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गेहूं में किस समय कौन सा स्प्रे करना है | 90% किसान नहीं जानते | यहां जाने

गेहूं में किस समय कौन सा स्प्रे करना है | 90% किसान नहीं जानते | यहां जाने
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किसान साथियो भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गेहूं सबसे प्रमुख फसलों में से एक फसल मानी जाती है। हर किसान की यही इच्छा होती है कि उसकी फसल का उत्पादन अच्छा हो, दानों में चमक आए और बाजार में फसल को ऊंचे दाम मिलें। लेकिन यह सब तभी संभव है जब फसल को सही पोषण मिले और उसे रोगों से बचाया जाए। इसके लिए फसल की देखभाल के साथ समय पर स्प्रे करना बेहद जरूरी है। यह लेख उन्हीं किसानों के लिए है, जो अपनी गेहूं की फसल को बेहतर बनाना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि कौन-सा स्प्रे, किस समय और कैसे किया जाए।

अच्छा उत्पादन के लिए कोनसा स्प्रे करे
साथियो फसल में स्प्रे करते समय सही पोषक तत्वों और दवाइयों का चुनाव करना बेहद जरूरी है। यह चुनाव पौधों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। सबसे पहले एनपीके (0-52-34) का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। यह मिश्रण पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश प्रदान करता है, जो उनकी वृद्धि और दानों के विकास के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा यूरिया भी 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़का जाता है। यह फसल को अतिरिक्त नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है, जिससे पौधों में हरियाली बढ़ती है और वे ज्यादा हरे-भरे दिखाई देते हैं। नाइट्रोजन का सीधा असर दानों के आकार और चमक पर भी पड़ता है। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मिक्सचर का भी स्प्रे करना बेहद फायदेमंद होता है। कोंबी टू या कोंबी एक्सपर्ट जैसे उत्पाद, जिनमें जिंक, कॉपर, बोरोन, आयरन, मैंगनीज और मोलीब्डेनम जैसे तत्व शामिल होते हैं, फसल को वह सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जो मिट्टी के जरिए हमेशा उपलब्ध नहीं हो पाते। इनका उपयोग 1 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर किया जाता है। इसके साथ ही फसल को रोगों से बचाने के लिए फंजीसाइड (टेबुकोनाजोले 25.9%) का उपयोग करना जरूरी है। यह न केवल फसल को फफूंद जनित रोगों से बचाता है, बल्कि ग्रोथ को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। यदि नैनो यूरिया को भी इस मिश्रण में जोड़ दिया जाए, तो इसका असर और अधिक बढ़ जाता है और फसल को अतिरिक्त पोषण मिलता है।

स्प्रे करने का सही समय क्या है
फसल में स्प्रे करने का सही समय ही उसकी सफलता का आधार होता है। गेहूं की फसल में दो समय ऐसे होते हैं, जब स्प्रे करना सबसे ज्यादा असरदार साबित होता है। पहला समय तब होता है, जब पौधा 50 से 60 दिन का हो और उसके अंदर गांठें बनने लगें। इस समय पौधे को पोषक तत्वों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, ताकि उसकी जड़ें मजबूत बनें और वह तेजी से बढ़ सके। इस अवस्था में सही पोषण देने से फसल का आधार मजबूत हो जाता है। दूसरा महत्वपूर्ण समय 80 से 90 दिन का होता है, जब फसल में झंडा पत्ती (फ्लैग लीफ) निकल रही होती है। यह पत्ती फसल के अंतिम विकास चरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह पौधे के लिए ऊर्जा बनाने का मुख्य स्रोत होती है। अगर इस समय पौधे को सही पोषण और सुरक्षा दी जाए, तो दाने न केवल बड़े और भारी बनते हैं, बल्कि उनमें एक खास चमक भी आती है, जो बाजार में फसल के दाम बढ़ाने में मदद करती है। हालांकि, अगर किसी कारणवश किसान दोनों समय स्प्रे नहीं कर पाते हैं, तो कम से कम एक बार 50 से 90 दिन की अवधि में स्प्रे जरूर करना चाहिए। इससे भी अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं और फसल का उत्पादन संतोषजनक रहता है।

स्प्रे से क्या क्या फायदा होता है
स्प्रे करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सीधे और तेज गति से उपलब्ध कराता है। जब पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है, तो पौधे उन्हें तुरंत अवशोषित कर लेते हैं, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है। इसके अलावा यह फसल को रोगों से बचाने में भी मदद करता है, जिससे पौधे लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का फोलियर स्प्रे यानी पत्तियों पर छिड़काव खासतौर पर सर्दियों में बेहद फायदेमंद होता है। ठंड के मौसम में मिट्टी से पोषक तत्वों का अवशोषण धीमा हो जाता है, जिससे पौधों को पोषण कम मिलता है। ऐसे में फोलियर स्प्रे करने से पोषण की कमी को तुरंत पूरा किया जा सकता है। जिंक और बोरॉन जैसे तत्वों की कमी को दूर करना भी स्प्रे का एक महत्वपूर्ण लाभ है। ये तत्व दानों की चमक और गुणवत्ता में सुधार लाते हैं, जिससे बाजार में फसल के अच्छे दाम मिलते हैं। फंजीसाइड का उपयोग फसल को बीमारियों से बचाने में मदद करता है और साथ ही उसकी ग्रोथ को नियंत्रित करता है, जिससे पौधों की ऊर्जा का सही उपयोग हो पाता है।

उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने का क्या है सरल उपाय
गेहूं की फसल में स्प्रे का सही समय और सही उत्पादों का उपयोग पैदावार बढ़ाने और दानों की चमक को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि किसान दोनों समय स्प्रे नहीं कर पाते, तो कम से कम एक बार 50-90 दिन के बीच स्प्रे जरूर करें। इससे फसल की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में सुधार होगा। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और फंजीसाइड का संतुलित उपयोग फसल को बीमारियों से बचाने और उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहद कारगर साबित होता है। किसानों को इस गाइड को अपनाकर अपनी फसल का पूरा ध्यान रखना चाहिए। सही पोषण और समय पर देखभाल के साथ, वे अपनी फसल में अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और दानों की चमक से बाजार में ऊंचे दाम पा सकते हैं। यह गाइड किसानों के लिए एक व्यावहारिक और प्रभावी उपाय है, जिससे वे अपनी मेहनत का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।