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गेहूं के किसान मार्च महीने में बस ये एक काम जरूर कर लें | उत्पादन के भर जाएंगे भंडार

गेहूं के किसान मार्च महीने में बस ये एक काम जरूर कर लें | उत्पादन के भर जाएंगे भंडार
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किसान साथियों, मार्च का महीना शुरू हो चुका है और जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हमारे खेतों में उग रही फसल पर इसका सीधा असर पड़ता है। इस समय गेहूं की फसल भी इस बदलाव से अछूती नहीं है। खासकर, मार्च में तापमान में बढ़ोतरी होती है, जो अगर बहुत ज्यादा हो जाए तो फसल के लिए खतरा बन सकती है। गर्मी के असर से गेहूं की फसल पर बहुत बुरा असर हो सकता है, और अगर समय रहते इसके उपाय न किए जाएं तो किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि गेहूं की फसल के लिए मार्च के महीने में क्या महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, ताकि तापमान बढ़ने के बावजूद आपकी फसल को नुकसान न हो और आपको बेहतर पैदावार मिल सके। साथ ही हम बताएंगे कि अगर तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए, तो आपको क्या विशेष कदम उठाने चाहिए। तो चलिए इन सब बातों को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

मार्च में फसल की देखभाल

साथियों, मार्च में जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, गेहूं की फसल पर इसका असर देखने को मिलता है। खासकर जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंचने लगे, तो गेहूं की फसल को लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। गर्मी का यह माहौल फसल के उत्पादन को घटा सकता है और पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि किसान इस बढ़ते तापमान से बचने के लिए पहले से ही अपनी फसल की सुरक्षा के उपाय करें। इसके लिए किसान सिंचाई के कुछ विधियां अपना सकते हैं।

1. 35 डिग्री से अधिक तापमान

साथियों, गेहूं की फसल के लिए 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान बहुत ज्यादा हानिकारक हो सकता है। इस तापमान पर गेहूं की फसल की बढ़ोतरी रुक सकती है, और इसके साथ ही पत्तियों पर जलन, और फसल का झुलसना भी हो सकता है। इसलिए, जब भी तापमान इस स्तर तक पहुंचने लगे, तो किसानों को अपनी फसल के खेतों में हल्की सिंचाई करनी चाहिए। हल्की सिंचाई से खेतों में नमी बनी रहती है, जिससे गेहूं की फसल को लू से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान भी कम हो जाता है, जिससे फसल पर सकारात्मक असर पड़ता है।

2. दोपहर में हल्का पानी छिड़काव करें

साथियों, वैसे तो किसानों को सलाह दी जाती है कि दिन के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए, लेकिन अगर तापमान ज्यादा बढ़ने लगे तो किसान दिन के समय में, विशेषकर दोपहर के वक्त, खेतों में हल्का पानी छिड़क सकते हैं। इससे न केवल तापमान को नियंत्रण में रखा जा सकता है, बल्कि गेहूं के पौधों पर बढ़ती गर्मी का असर भी कम हो सकता है। इस दौरान किसान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी का हल्का छिड़काव ही फसल पर करें।

3. लगातार तापमान बढ़ने पर

साथियों, अगर लगातार चार दिन तक तापमान लगभग समान रहता है, तो किसान को खेतों में सिंचाई करना बहुत जरूरी है। यह फसल के लिए सही रहेगा क्योंकि गेहूं के पौधों को बढ़ने और अच्छे से विकसित होने के लिए नमी की जरूरत होती है। सिंचाई से जमीन में नमी बनी रहती है, और गेहूं के पौधे झुलसने से बच सकते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि सिंचाई करते वक्त पानी खेतों में ज्यादा जमा न हो, क्योंकि अधिक पानी भी फसल के लिए हानिकारक हो सकता है।

4. मेढ़ काटने से पानी का सही संचालन होगा

साथियों, किसानों को यह सलाह दी जाती है कि सिंचाई करते समय वे खेतों की मेढ़ को काट दें। इससे पानी की निकासी में मदद मिलेगी और खेतों में पानी जमा नहीं होगा। अगर पानी जमीन में सही से समा जाए, तो यह फसल को जलवायु के बदलाव से बचाने में मदद करता है। इस तरह से नमी बनी रहती है और गेहूं के पौधों को जरूरी पोषण मिलता है, जिससे पैदावार बेहतर होती है।

5. फसल का अवलोकन करें

साथियों, किसान को मार्च के महीने में तापमान की वृद्धि पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर तापमान अचानक बढ़ता है और लगातार बढ़ता रहता है, तो फसल का अवलोकन करना चाहिए। इसके लिए किसान को गेहूं के पौधों के पत्तों और तनों का निरीक्षण करना चाहिए। अगर पत्तियों के किनारे जलने लगे या किसी प्रकार के धब्बे दिखाई दें, तो यह संकेत हो सकता है कि गर्मी का असर फसल पर पड़ रहा है। ऐसे में तत्काल उपाय करने से नुकसान को कम किया जा सकता है।

6. एनपीके 00:00:50 का उपयोग

साथियों, अगर आपको लगता है कि आपकी फसल में बोलियों का विकास सही प्रकार से नहीं हो रहा है और बोलियों में दाने का भराव भी ठीक से नहीं हुआ और आपकी बाली का दाना कमजोर है, तो आप फसल में एनपीके 00:00:50 का स्प्रे भी कर सकते हैं। इसके लिए आप एनपीके 00:00:50 की 1 किलो मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं, क्योंकि इसमें पोटाश की मात्रा 50% होती है जो गेहूं की फसल के दाने के आकार और वजन को बढ़ाने में अत्यधिक फायदेमंद होती है।

7. ठंडी हवाओं का स्वागत करें

किसान चाहें तो गेहूं की फसल के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय भी अपना सकते हैं। जैसे, खेतों में नीम के तेल या अन्य प्राकृतिक एरोमाथेरेपी का इस्तेमाल करने से कुछ हद तक फसल को गर्मी और लू से बचाया जा सकता है। नीम का तेल या अन्य प्राकृतिक उपाय न केवल फसल को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक नहीं होते।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।