलती है।

ध्यान देने योग्य बातें:
छिड़काव सुबह या शाम के समय करें ताकि नमी अधिक समय तक बनी रहे।
छिड़काव से पहले और बाद में खेत की सिंचाई अच्छी तरह से करें।
 नैनो डीएपी का छिड़काव फसल की पत्तियों पर समान रूप से करें ताकि सभी पौधों को इसका लाभ मिले।

नैनो तरल उर्वरक का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए किसानों को निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:

नैनो तरल उर्वरक का घोल बनाने के लिए हमेशा साफ और शुद्ध पानी का ही उपयोग करें। इससे उर्वरक का प्रभाव बना रहता है और पौधों को पूरा पोषण मिलता है। स्प्रेयर से छिड़काव करते समय फ्लैट फैन या कट नोजल का प्रयोग करें। यह नोजल सुनिश्चित करते हैं कि उर्वरक का समान और व्यापक वितरण हो। नैनो तरल उर्वरक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। इस समय पत्तियों पर ओस के कण नहीं होते और उर्वरक का अवशोषण बेहतर तरीके से हो सकता है। छिड़काव करते समय यह ध्यान रखें कि पत्तियाँ सूखी हों ताकि उर्वरक का अवशोषण अच्छे से हो सके। यदि छिड़काव के 12 घंटे के भीतर बारिश हो जाती है, तो नैनो तरल उर्वरक का पुनः छिड़काव करें। बारिश के कारण उर्वरक का प्रभाव कम हो सकता है, इसलिए दोबारा छिड़काव आवश्यक होता है।
अतिरिक्त सुझाव: छिड़काव करते समय उचित सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क और दस्ताने का उपयोग करें। स्प्रेयर का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि उर्वरक का छिड़काव समान रूप से हो, जिससे सभी पौधों को उचित पोषण मिल सके। मिट्टी की जांच कराएं ताकि यह पता चल सके कि फसल के लिए किस प्रकार के और कितने पोषक तत्वों की आवश्यकता है। इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखकर किसान नैनो तरल उर्वरक का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और अपनी फसल की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

नैनो उर्वरक के कई फायदे
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनो उर्वरक समेकित पोषक तत्व प्रबंधन (INM) प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं, जो टिकाऊ कृषि के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। नैनो उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की धीमी और नियंत्रित रिहाई प्रदान करते हैं, जिससे पौधों द्वारा उनकी बेहतर अवशोषण क्षमता सुनिश्चित होती है। यह पोषक तत्वों के अपव्यय को कम करता है, मिट्टी और जल प्रदूषण को कम करने में मदद करता है, और किसानों के लिए उर्वरक लागत को कम करता है। नैनो उर्वरकों का उपयोग फसल उत्पादकता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। वे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और सूखा सहनशीलता को भी बढ़ा सकते हैं। नैनो उर्वरकों का उपयोग जैविक उर्वरकों और खाद के साथ किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद करता है। नैनो उर्वरकों का उपयोग रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करता है, जो जल प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है। वे मिट्टी की जैव विविधता और स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं। नैनो उर्वरक कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखते हैं। इनका उपयोग पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार करके, उत्पादकता बढ़ाकर, और पर्यावरण की रक्षा करके टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।