50 रूपए का यह उपाय आपके धान के उत्पादन को कर देगा दोगुना, रोपाई से पहले करें उपयोग
किसान साथियों, धान की खेती करने वाले किसानों के लिए यूरिया एक जरूरी खाद मानी जाती है। यह नाइट्रोजन का सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध स्रोत है, जो पौधों की वृद्धि में मदद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूरिया के बिना भी धान की अच्छी पैदावार ली जा सकती है? जी हाँ, एक ऐसा जैविक तरीका है जिससे न सिर्फ यूरिया का खर्च बचेगा, बल्कि मिट्टी की उर्वराशक्ति भी बढ़ेगी। आज हम आपको एक ऐसी ही चीज के बारे में बताएंगे, जिसकी कीमत सिर्फ 50 रूपए है और यह धान की रोपाई से पहले मिट्टी में मिलाकर यूरिया की जरूरत को पूरी तरह खत्म कर देती है। यह तरीका न सिर्फ किफायती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। तो चलिए, इस रिपोर्ट के माध्यम से विस्तार से जानते हैं कि वह कौन सा तरीका है और उसको आप किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं जिससे आप बिना यूरिया के भी धान की बंपर पैदावार ले सकते हैं।
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धान की खेती में यूरिया का विकल्प
दोस्तों, धान की अच्छी पैदावार के लिए नाइट्रोजन एक अहम पोषक तत्व है। यूरिया इसका सबसे आम स्रोत है, जिसे किसान बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यूरिया डालने से पौधों की ग्रोथ तेज होती है, पत्तियाँ हरी-भरी रहती हैं और फसल का उत्पादन बढ़ता है। लेकिन रासायनिक खादों के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत खराब होने लगती है। मिट्टी में मौजूद माइक्रोऑर्गेनिज़्म्स कम हो जाते हैं और जमीन सख्त होने लगती है। इस समस्या से बचने के लिए अब किसान जैविक तरीकों को अपना रहे हैं। इनमें से एक बेहतरीन विकल्प है एजोटोबैक्टर। यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपयोगी बना देता है। यानी, अगर आप इसे मिट्टी में मिला दें, तो पौधों को नेचुरल तरीके से नाइट्रोजन मिलने लगेगी और यूरिया की जरूरत कम हो जाएगी।
एजोटोबैक्टर काम कैसे करता है
एजोटोबैक्टर एक लाभदायक बैक्टीरिया है जो वायुमंडल से नाइट्रोजन लेकर उसे पौधों के लिए अवशोषित करने योग्य बना देता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, लेकिन खेती के दौरान रासायनिक खादों के अधिक इस्तेमाल से इसकी संख्या कम हो जाती है। अगर हम इसे मिट्टी में वापस लाएँ, तो यह न सिर्फ नाइट्रोजन सप्लाई करेगा, बल्कि मिट्टी की फर्टिलिटी भी बढ़ाएगा।
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एजोटोबैक्टर का उपयोग कैसे करें
अगर आप इसका उपयोग अपने खेत में करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि आप इसको किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं। इसका उपयोग करने के लिए धान की रोपाई से पहले, जब आप खेत की जुताई कर रहे हों, तब प्रति हेक्टेयर 10 किलो एजोटोबैक्टर को गोबर की खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर खेत में बिखेर दें। इसके अलावा अगर आप धान की नर्सरी तैयार कर रहे हैं, तो बीजों को एजोटोबैक्टर के घोल में उपचारित करके बोएँ। इसके अतिरिक्त अगर आप ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, तो एजोटोबैक्टर को पानी में मिलाकर सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जा सकता है। इसके उपयोग से न सिर्फ आपकी फसल की यूरिया पर निर्भरता कम होगी, बल्कि फसल के उत्पादन और क्वालिटी में भी फायदा होगा।
एजोटोबैक्टर कहाँ से खरीदें
एजोटोबैक्टर को आप किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या सरकारी एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से खरीद सकते हैं। उत्तर प्रदेश में गन्ना शोध परिषद, शाहजहाँपुर इसका एक बड़ा स्रोत है, जहाँ से किसानों को सस्ते दामों में यह बैक्टीरिया उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा, प्राइवेट कंपनियाँ भी इसे बाजार में बेचती हैं, जहाँ 1 किलो की कीमत लगभग 50 रूपए होती है। इसके अलावा अगर आपके आसपास एजोटोबैक्टर नहीं मिल रहा है, तो आप इसे ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं। Amazon, Flipkart और कृषि सामग्री बेचने वाली वेबसाइट्स पर यह आसानी से मिल जाता है।
एजोटोबैक्टर के फायदे
इसके इस्तेमाल से 25-30% तक यूरिया की जरूरत कम हो जाती है, जो आपकी मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ आपकी फसल पर आने वाले खर्च को भी कम करता है। रासायनिक प्रवृत्ति न होने के कारण यह आपकी फसल की क्वालिटी को भी काफी बढ़िया बनाता है। यह मिट्टी को पोषण देता है और उसमें माइक्रोबियल एक्टिविटी बढ़ाता है। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से भी यह काफी फायदेमंद है क्योंकि रासायनिक खादों की तुलना में यह पूरी तरह इको-फ्रेंडली है। साथ ही इसका सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि सिर्फ 50 रूपए में 1 किलो एजोटोबैक्टर खरीदकर आप लंबे समय तक इसका फायदा उठा सकते हैं।
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धान की खेती के लिए अन्य जैविक तरीके
अगर आप पूरी तरह जैविक खेती करना चाहते हैं, तो एजोटोबैक्टर के अलावा भी कुछ और तरीके अपना सकते हैं:
1. ढैंचा की खेती
ढैंचा एक ऐसी फसल है जिसे खेत में उगाकर मिट्टी में मिला दिया जाता है। यह न सिर्फ नाइट्रोजन को फिक्स करता है, बल्कि मिट्टी को ढीला भी बनाता है। इसे 45 दिनों में तैयार किया जा सकता है और इसके बाद धान की रोपाई की जा सकती है।
2. नीम की खली
यह एक नेचुरल फर्टिलाइज़र है जो नाइट्रोजन के साथ-साथ फास्फोरस और पोटाश भी देता है। यह कीटों से भी बचाव करता है।
3. जैविक कम्पोस्ट
गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और किचन वेस्ट से बनी कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करके भी मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है, जिसके उपयोग से आप अपनी फसल के उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर बना सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।