लहसुन के कंद को बढ़ाने के लिए करें इन 4 खादों का उपयोग, बेमिसाल आएगा रिजल्ट
लहसुन के कंद को बढ़ाने के लिए करें इन 4 खादों का उपयोग, बेमिसाल आएगा रिजल्ट
किसान भाइयों, लहसुन की खेती एक लाभकारी और प्रसिद्ध कृषि गतिविधि है, जो बहुत से किसानों के लिए अच्छा मुनाफा ला सकती है। यह न केवल हमारे भोजन का हिस्सा है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी बहुत ही फायदेमंद होते हैं। लहसुन के लिए उपयुक्त वातावरण, सही समय पर बुवाई, और अच्छे बीज का चयन करने से इसकी फसल बेहतर हो सकती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम लहसुन की खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, ताकि आप भी अपनी लहसुन की खेती से बेहतरीन परिणाम पा सकें। लहसुन की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि आप हर एक कदम पर ध्यान दें। सही मिट्टी, बीज, बुवाई का समय, सिंचाई और कीट नियंत्रण जैसे पहलुओं पर ध्यान देकर आप अपनी लहसुन की फसल से बेहतरीन उत्पादन पा सकते हैं। इसके अलावा, सही उर्वरकों का उपयोग और उचित देखभाल से आप लहसुन की खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदल सकते हैं। लहसुन की खेती को सफल बनाने के लिए किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। यह खेती पहली बार कर रहे किसानों के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए तो अच्छे परिणाम जरूर मिलते हैं। यहां पर हम आपको आसान और सरल भाषा में समझाएंगे कि लहसुन की खेती के लिए किस तरह की मिट्टी, बुवाई का समय, बीज का चयन, सिंचाई और कीट नियंत्रण से संबंधित जानकारी मिल सकती है। तो चलिए इन बिंदुओं को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
लहसुन के लिए आदर्श मिट्टी
किसान साथियों, लहसुन की खेती में सही प्रकार से मुनाफा कमाने के लिए सबसे पहले मिट्टी की तैयारी महत्वपूर्ण होती है। लहसुन के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट (loamy soil) होती है, जो अच्छी जल निकासी और पोषक तत्वों से भरपूर हो। मिट्टी का pH मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी अधिक अम्लीय (acidic) या क्षारीय (alkaline) हो, तो इसमें लहसुन की वृद्धि में दिक्कत आ सकती है। मिट्टी को उर्वरक बनाने के लिए पहले से खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। जुताई के लिए दो से तीन बार हल चलाना जरूरी होता है। इससे मिट्टी को ढीला किया जाता है, और लहसुन की जड़ें अच्छे से फैल सकती हैं। जुताई के बाद, मिट्टी में हुमस (organic matter) मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता और जलधारण क्षमता बेहतर होती है, जो लहसुन की फसल के लिए मददगार होती है।
बीज का चयन
साथियों, लहसुन का बीज चयन फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है, इसलिए बीज का चयन बहुत ध्यान से करें। इसके लिए अच्छे, स्वस्थ और रोगमुक्त लहसुन की कलियों का ही चयन करें। खराब गुणवत्ता के बीज से लहसुन की पौध कमजोर होती है और इसकी उपज में कमी आती है। बीज को चुनते समय यह भी ध्यान रखें कि बीज की कलियाँ बड़े आकार की और सही रूप से विकसित होनी चाहिए। बीज को छांटने के बाद, उन्हें बुवाई से पहले अच्छी तरह से धोकर सूखा लें। इससे बीज पर किसी भी प्रकार के फफूंदी या अन्य रोगों का संक्रमण कम होगा।
सही समय पर बुवाई
दोस्तों, लहसुन की बढ़िया पैदावार लेने के लिए लहसुन की बुवाई का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है। इस समय का मौसम लहसुन की बढ़वार के लिए आदर्श होता है। हालांकि दिसंबर और जनवरी के मध्य तक भी लहसुन की बुवाई की जाती है लेकिन यदि बुवाई समय से पहले या बाद में की जाए, तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। बुवाई के दौरान, लहसुन की कलियाँ (cloves) को 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। इससे लहसुन के पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिलता है। दो पंक्तियों के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए, ताकि लहसुन के पौधे एक दूसरे से टकराए नहीं और स्वस्थ रह सकें।
सिंचाई
साथियों, किसी भी फसल में सिंचाई का अपना एक महत्वपूर्ण रोल होता है। लहसुन की खेती में भी सिंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू है। लहसुन की फसल की बढ़िया पैदावार के लिए खेत में सही समय पर और संतुलित पानी देना जरूरी है। लेकिन ध्यान रखें, लहसुन को अत्यधिक पानी से बचाना चाहिए, क्योंकि इससे उसकी जड़ें सड़ सकती हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि लहसुन की खेती में मिट्टी सूखी न रहे। इसलिए किसान भाई गर्मियों में, सिंचाई को सप्ताह में एक या दो बार करें, और ठंडे मौसम में इसकी आवश्यकता कम हो जाती है। खेत में पानी का जमाव (waterlogging) न हो, क्योंकि यह लहसुन की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
