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प्याज की फसल को रोगों से बचाने का खर्च होगा कम‌। घर पर ही आजमाएं यह तरीका

प्याज की फसल को रोगों से बचाने का खर्च होगा कम‌। घर पर ही आजमाएं यह तरीका
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किसान साथियों, देश के किसान अपनी मेहनत और प्रयासों से सैकड़ों फसलों की पैदावार करते हैं। इनमें से एक प्रमुख फसल है प्याज। प्याज न केवल भारतीय भोजन का अहम हिस्सा है, बल्कि किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसल भी है। प्याज की खेती अधिकतर मैदानी क्षेत्रों से लेकर पर्वतीय इलाकों तक की जाती है। विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे राज्य में, प्याज की बुआई अक्टूबर-नवंबर में होती है और यह जनवरी से मार्च के बीच तैयार हो जाती है। फरवरी महीने तक प्याज की फसल अच्छी खासी बढ़ जाती है, और इस समय किसानों को कुछ विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती हैं, क्योंकि इस दौरान प्याज में कीट और रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इस अवस्था में प्याज की फसल पर अक्सर कीटों का हमला होता है, जिससे फसल को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इस समय सबसे आम कीट जो प्याज की फसल को प्रभावित करता है, वह है थ्रिप्स (Thrips)। यह कीट प्याज की पत्तियों और बल्बों को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर पड़ता है। इसके अलावा, प्याज की फसल को कई तरह के रोग भी हो सकते हैं, जो यदि समय पर उपचार न किया जाए तो पूरे खेत को नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में, किसानों को रासायनिक कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक और देसी उपायों को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए नीम, लहसुन, गोमूत्र जैसे घरेलू उपायों का इस्तेमाल करके, न केवल प्याज की फसल को कीटों और रोगों से बचाया जा सकता है, बल्कि इससे खेती में लागत भी कम होती है। इसके साथ ही, ये उपाय पूरी तरह से जैविक होते हैं, जो वातावरण और इंसान के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं। कृषि विशेषज्ञ दीपिका भट्ट के अनुसार, इन देसी उपायों का इस्तेमाल किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है। आइए, जानते हैं इन उपायों के बारे में विस्तार से।

नीम का तेल

साथियों, नीम का नाम सुनते ही मन में एक प्राकृतिक और शक्तिशाली उपचार का ख्याल आता है। नीम का पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है, और यह खेती में भी अत्यधिक उपयोगी साबित होता है। नीम में औषधीय गुण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के कीटों और रोगों से निपटने में मदद करते हैं। इसका प्रमुख फायदा यह है कि यह रासायनिक कीटनाशकों से कहीं ज्यादा सुरक्षित है, और प्याज की फसल पर इसका उपयोग पूरी तरह से जैविक होता है। इसलिए प्याज की फसल में थ्रिप्स जैसे कीटों से बचने के लिए, आप नीम के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। इसका प्याज की फसल में सही उपयोग करने के लिए एक लीटर पानी में 100 एमएल नीम का तेल मिलाकर, हर 7 से 10 दिन में इस घोल का छिड़काव करें। यह न केवल कीटों को दूर रखता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बनाए रखता है। नीम का तेल जैविक होने के कारण यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता, और इसकी कीमत भी रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले कम होती है। इसके अलावा, नीम का तेल फसल के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि नीम के तेल से छिड़काव करने से फसल का कीटों के साथ-साथ कुछ फंगल और बैक्टीरियल रोगों से भी बचाव होता है। इसलिए, यह प्याज की फसल के लिए एक सस्ता और प्रभावी उपाय साबित हो सकता है।

लहसुन

साथियों, लहसुन का उपयोग न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह खेती में भी एक प्रभावी उपाय साबित होता है। लहसुन में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो इसे एक बेहतरीन कीटनाशक बनाते हैं। इसके अलावा, लहसुन में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो प्याज की फसल को विभिन्न प्रकार के कीटों से बचाने में सहायक होते हैं। फसल में लहसुन के प्रभावी प्रयोग के लिए, आपको 50 ग्राम लहसुन और 2-3 हरी मिर्च को पीसकर एक लीटर पानी में मिला लेना चाहिए। इस घोल को अच्छे से छानकर, प्याज की फसल पर छिड़काव करें। इससे न केवल कीटों का प्रकोप कम होगा, बल्कि यह फसल को स्वस्थ रखने में भी मदद करेगा। यह उपाय पूरी तरह से प्राकृतिक और सस्ता होता है, जो किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प हो सकता है। लहसुन के इस घोल को सप्ताह में एक या दो बार छिड़कने से कीटों का प्रकोप कम हो सकता है और प्याज की फसल सुरक्षित रहती है। यह उपाय न केवल जैविक होता है, बल्कि इसकी सस्ताई भी किसानों के लिए एक बड़ी राहत प्रदान करती है।

गोमूत्र और दही का मिश्रण

दोस्तों, गोमूत्र का इस्तेमाल भारतीय कृषि में प्राचीन समय से हो रहा है। गोमूत्र में कई औषधीय गुण होते हैं जो फसलों की वृद्धि और स्वास्थ्य में मदद करते हैं। इसके अलावा, गोमूत्र का प्रयोग कीटों और रोगों से बचाव के लिए भी किया जाता है। इसे दही के साथ मिलाकर फसलों पर छिड़कने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फसल स्वस्थ रहती है। गोमूत्र और दही का मिश्रण तैयार करने के लिए, एक लीटर गोमूत्र में 100 ग्राम दही मिलाकर, इसे 3-4 दिनों तक छोड़ दें। फिर इस मिश्रण को प्याज की फसल पर छिड़कें। यह उपाय फसल की स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और कीटों के हमले से बचाव करता है। गोमूत्र और दही का यह मिश्रण एक जैविक कीटनाशक के रूप में काम करता है, जो प्याज की फसल को हानिकारक कीटों से बचाता है। इसके अतिरिक्त, गोमूत्र में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो फसल में फंगस के संक्रमण को भी रोकते हैं। साथ ही इस मिश्रण से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे वे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।

गुड़ और उड़द की दाल

साथियों, गुड़ और उड़द की दाल का मिश्रण मिट्टी की सेहत को सुधारने और पौधों को मजबूती देने के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। यह नुस्खा जैविक खाद के रूप में कार्य करता है, जो मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों को बढ़ाता है और फसल की उत्पादकता को भी बढ़ाता है। गुड़ और उड़द की दाल का मिश्रण तैयार करने के लिए, 200 ग्राम गुड़ और 200 ग्राम उड़द की दाल को 5 लीटर पानी में मिलाकर, 24 घंटे तक छोड़ें। इसके बाद, इस मिश्रण को प्याज की फसल पर स्प्रे करें। यह जैविक खाद मिट्टी की सेहत सुधारने के साथ-साथ पौधों को मजबूती भी प्रदान करता है, जिससे फसल में अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।