इस बार चने की खेती से लाखो का मुनाफा लेना है | वह चने की उन्नत खेती की यह रिपोर्ट देख लेना
किसान साथियों चने की खेती भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, खासकर रबी मौसम में। चना, दलहनी फसल होने के साथ-साथ पोषण से भरपूर और किसानों के लिए लाभदायक होता है। चने की उन्नत खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकती है। यदि आधुनिक खेती के तरीकों और प्रबंधन को अपनाया जाए और समय पर बुवाई ,उपयुक्त बीज का चयन, उचित खाद और उर्वरक का उपयोग और कीट व रोग नियंत्रण के उपाय पर ध्यान दिया जाए तो किसान भाई चने की खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम चने की बुआई, खेती की आवश्यकताएं, खाद प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण, और अधिक उत्पादन के तरीकों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे किसान अधिकतम उपज प्राप्त कर सकें। अगर आप भी चने की खेती करते हैं तो इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़िए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
1.बुआई का समय
किसान भाइयों चने की बुआई के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता नहीं होती। चने की खेती के लिए आदर्श तापमान 24°C से 30°C के बीच होता है।
असिंचित चने की बिजाई आप 10 से 25 अक्टूबर के बीच और सिंचित चने की बिजाई आप 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक कर सकते हैं।
2.मिट्टी और जलवायु:
किसान साथियों वैसे तो आजकल बाजार में चने की ऐसी ऐसी उन्नत किस्म आई हुई है जिन्हें आप हर प्रकार की मिट्टी और हर प्रकार की जलवायु में बिजाई कर सकते हैं, लेकिन चने की खेती के लिए काली दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। सिंचित खेती के लिए हर प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया जा सकता है। चना एक शुष्क और ठंडी जलवायु की फसल है, जो रबी मौसम में उगाई जाती है।
3 बीज की मात्रा :
किसान भाइयों चने की बिजाई करते समय आपको चने के बीज की मात्रा के लिए,देसी काला चने की मात्रा 50-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और काबुली चने की बिजाई के लिए बीज की मात्रा 70-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लेनी चाहिए। पंक्तियों में बुआई के लिए सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
4.भूमि की तैयारी
किसान भाइयों चने की फसल में अधिक उत्पादन लेने के लिए खेत का सही तरीके से तैयार होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको अपने खेत में 5 से 7 टन गोबर की गली खाद डालनी जरूरी है। भूमि की तीन चार बार गहरी जुताई करें और बार-बार कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को अच्छी प्रकार से भुरभुरा बना ले,और बिजाई से पहले बीज को उपचारित जरूर करें, ताकि बीज उपचार में ट्राइकोडरमा या कार्बेंडाजिम का उपयोग कर बीज जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।
5.सिंचाई प्रबंधन:
किसान भाइयों अगर आप चने की कम सिंचाई वाली वैरियटयों का चयन करते हैं तो चने की असिंचित खेती में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
लेकिन सिंचित खेती में बुआई, और फूल आने से पहले, और फलियां बनने से पहले सिंचाई की जानी चाहिए। अगर बीच में एक या दो बारिश हो जाती हैं तो आपको चने की फसल में सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं है।
6.खाद और उर्वरक प्रबंधन:
जैविक खाद किसी भी फसल के लिए सबसे उत्तम तरीका बताया गया है, जो न सिर्फ आपकी फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि फसल पर आने वाले खर्च को भी कम करता है। जैविक खाद में आप बिजाई से पहले 8 से 10 ट्रॉली गोबर की गली चढ़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर डाल सकते हैं। अगर हम रासायनिक उर्वरक की बात करें तो, 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा फॉस्फोरस, 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालनी चाहिए। ध्यान रखें उर्वरकों का संतुलित उपयोग से आप अपनी फसल में बेहतर उपज प्राप्त कर सकते है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
7.उन्नत किस्में:
किसान भाइयों बाजार में चने की अच्छी क्वालिटी वाली कई प्रकार की वैरायटी बाजार में आई हुई हैं। आप अपने क्षेत्र के हिसाब से मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखते हुए चने की उत्तम और प्रमाणित वैरियटयों का ही चयन करें। जिनकी उत्पादन में क्षमता अधिक होने के साथ-साथ गुणवत्ता भी बेहतर हो।
8.कीट और रोग नियंत्रण:
किसान साथियों चने की फसल को मृदा जनित रोगों और कीटों से बचाव के लिए बीज उपचार करना अत्यंत आवश्यक है।
फली बेधक कीट के लिए चने की फसल में मोनोक्रोटोफॉस 36% एसएल का छिड़काव किया जा सकता है।
9.खरपतवार नियंत्रण:
किसान भाइयों खरपतवार नियंत्रण किसी भी फसल के उत्पादन की बढ़ोतरी के लिए बहुत ही जरूरी होता है। अगर आप अपने खेत में खरपतवार को उगने से रोक देते हैं तो आपके खेत में मिट्टी के अंदर मौजूद सभी पोषक तत्व आपकी फसल के पौधों को प्राप्त होते हैं, जो पौधों की बढ़वार के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। चने की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के 20 दिन बाद और 55-60 दिन बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। अगर आपके पास है समय का भाव है तो आप रासायनिक विधि से पैडीमिथिल का उपयोग खरपतवारों के नियंत्रण के लिए कर सकते है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
10.उत्पादन बढ़ाने के तरीके:
किसान साथियों फूलों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार के लिए एनपीके उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकता है। चने की फसल के लिए कौन सी एनपीके अधिक फायदेमंद होती है इसके बारे में हम अपनी अगली रिपोर्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे, या फिर आप इसकी जानकारी कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से भी ले सकते हैं। पौधों की शाखाओं को बढ़ाने के लिए शीर्ष भाग को तोड़ना लाभकारी होता है। जिससे आपकी फसल का उत्पादन तो बढ़ता ही है, साथ में आप तोड़े हुए शीर्ष भाग को बाजार में बेचकर अपनी आय में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
11.उत्पादन क्षमता:
दोस्तों अगर आप सही विधि से और सही प्रकार से खेत की तैयारी और खादो की मात्रा सीमित प्रकार से खेत में डालते हैं तो आप असिंचित चने का उत्पादन 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सिंचित चने का उत्पादन 30-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ले सकते है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी इंटरनेट और सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें, और निर्णय अपने विवेक एवं समझ से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।