सोयाबीन की दो नयी किस्में हुई लॉन्च | जानिए कितना मिलेगा फायदा
किसान साथियो पिछले कुछ सालों से भारत में मौसम परिवर्तन देखा जा रहा है। बदलते मौसम के हिसाब से फसलों को भी अपने आप को अनुकूल करना पड़ता है। अगर फ़सल ऐसा नहीं कर पाए तो उत्पादन कमजोर हो जाता है। इसी दिशा में विभिन्न कृषि वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं कि फसलों की ऐसी प्रजातियाँ विकसित की जाएं जो बदलते मौसम के साथ अपने आपको अनुकूलित करने के साथ साथ रोगों से भी कारगर तरीके से लड़ सके जिससे किसानो को ज्यादा से ज्यादा उत्पादन मिल सकते। हाल ही में, 11 अगस्त को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आईएआरआई-नई दिल्ली में विभिन्न फसलों की 109 नई किस्मों का अनावरण किया गया। इन 109 किस्मों में सोयाबीन की दो नई किस्में भी शामिल हैं, जिनका नाम ‘सोयाबीन एनआरसी 149’ और ‘सोयाबीन गिरनार 6’ रखा गया है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सोयाबीन की ये दोनों किस्में रोगप्रतिरोधी बताई जा रही हैं और साथ ही ये पैदावार भी अच्छी देंगी। आइए, जानते हैं इन दोनों किस्मों की विशेषताओं, उपज क्षमता और खासियत के बारे में विस्तार से।
सोयाबीन एनआरसी 149 किस्म
‘सोयाबीन एनआरसी 149’ किस्म को आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर, मध्य प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म खासकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के उत्तर पूर्वी मैदान, उत्तराखंड और पूर्वी बिहार के मैदानों के लिए अनुशंसित की गई है। इस किस्म को वर्षा आधारित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त माना गया है।
यह किस्म 127 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इससे 24-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक औसत उपज प्राप्त की जा सकती है। अधिकतम पैदावार की बात करें तो, इस किस्म से 28-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज निकाली जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस किस्म में दाने खिरने और गिरने की समस्या नहीं पाई गई है। साथ ही, यह फसल कई घातक रोगों जैसे स्टेमफ्लाई, पर्ण हरण, सफेद मक्खी, वाईएमवी, फली झुलसा, और राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है।
सोयाबीन गिरनार 6 किस्म (NRCGCS 637)
‘सोयाबीन गिरनार 6’ किस्म को आईसीएआर-मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़, गुजरात द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म विशेष रूप से भारत के जोन I (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा) के लिए अनुशंसित की गई है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह खरीफ मौसम में समय पर बोई जाने के लिए उपयुक्त है और बुवाई के बाद 123 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
इस किस्म की औसत उपज 30.30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है, जबकि अधिकतम 33-34 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज निकाली जा सकती है। आम किस्मों की तुलना में सोयाबीन गिरनार 6 में तेल सामग्री 51% और प्रोटीन सामग्री 28% ज्यादा पाई जाती है, जिससे मार्केट में इसके दाम अधिक हो सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म शुरुआती और देर से मौसम के सूखे के लिए मध्यम सहनशील और शुरुआती लताओं के लिए मध्यम प्रतिरोधी पाई गई है।
सोयाबीन एनआरसी 149 और गिरनार 6: कौन बेहतर?
सोयाबीन की ये दोनों किस्में उत्तर-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के लिए अनुशंसित हैं। ‘सोयाबीन एनआरसी 149’ किस्म अधिक रोगप्रतिरोधक मानी गई है, जबकि इसकी उपज क्षमता थोड़ी कम देखी गई है। वहीं, ‘सोयाबीन गिरनार 6’ किस्म की उपज क्षमता ज्यादा है, लेकिन यह रोगों के प्रति थोड़ी कम प्रतिरोधक है। शुरुआत में इन दोनों किस्मों के दाम काफी अधिक हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ नई किस्मों के आने पर इनकी कीमतें कम हो जाएंगी। हालांकि, सोयाबीन गिरनार 6 में तेल और प्रोटीन की उच्च मात्रा के कारण इसके दाम लंबे समय तक अच्छे बने रहने की संभावना है।
सोयाबीन की 'एनआरसी 150' किस्म
'एनआरसी 150' का पौधा 82 दिनों का हो चुका है। इस किस्म को 27 जून को लगाया गया था, और अब इसकी फलियां पूरी तरह से विकसित हो चुकी हैं, जबकि पकने की प्रक्रिया बाकी है। यह जल्दी पकने वाली वैरायटी है, जिसमें भूरे रंग के रो (hair-like structures) होते हैं और फलियों के गुच्छे दिखाई देते हैं।
विशेषयागो ने बताया कि इस किस्म की एक विशेषता यह है कि जड़ और फली के बीच 6 इंच की दूरी होती है, जिससे इसे काटना आसान होता है। इसके अलावा, यह एक 'फूड ग्रेड' वैरायटी है, जिसमें तेल की मात्रा अधिक होती है और इसमें 'लिपॉक्सिजनेज़' (lipoxygenase) एंजाइम नहीं होता, जो सोयाबीन प्रोडक्ट्स में गंध का कारण बनता है। इस एंजाइम के बिना, इस वैरायटी से बने प्रोडक्ट्स में गंध कम होती है, जिससे इसे फूड ग्रेड के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
यह किस्म मध्य क्षेत्र (सेंट्रल जोन) के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है, और इसके आंकड़ों के अनुसार यह 91 दिनों में पकने के लिए तैयार हो जाती है। 'एनआरसी 150' किस्म की एक और खासियत यह है कि इसमें अधिकतर फलियां तीन दानों वाली होती हैं, और इसकी पहली फली जमीन से 7 इंच ऊपर लगती है, जिससे इसे मैकेनिकल हार्वेस्टिंग (यांत्रिक कटाई) के लिए भी उपयुक्त माना गया है।
इस किस्म की हाइट लगभग 75 सेंटीमीटर तक जाती है, और यह चारकोल रोट और वाइट मोल्ड जैसी बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधी है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और गिरते नहीं हैं, जो इसे एक और अच्छा विकल्प बनाता है।
अंत में, 'एनआरसी 150' की फसल का प्रदर्शन बहुत अच्छा है, और यह किसान भाइयों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है। किस प्रकार यह किस्म 98 दिनों में अच्छी तरह से तैयार हो चुकी है, और इसकी स्थिति बहुत अच्छी है।
कुल मिलाकर, यह लेख 'एनआरसी 150' सोयाबीन किस्म के लाभों और विशेषताओं को विस्तार से समझाती है, जो किसानों को इसे अपनाने में मदद कर सकता है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।