डीएपी की कमी और बढ़ते मूल्यों का कारण क्या है | क्या है इसका समाधान, जानिए इस रिपोर्ट में
नमस्कार किसान भाइयों, डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खाद है, खासकर गेहूं जैसी मुख्य फसलों के लिए। डीएपी की कमी और कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी किसान भाइयों के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। किसान भाई इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए, जिससे उनकी फसल में उत्पादन की कमी न हो। किसान साथियों, डीएपी की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन डीएपी की देश में भारी किल्लत हो गई है, जिसका फायदा कुछ दुकानदार डीएपी को ब्लैक में बेचकर उठा रहे हैं, जिसके कारण किसान भाइयों पर अतिरिक्त खर्च का दबाव बन रहा है। डीएपी की कमी और बढ़ती कीमतों के बावजूद अन्य उर्वरक खादों का उपयोग करके फॉस्फोरस की कमी को पूरा किया जा सकता है। डीएपी में अहम भूमिका फॉस्फोरस की होती है। सही खादों के मिश्रण और तकनीक के जरिए किसान भाई न केवल डीएपी की कमी को पूरा कर सकते हैं, बल्कि अपने फसलों की पैदावार को भी अधिक से अधिक बढ़ा सकते हैं, जिससे किसान की आय में बढ़ोतरी हो सकती है। आज की इस रिपोर्ट में हम डीएपी की कमी और बढ़ते दामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे और साथ में यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि इस समस्या का समाधान क्या है और किस प्रकार किसान भाई इसका समाधान करके अपने फसलों की पैदावार को बढ़ा सकते हैं। तो आइए इन सब बातों पर विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।
डीएपी की कमी के कारण
किसान साथियों, जैसा कि आपको पता है कि देश में डीएपी की मांग और कमी लगातार बढ़ती जा रही है। डीएपी की कमी के पीछे कई कारण हैं। डीएपी की कमी का एक मुख्य कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के चलते लिथियम आयन फॉस्फेट बैटरियों में फॉस्फोरस का उपयोग बताया जा रहा है। टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियां और चीन की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां इस तकनीक को तेजी से अपना रही हैं, जिससे फॉस्फोरस की अंतरराष्ट्रीय मांग लगातार बढ़ रही है। इसके कारण वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसका असर यह हो रहा है कि भारतीय उर्वरक कंपनियों ने डीएपी का आयात कम कर दिया है। हमारे देश में हर महीने लगभग चार लाख टन डीएपी का उत्पादन होता है, लेकिन देश की कुल मांग को पूरा करने के लिए 50 से 65 लाख टन तक आयात जरूरी है। हालांकि, भारत सरकार ने डीएपी पर ₹21,600 प्रति टन की सब्सिडी दे रखी है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने के कारण उर्वरक कंपनियों को अधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उर्वरक कंपनियों ने आयात कम कर दिया है। यह कमी आगामी गेहूं की बिजाई के सीजन में बड़ी समस्या बन सकती है और इसका सीधा असर किसानों की फसल के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
डीएपी का महत्व
किसान भाइयों, डीएपी में 46% फॉस्फोरस होता है, जो पौधों की जड़ों की वृद्धि, उनके ढांचे की मजबूती, और बालियों में दानों की संख्या को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। डीएपी के बिना फसल की उपज को बढ़ाना आज के दिन नामुमकिन सा हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण डीएपी में फॉस्फोरस की अधिक मात्रा को बताया जाता है, जो पौधों की संपूर्ण बढ़ोतरी के लिए अत्यंत जरूरी तत्वों में से एक है। फॉस्फोरस के साथ-साथ डीएपी में नाइट्रोजन की मात्रा भी 18% होती है, जो पौधों के विकास, हरा-भरा रखने और वृद्धि को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) में फॉस्फोरस 16%, सल्फर 11%, और कैल्शियम 19% होता है, जो पौधों को हरा-भरा रखने और पौधों के विकास में मदद करता है। एसएसपी को आप डीएपी के एक विकल्प के तौर पर भी उपयोग कर सकते हैं।