उर्वरक और खाद
किसान भाइयों, लहसुन के लिए खाद का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। पुराने गोबर की खाद (organic manure) लहसुन के लिए एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (nitrogen, phosphorus, and potash) जैसे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। फसल की सही पैदावार के लिए गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर उपयोग करें, ताकि यह धीरे-धीरे मिट्टी में घुलकर लहसुन के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सके। जैविक खादों के इस्तेमाल से भूमि की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है, और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।
कंद के आकार को बढ़ाने के लिए
किसान भाइयों, किसी भी फसल के लिए कंद के आकार को सही मात्रा में बढ़ाना फसल के उत्पादन को काफी प्रभावित करता है। लहसुन की फसल में कंदों का विकास इस समय हो रहा है, और इस दौरान फसल को उचित पोषण की जरूरत होती है ताकि कंद का आकार अच्छा हो और उपज अधिक मिले। इसके लिए, चार प्रकार के खाद हैं जो इस समय लहसुन और प्याज की फसल के लिए लाभकारी होते हैं। इन खादों का सही उपयोग फसल को अच्छा पोषण प्रदान करता है और कंदों का आकार बढ़ता है। चलिए जानते हैं कि कौन-कौन सी खाद इस समय उपयोगी हैं और उनकी सही मात्रा क्या होनी चाहिए।
डीएपी (Diammonium Phosphate)
डीएपी एक प्रमुख उर्वरक है जो फास्फोरस और नाइट्रोजन का अच्छा स्रोत होता है। यह लहसुन और प्याज की फसल के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह फसल की जड़ों को मजबूत करने और कंद के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस समय, जब कंद बन रहे हैं, डीएपी की सही मात्रा का उपयोग करने से कंद का आकार बढ़ता है और फसल की वृद्धि में गति आती है। एक एकड़ में 50 किलो डीएपी का उपयोग करें।
एमओपी (MOP - Murate of Potash)
किसान साथियों, MOP, यानी पोटाश, एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो कंद के आकार को बढ़ाने और फसल की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। लहसुन और प्याज की फसल में पोटाश का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह फसल की वृद्धि को उत्तेजित करता है और उसे बेहतर पोषण प्रदान करता है। अगर इसकी सही मात्रा की बात करें तो आप एक एकड़ में 25 किलो MOP का उपयोग करें।
कैल्शियम नाइट्रेट
किसान भाइयों, कैल्शियम नाइट्रेट फसल के लिए अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि यह कंदों के मजबूत और स्वस्थ विकास में मदद करता है। यह फसल में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है और कंदों के आकार को बढ़ाता है। यह कंदों में से अधिक मात्रा में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। फसल में इसकी सही मात्रा के लिए किसान भाई एक एकड़ में 10 किलो कैल्शियम नाइट्रेट का उपयोग करें।
जैविक खाद
साथियों, जैविक खाद का उपयोग किसी भी फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के साथ-साथ फसल को प्राकृतिक पोषण भी प्रदान करता है। लहसुन और प्याज के कंद को बढ़ाने के लिए जैविक खाद का प्रयोग बहुत फायदेमंद है। अगर आप यूरो स्टार कंपनी द्वारा तैयार जैविक खाद का उपयोग करते हैं, तो यह फसल को अच्छे पोषक तत्व प्रदान करता है और कंद का आकार बढ़ता है। जैविक खाद से मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है। इसके लिए आप एक एकड़ में 2 से 4 किलो जैविक खाद का उपयोग करें। यदि आप यूरो स्टार कंपनी का जैविक खाद प्रयोग करते हैं, तो यह मात्रा सही रहती है, लेकिन आप किसी और कंपनी का भी चयन कर सकते हैं, जो आपके लिए उपयुक्त हो।
कीट और रोग नियंत्रण
साथियों, फसल की बढ़िया गुणवत्ता और अधिक उत्पादन के लिए लहसुन की फसल में कीटों और रोगों का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण होता है। लहसुन में आमतौर पर सफेद मक्खी, फफूंदी (fungus), और अन्य कीटों से नुकसान होता है। इनके प्रबंधन के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें, ताकि पौधों पर कोई रासायनिक प्रभाव न पड़े। इसके लिए आप नीम के तेल (neem oil) का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक कीटनाशक होता है और कीटों से बचाने के लिए प्रभावी होता है। साथ ही, लहसुन के पौधों की समय-समय पर निगरानी रखें और किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत उपचार करें। लहसुन की फसल में कीटों से बचाव के लिए, एक्टिवेटेड नीम ऑयल का न्यूनतम डोज़ 400-600 मिलीलीटर प्रति एकड़ होता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।