डीएपी की कमी के संभावित समाधान
किसान भाइयों, यदि आपके पास भी पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो इसके स्थान पर कुछ मिश्रित उर्वरक का उपयोग करके फॉस्फोरस की कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही, कुछ उर्वरक उत्पादों का उपयोग करके भी इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। यदि आपके पास डीएपी पर्याप्त मात्रा में है, तो आप 55 किलो डीएपी प्रति एकड़, 50 किलो एसएसपी, और 15 किलो एमओपी प्रति एकड़ के हिसाब से अपने खेत में उपयोग कर सकते हैं। इनके एक साथ उपयोग करने से पौधों को फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में मिलेगा ही, साथ ही सल्फर, कैल्शियम और पोटाश की भी पूर्ति हो जाएगी, जो पौधों की संपूर्ण वृद्धि और उत्पादन के लिए बहुत जरूरी हैं। एसएसपी से पौधों को सल्फर की 11% पूर्ति होती है, जो पौधों को हरा-भरा रखने और उनकी वृद्धि को बढ़ाने के लिए बहुत ही जरूरी है। अगर आपके पास डीएपी कम मात्रा में उपलब्ध है, तो आप एसएसपी की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। इस अवस्था में आप 35 किलो डीएपी, 100 किलो एसएसपी, और 15 किलो एमओपी का उपयोग प्रति एकड़ के हिसाब से कर सकते हैं। इस संयोजन से आपकी फसल में फॉस्फोरस की पूर्ति पूरी तरह से हो जाती है और अन्य पोषक तत्वों के कारण आपकी फसल की पैदावार भी शानदार बनती है। अगर आपके पास डीएपी बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है, तो आप फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए विकल्प के तौर पर NPK (12:32:16) का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप डेढ़ बैग एनपीके 12:32:16 और 50 किलो एसएसपी खाद का प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं। इनके द्वारा आप अपनी फसल में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और पोटाश की सभी कमी को पूरा कर सकते हैं। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए आजकल बाजार में कुछ अन्य उत्पाद भी उपलब्ध हैं, जो आपकी फसल में फॉस्फोरस की जरूरत को पूरा कर सकते हैं, जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।
1. नैनो डीएपी:
किसान साथियों, नैनो डीएपी एक नई तकनीक है, जिसमें फॉस्फोरस के कण अत्यधिक सूक्ष्म होते हैं और पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित किए जा सकते हैं। 250 मिलीलीटर नैनो डीएपी से 40 किलो गेहूं बीज का उपचार किया जा सकता है और इसे छाया में सुखाकर बुवाई की जा सकती है। इसके बाद 30-35 दिनों के अंदर 120 लीटर पानी के साथ 250 मिलीलीटर नैनो डीएपी का स्प्रे किया जा सकता है, जो आपकी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
2. अवेल (Avail):
किसान भाइयों, अवेल एक कोटिंग उत्पाद है, जो डीएपी या एनपीके के कणों पर एक नेगेटिव चार्ज की परत बनाता है। यह परत मिट्टी में मौजूद पॉजिटिव चार्ज वाले कैल्शियम, मैग्नीशियम और लोहे के अणुओं से फॉस्फोरस को फिक्स होने से रोकती है। इस प्रकार, पौधों को अधिक फॉस्फोरस उपलब्ध होता है। 100 मिलीलीटर अवेल से 50 किलो डीएपी या एनपीके की कोटिंग की जा सकती है और इसे 2 एकड़ क्षेत्र में उपयोग किया जा सकता है। अपनी फसल की पैदावार को बेहतर बनाने के लिए किसान इस विकल्प का चयन कर सकते हैं।
3. फॉस्फोरस सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB):
दोस्तों, यह जीवाणु फॉस्फोरस को पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं। 1 लीटर पीएसबी को 200 लीटर पानी में मिलाकर सिंचाई के साथ उपयोग किया जा सकता है। इसे सड़ी-गली गोबर की खाद में भी मिलाकर खेत में डाला जा सकता है, जिससे मिट्टी में मौजूद फॉस्फोरस पौधों के लिए उपलब्ध हो जाता है और फसल को पोषक तत्वों की पूर्ति के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।